कर्मचारियों को तगड़ा झटका, योगी सरकार करने जा रही ये फैसला

कहा जा रहा है कि सरकार के इस निर्णय से अनुमानतः प्रदेश के करीब 16 लाख कर्मचारियों और करीब 11.82 लाख पेंशनरों को झटका लगेगा।

Update:2020-05-12 18:10 IST

लखनऊ: प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य कर्मचारियों के कुछ भत्तों में कटौती करने का फैसला लिया है। इसके पीछे कोरोना को लेकर राज्य सरकार के बढ़ते खर्चो को बताया जा रहा है। केद्र की ही तर्ज पर राज्य सरकार ने भी इस आशय का फैसला लिया है। जिसके तहत अब अगले डेढ़ साल के लिए राज्य कर्मचारियों और पेंशनरों का महंगाई भत्ता (डीए) व महंगाई राहत (डीआर) न बढ़ाया जाएगा।

16 लाख कर्मचारी और 11.82 लाख पेंशनरों को झटका

यही नहीं इसके अलावा छह अन्य भतों का भी भुगतान इसी अप्रैल से मार्च-2021 स्थगित कर दिया है। इससे सरकार के खजाने से करीब 10 हजार करोड़ रुपये की बचत होगी। कहा जा रहा है कि सरकार के इस निर्णय से अनुमानतः प्रदेश के करीब 16 लाख कर्मचारियों और करीब 11.82 लाख पेंशनरों को झटका लगेगा। अपर मुख्य सचिव वित्त संजीव मित्तल ने बताया है कि लॉकडाउन की वजह से सरकार के राजस्व में कमी आई है। कोविड-19 से निपटने के लिए वितीय संसाधनों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करन के लिए डीए और डीआर न बढ़ाने और छह भत्ते स्थगित करने का फैसला लिया गया है।

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संजीव मित्तल का कहना है कि डीए व डीआर के अलावा जिन छह भतों का भुगतान स्थगित किया गया है केंद्र सरकार अपने कर्मियों को इसका भुगतान नहीं करती है। यहां यह बताना जरूरी है कि पिछले महीने ही योगी सरकार ने राज्य कर्मचारियों के महंगाई भत्ते को डेढ़ साल तक बढ़ाने पर रोक लगाने का फैसला किया था। तो उसी के साथ उसने इन छह भत्तों को पहली अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 तक स्थगित करने का निर्णय किया था। इन छह भत्तों को चालू वित्तीय वर्ष के लिए स्थगित करने के बारे में वित्त विभाग ने 24 अप्रैल को शासनादेश जारी किया था।

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने किया फैसले का विरोध

राज्य सरकार के इस निर्णय के खिलाफ राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी और महामंत्री शिवबरन सिंह यादव ने कहा कि प्रदेश सरकार ने पहले कहा कि हम कोई भी वेतन में कटौती नहीं करेंगे। फिर कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जो किया जाएगा वही करेंगे। और अंत में अभी फिलहाल राज्य कर्मचारियों के 6 भत्तों पर सिर्फ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा रोक लगाई और अब ये भत्ते हमेशा के लिए समाप्त कर दिए। उन्होंने कहा कि पहले एक आदेश इन भत्तों को रोकने का किया गया था

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संभवतः रोकने से सरकार की बचत हो गई थी और कोरोना में धन इकट्ठा करने हेतु राहत मिल गई थी। उसका सभी कर्मचारी संघ ने विरोध किया था। परंतु अब उन्हें समाप्त किया जाना। यह दर्शाता है कि वित्त विभाग के कुछ अधिकारी अपनी पीठ थपथपाना के लिए कर्मचारी विरोधी मानसिकता के तहत अपने कुतर्कों के आधार पर कुछ भी करने को उतारू है।

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