किराएदारों को राहत: मकान मालिकों पर बड़ी खबर, सरकार ने लागू किया ये नियम

योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश नगरीय किरायेदारी विनियमन अध्यादेश-2021 को कैबिनेट में मंजूरी दे दी। मकान मालिक और किराएदारों के बीच विवादों को कम करने के मक़सद से इसे लागू किया गया है।

Update:2021-01-09 12:43 IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार (Yogi Government) ने किरायदारों को राहत पहुंचाने के लिए कैबिनेट बैठक में बड़े अध्यादेश को मंजूरी दी। इस अध्यादेश के तहत अब यूपी में किराए पर रहने के लिए रेंट अग्रीमेंट या कॉन्ट्रैक्ट बनवाना अनिवार्य होगा। वहीं मकान मालिक रेंट को लेकर मनमानी भी नहीं कर सकेंगे।

किराए का मकान के लिए कॉन्ट्रैक्ट अनिवार्य

दरअसल, योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश नगरीय किरायेदारी विनियमन अध्यादेश-2021 को कैबिनेट में मंजूरी दे दी। ये सर्कुलेशन मकान मालिक और किराएदारों के बीच विवादों को कम करने के मक़सद से लागू किया है। इसके तहत मकानमालिक किरायेदार से मनमाना रेंट नहं वसूल पाएंगे और न ही अपनी मर्जी से कभी भी कराया बढ़ाकर किरायेदारों की मुसीबत बन सकेंगे। हालंकि किराये पर रहने के लिए दोनों पक्षों के बीच एक अनुबंध किया जाना अनिवार्य होगा।

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यूपी नगरीय किरायेदारी विनियमन अध्यादेश-2021 की खास बातें

-किराएदार और मकान मालिक के बीच रेंट काॅट्रेक्ट अनिवार्य। बिना अनुबंध नहीं मिलेगा किराए पर मकान।

-किराएदारी अनुबंध पत्र की मूल प्रति का एक-एक सेट दोनों (किराएदार और मकान मालिक) के पास रहेगा।

-आवासीय भवन पर सालाना 5 फीसदी और गैर आवासीय पर 7 फीसदी किराया बढ़ाया जा सकता है।

-मकान के मालिक के साथ ही किराएदार को भी करनी होगी जगह की देखभाल।

-मकान मालिक को मकान में किराएदार को जरूरी सेवाएं देनी होंगीं।

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-समय पर देना होगा किराया, दो महीने तक किराया न मिलने पर मकान मालिक हटा सकते हैं किराएदार को।

- अनुबंध अवधि में मकान मालिक किराएदार को बेदखल नहीं कर सकता।

-मकान मालिक को देनी होगी किराएदार को चुकाए गए किराए की रसीद।

-बिना मकान मालिक की अनुमति किराएदार नहीं करा सकेगा मकान में कोई तोड़फोड़

-पहले से रह रहे किराएदारों के साथ अनुबंध के लिए 3 महीने का समय।

-सिक्योरिटी डिपॉजिट के नाम पर मकान मालिक दो महीने से ज्यादा का एडवांस नही ले सकेंगे।

- गैर आवासीय परिसरों के लिए 6 महीने का एडवांस लिया जा सकता है।

-रेंट अनुबंध से जुड़े विवादों का निपटारा रेंट अथॉरिटी एवं रेंट ट्रिब्युनल करेंगे।

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-किराया बढ़ने के विवाद पर रेंट ट्रिब्युनल संशोधित किराया और किराएदार द्वारा देय अन्य शुल्क का निर्धारित कर सकेंगे।

-ट्रिब्युनल को 60 दिन के अंदर वाद का निस्तारण करना होगा।

रेंट काॅट्रेक्ट इन पर नहीं होगा लागू

योगी सरकार का ये अध्यादेश केंद्र सरकार, राज्य सरकार या केंद्र शासित प्रदेश के उपक्रम, कंपनी, यूनिवर्सिटी या कोई संगठन, सेवा अनुबंध के रूप में अपने कर्मचारियों को मकान देना, धार्मिक संस्थान, लोक न्याय अधिनियम के तहत रजिस्टर्ड ट्रस्ट, वक्फ संपत्ति पर लागू नहीं होगा।

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