Uttarkashi Tunnel Collapse: मजदूरों का फूटा गुस्सा, सामने आई कंपनी की बड़ी लापरवाही, इस वजह से हुआ भूस्खलन
Uttarkashi Tunnel Collapse: सिलक्यारा सुरंग के मुहाने से 200 मीटर अंदर जहां भूस्खलन हुआ है वह हिस्सा संवेदनशील है जिसमें गार्टर रिब की जगह 32 एमएम की सरियों से बना रिब लगाया गया जो कि मलबे का दबाव नहीं झेल पाया। बताया कि यहां गार्टर रिब लगाया गया होता तो शायद यह हादसा नहीं होता।
Uttarkashi Tunnel Collapse: उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग के निर्माण में लापरवाही का एक बड़ा मामला सामने आया है। सुरंग के जिस संवेदनशील हिस्से में भूस्खलन हुआ था वहां उपचार के लिए गार्टर रिब की जगह सरियों का रिब बनाकर लगाया गया है।
वहीं सुरंग निर्माण से जुड़े लोगों का कहना है कि अगर यहां गार्टर रिब लगाया गया होता तो भूस्खलन नहीं होता। बता दें कि बीते रविवार को निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में भूस्खलन की घटना घटी जिसके चलते 40 मजदूर सुरंग के अंदर फंसे हुए हैं।
इस बीच निर्माण में लगी कंपनी की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। सुरंग के एक मशीन ऑपरेटर ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कंपनी से जुड़े लोगों की लापरवाही से आज 40 लोगों का जीवन संकट में है।
ये भी पढ़ें: Uttarkashi Tunnel Accidnet Update: रेस्क्यू ऑपरेशन का आज चौथा दिन, दो मजदूरों की बिगड़ी तबियत
शायद नहीं होता हादसा...
बताया कि सिलक्यारा सुरंग के मुहाने से 200 मीटर अंदर जहां भूस्खलन हुआ है वह हिस्सा संवेदनशील है जिसमें गार्टर रिब की जगह 32 एमएम की सरियों से बना रिब लगाया गया जो कि मलबे का दबाव नहीं झेल पाया। बताया कि यहां गार्टर रिब लगाया गया होता तो शायद यह हादसा नहीं होता।
सुरंग के अंदर हैं दो संवेदनशील प्वाइंट
निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में ऐसे दो प्वाइंट हैं जो भूस्खलन के लिहाज से बेहद ही संवेदनशील हैं। पहला प्वाइंट सिलक्यारा मुहाने से 200 मीटर की दूरी पर है, जिसमें वर्तमान में भूस्खलन हुआ है। वहीं एक अन्य प्वाइंट सिलक्यारा वाले मुहाने से ही 2000 से 2100 मीटर के मध्य है। टनल के एक मशीन ऑपरेटर ने बताया कि 2000 से 2100 के बीच वाले संवेदनशील पार्ट का स्थाई उपचार हुआ है लेकिन 200 मीटर के निकट वाले का स्थाई उपचार नहीं हुआ है।
भूस्खलन से दबी हैं दो मशीन
रविवार को सुरंग में हुए भूस्खलन के मलबे में एक शॉटक्रिट मशीन व एक बूमर मशीन दबने की सूचना मिली है। एक मशीन ऑपरेटर ने बताया कि यहां उस दौरान ट्रीटमेंट का काम चल रहा था। जब हल्का मलबा गिरा तो इन मशीनों में कार्यरत कर्मचारियों ने भागकर अपनी जान बचाई।
आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिक प्रो. कमल जैन की माने तो टनल के संवेदनशील हिस्से को छोड़कर आगे काम करना खतरनाक होता है। संवेदनशील हिस्से का स्थिरीकरण करना बहुत जरूरी होता है। जब स्थिरीकरण करते हुए आगे बढ़ते हैं तो जैसा भूस्खलन टनल में हुआ है, इसका खतरा नहीं होता है।