Joshimath Sinking: NTPC की सुरंगों से खतरे की बात केंद्र सरकार ने नकारी, विशेषज्ञ दावे पर सहमत नहीं

Joshimath Crisis: ऊर्जा मंत्रालय का मानना है कि पर्यावरणविदों और भूवैज्ञानिकों के इन दावों में कोई दम नहीं है क्योंकि एनटीपीसी की सुरंग जोशीमठ शहर की बाहरी सीमा से करीब 1.1 किलोमीटर दूर है।

Report :  Anshuman Tiwari
Update:2023-01-14 10:59 IST

Joshimath Crisis (Social Media)

Joshimath Crisis: जोशीमठ में जमीन धंसने और मकानों में दरारें आने के पीछे नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (NTPC) की सुरंगों को जिम्मेदार ठहराए जाने के तर्क से केंद्र सरकार सहमत नहीं है। ऊर्जा मंत्रालय का मानना है कि पर्यावरणविदों और भूवैज्ञानिकों के इन दावों में कोई दम नहीं है क्योंकि एनटीपीसी की सुरंग जोशीमठ शहर की बाहरी सीमा से करीब 1.1 किलोमीटर दूर है। एनटीपीसी की ओर से पहले ही इन दावों का खंडन किया जा चुका है। एनटीपीसी का कहना है कि जोशीमठ के नीचे से कोई सुरंग नहीं गुजर रही है।

दूसरी ओर विशेषज्ञ ऊर्जा मंत्रालय के इस दावे से सहमत नहीं हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कहना अभी जल्दबाजी होगा कि एनटीपीसी की सुरंगों के कारण जोशीमठ का संकट नहीं पैदा हुआ है। इस दावे का हम अभी पूरी तरह से खंडन नहीं कर सकते।

सुरंग जोशीमठ शहर की बाहरी सीमा से दूर

ऊर्जा मंत्रालय का दावा है कि एनटीपीसी की सुरंग जोशीमठ शहर की बाहरी सीमा से दूर है और इस कारण एनटीपीसी की सुरंग को जोशीमठ संकट के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता। मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि इस बाबत एक पत्र का मसौदा तैयार कर लिया गया है और इसे जल्द ही उत्तराखंड सरकार को भेजा जाएगा। मंत्रालय का कहना है कि जोशीमठ में सुरंग का निर्माण टनल बोरिंग मशीन के जरिए किया गया है और इस मशीन के जरिए सुरंग खोदने से आसपास की चट्टानों को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचता है। इस कारण एनटीपीसी जल विद्युत परियोजना की वजह से जोशीमठ में संकट पैदा होने की संभावनाओं को खारिज किया जा चुका है।

मंत्रालय ने अन्य कारणों की संभावना जताई

ऊर्जा मंत्रालय का कहना है कि यह पत्र पहले गृह मंत्रालय के साथ साझा किया जाएगा और उसके बाद इसे उत्तराखंड सरकार को भेजा जाएगा। मंत्रालय का कहना है कि कभी-कभी भारी वर्षा, भूकंप के झटके और निर्माण गतिविधियों की वजह से भी इस तरह के संकट पैदा हो सकते हैं। पत्र में जोशीमठ में जमीन धंसने का मामला काफी पुराना होने और 1976 में इस मामले में मिश्रा कमेटी के गठन किए जाने का जिक्र भी किया गया है।

विशेषज्ञ दलील से सहमत नहीं

दूसरी ओर मामले के जानकार ऊर्जा मंत्रालय की ओर से दी जा रही दलील से सहमत नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि एनटीपीसी की सुरंग से जोशीमठ को खतरा पैदा होने की बात को अभी खारिज नहीं किया जा सकता। वाडिया इंस्टीट्यूट आफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक कला चंद सेन ने कहा कि एनटीपीसी परियोजना से जुड़ी सुरंग को जोशीमठ संकट का कारण मानने से खारिज करना अभी जल्दबाजी होगी। इस मामले में अभी और जांच किए जाने की जरूरत है और इसे इतनी जल्दी नहीं खारिज किया जा सकता।

गंगा आह्वान की सदस्य मल्लिका भनोट ने भी कहा कि एनटीपीसी की ओर से सुरंग खोदे जाने के कारण ही जोशीमठ में जमीन धंसने और मकानों में दरारें पड़ने की घटनाओं में तेजी आई है। इसमें संदेह की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा कि सुरंग खोदने का काम पहले किया गया था और फरवरी 2021 में ऋषि गंगा जलप्रलय के बाद सुरंग में मरम्मत का काम शुरू हुआ था। नवंबर 2021 में ही घरों में दरारें की शिकायतें सामने आई थीं। उस समय यह संख्या काफी कम थी मगर अब मकानों में दरारे आने की घटनाएं काफी बढ़ चुकी हैं।

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