बकरी स्वयंवर: त्रिवेंद्र सरकार के तीन मंत्रियों के बीच जंग
उत्तराखंड में आजकल एक मजेदार जंग छिड़ी हुई है। मामला है बकरियों के प्रस्तावित स्वयंवर का, यह स्वयंवर 23-24 फरवरी को होना है। अब इस स्वयंवर को लेकर त्रिवेंद्र सरकार के तीन मंत्रियों के बीच जंग छिड़ गई है। मुद्दा है कि बकरियों का स्वयंवर
देहरादून: उत्तराखंड में आजकल एक मजेदार जंग छिड़ी हुई है। मामला है बकरियों के प्रस्तावित स्वयंवर का,यह स्वयंवर 23-24 फरवरी को होना है। अब इस स्वयंवर को लेकर त्रिवेंद्र सरकार के तीन मंत्रियों के बीच जंग छिड़ गई है। मुद्दा है कि बकरियों का स्वयंवर होना तो ठीक है लेकिन वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शादी कैसे कराई जा सकती है यह तो संस्कृति का मजाक होगा।
बेचारी पशुपालन मंत्री रेखा आर्य सफाई देते हुए परेशान हैं कि भाई यह आयोजन मै नहीं एक संस्था करा रही है जो कि यह आयोजन कराती आ रही है लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है इस बीच मंत्रियों के झगड़े से अनजान टिहरी जिले की बकरियों ने धूमधाम से अपना स्वयंवर कर लिया। अब सवाल यह है कि इसके लिए गाज किस पर गिरेगी। बकरी पर, बकरे पर या इनके मालिकों पर। फैसला आने तक तो ये अपना हनीमून भी मना लेंगे। सीएम को जल्द ही फैसला लेना होगा।
बकरियों को लेकर जिन मंत्रियों में विवाद छिड़ा हुआ है उनमें कांग्रेस से आए सतपाल महराज, ताकतदार रुतबे वाले मदन कौशिक एक पाले में हैं जबकि इनके निशाने पर हैं महिला सशक्तिकरण और बाल विकास और पशुपालन की राज्य मंत्री रेखा आर्य। रेखा आर्य ने कभी दिग्गज भाजपा नेता भगत सिंह कोश्यारी की अंगुली पकड़कर राजनीति की शुरुआत की थी। बाद में वह कांग्रेस में गईं और विधानसभा चुनाव के यशपाल आर्य का दामन पकड़कर भाजपा में वापस आ गईं। यशपाल आर्य भी कद्दावर नेता हैं।
इसलिए रेखा आर्य भी मजबूत हैं। पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए रेखा आर्य ने 23-24 फरवरी को दो दिन के बकरी स्वयंवर का आयोजन रखा। जिसमें उन्नत नस्ल की बकरियों की बढ़िया बकरों से मैटिंग कराकर बकरी पालन से ग्रामीणों की आय बढ़ाने की योजना थी। वैसे यह कार्यक्रम अभी एक स्थानीय संस्था करवाती रही है। रेखा आर्य इस बार धनोल्टी के बकरी स्वयंवर को सरकारी भागीदारी से करना चाहती थीं। लेकिन रेखा आर्य का यह फैसला उनके सीनियर मंत्री सतपाल महाराज को बहुत बुरा लगा। सबसे पहले उन्होंने रेखा आर्य की प्रेस कान्फ्रेंस को रद कराया और फटकार भी लगाई।
सतपाल महाराज का कहना है कि मंत्रोच्चारण के बीच बकरियों का ब्याह कराना ठीक नहीं है। एक तरह से यह हमारी संस्कृति का उपहास होगा। मेरी यही आपत्ति है।शासकीय प्रवक्ता व शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक का भी कहना है कि पशुपालन को बढ़ावा देने का ख्याल बुरा नहीं है और इसके लिये बकरियों का स्वयंवर भी अच्छी योजना है। लेकिन इसमें वैदिक मंत्रों का उच्चारण बिल्कुल नहीं होना चाहिए।
रेखा आर्य का कहना है कि बकरी स्वयंवर सरकार नहीं, बल्कि स्थानीय संस्था करवा रही है। कृषि मंत्री से मुख्य अतिथि का अनुरोध किया गया है। उनकी मंजूरी के बाद कार्यक्रम होगा। रही बात महाराज की आपत्ति की, तो मुझे इसकी जानकारी नहीं। यह आयोजन कोई नया नहीं है। धनोल्टी में गोट विलेज संस्था पर्यटन और पशुपालन को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ साल से ‘बकरी स्वयंवर' का आयोजन करता आ रहा है।
अब गेंद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के पाले में हैं वही तय करेंगे कि यह स्वयंवर होगा या नहीं। लेकिन इसी बीच उत्तराखंड का टिहरी जिला बकरियों का स्वयंवर कराने में बाजी मार ले गया है। इस स्वयंवर में आसपास के इलाके की बकरियां शामिल हुई। सजी धजी बकरियों का स्वयंवर रचाया गया। इन बकरियों के नाम भी अभिनेत्रियों के नाम पर दीपिका, प्रियंका औऱ करीना, कंगना, श्रद्धा और कैटरीना समेत तमाम बकरियां थीं। यह आयोजन पंतवाड़ी गांव में किया गया। यह कार्यक्रम उसी संस्था गोट विलेज ने कराया है जिसके साथ रेखा आर्य जुड़ना चाह रही थीं। स्वयंवर स्थल पर ग्रामीण धूमधाम से बारात लेकर आए और बकरियों को अपनी पसंद का साथी मिला।
ऐसे होता है स्वयंवर
स्वयंवर में तीन बकरियां और 15 बकरे होते हैं। एक बकरी के साथ पांच बकरों को एक बाड़े में छोड़ा जाता है। जिस बकरे में बकरी रुचि दिखाती है वही उसका साथी चुना जाता है। इसी तरह तीनों बकरियों को मनचाहा हमसफर मिल जाता है। स्वयंवर में मेंहदी, हल्दी, तिलक से लेकर विदाई तक होती है।
पूर्व सीएम हरीश रावत का कहना है कि सरकार के मंत्री जानवरों पर भी एकमत नहीं हैं, तो इंसानों का क्या होगा, यह विचारणीय प्रश्न है। तीन मंत्री मिलकर एक महिला मंत्री को हतोत्साहित करते रहे और मुख्यमंत्री इस प्रकरण पर मौन हैं। इससे सवाल खड़ा होता है कि क्या मुख्यमंत्री इनके बीच बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाए या वह खुद बकरी की शादी प्रकरण का लुत्फ उठाते रहे।