हार से टूटा पूर्व सीएम हरीश रावत का दिल, चुनावी राजनीति छोड़ने के संकेत
Uttarakhand News: पूर्व सीएम हरीश रावत का कहना है कि वो 55 साल से राजनीति के मैदान में सक्रिय हैं। अपने राजनीतिक जीवन के दौरान तमाम चुनाव लड़े।
Uttarakhand News: उत्तराखंड (Uttarakhand) में हाल में हुए विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत (Harish Rawat) का दिल तोड़ दिया है। इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस (Congress) की करारी हार के साथ ही रावत को खुद भी पराजय का स्वाद चखना पड़ा है। इस हार के झटके ने रावत को इस कदर तोड़ दिया है कि अब उन्होंने चुनावी राजनीति से रिटायर होने का संकेत किया है।
उनका कहना है कि मैं 55 साल से राजनीति के मैदान में सक्रिय बना हुआ हूं। मैंने अपने राजनीतिक जीवन के दौरान तमाम चुनाव लड़ लिए। अब कांग्रेस के दूसरे नेता भी राजनीति के मैदान में आगे बढ़ने के लिए बेचैन दिख रहे हैं। रावत का यह बयान सियासी नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है। जानकारों का मानना है कि हाल के चुनावों में कांग्रेस और अपनी पराजय ने रावत को बुरी तरह तोड़ दिया है।
भाजपा ने हासिल की है प्रचंड जीत
उत्तराखंड में हाल में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे का मुकाबला माना जा रहा था मगर भाजपा ने प्रचंड जीत हासिल करते हुए कांग्रेस को पूरी तरह बैकफुट पर ढकेल दिया है। भाजपा राज्य की 70 विधानसभा सीटों में से 47 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही है जबकि कांग्रेस के खाते में सिर्फ 19 सीटें ही आई हैं। हरीश रावत को 2017 के विधानसभा चुनाव में हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा था।
2019 के लोकसभा चुनाव में भी उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। इस बार के विधानसभा चुनाव में उन्होंने लालकुआं विधानसभा सीट से किस्मत आजमाई थी और इस बार भी उन्हें पराजित होना पड़ा। रावत को मिल रही लगातार हार को उनके राजनीतिक करियर का अंत माना जा रहा है।
चुनावी राजनीति से रिटायर होने के संकेत
अब रावत ने चुनावी राजनीति को अलविदा कहने का संकेत दिया है। उनका कहना है कि चुनावी मैदान में मेरे उतरने के बाद तमाम छिपे हुए पशु-पक्षी और कीट-जीव सब बाहर निकलकर आवाजें निकालने लगते हैं। उन्होंने कहा कि हथियार डाल देना कभी भी मेरे स्वभाव में नहीं रहा है मगर सच्चाई से मुंह भी नहीं मोड़ा जा सकता। रावत को उत्तराखंड में कांग्रेस का सबसे मजबूत चेहरा माना जाता रहा है और जानकारों का कहना है कि अब रावत के लिए राज्य की सियासत दरवाजे बंद होते दिखाई दे रहे हैं।
कांग्रेस समर्थन को भुनाने में नाकाम
वैसे रावत का यह भी मानना है कि हाल में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के लिए कई महत्वपूर्ण कारणों ने भी बड़ी भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी को भी राज्य के लोगों का व्यापक समर्थन हासिल था मगर पार्टी इस समर्थन को वोटों में तब्दील करने में कामयाब नहीं हो पाई। दूसरी ओर भाजपा ने अपनी लोकप्रियता को भुनाने में कामयाबी पाते हुए बड़ी जीत हासिल की।
उनका यह भी मानना है कि विधानसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस को बुरी हार का सामना करना पड़ा मगर 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी भाजपा को टक्कर देने में कामयाब होगी और राज्य की कई लोकसभा सीटों पर कांग्रेस को जीत हासिल होगी।
उन्होंने पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाने के भाजपा के फैसले को भी साहसिक कदम बताया। उन्होंने कहा कि भाजपा नेतृत्व ने कई वरिष्ठ नेताओं के बावजूद युवा धामी को मौका दिया और इस बार उनकी चुनावी हार के बाद उन्हें फिर से मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया।