Uttarakhand News: उत्तराखंड में 2018 के बाद हुए अंतर धार्मिक विवाहों की होगी जांच, सीएम का फैसला

Uttarakhand News: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अंतर धार्मिक विवाहों को लेकर बड़ा फ़ैसला लिया है। सीएम ने राज्य में धर्म की स्वतंत्रता अधिनियम (संशोधन) 2022 के किसी भी संभावित उल्लंघन की जांच कराने का निर्णय लिया है।

Update:2023-06-17 11:18 IST
सांकेतिक तस्वीर ( सोशल मीडिया)

Uttarakhand News: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अंतर धार्मिक विवाहों को लेकर बड़ा फ़ैसला लिया है। सीएम ने राज्य में धर्म की स्वतंत्रता अधिनियम (संशोधन) 2022 के किसी भी संभावित उल्लंघन की जांच कराने का निर्णय लिया है। इसके तहत पिछले 5 वर्षों यानी वर्ष 2018 के बाद राज्य में सभी अंतर-धार्मिक विवाहों की जांच कराई जाएगी। इस संबंध में पुलिस मुख्यालय की ओर से सभी जिलों के अधीक्षकों व वरिष्ठ अधीक्षकों को जांच करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं।

बता दें कि उत्तराखंड में लव जिहाद और अवैध धर्मांतरण का मुद्दा लगातार गरमाया हुआ है। राज्य में पिछले कुछ समय से अंतर धार्मिक शादियों से जुड़े कई मामले सामने आए हैं। इसलिए पुलिस ने राज्य में 2018 के बाद हुए अंतर धार्मिक मामलों की जांच करने की लिए कमर कस ली है। एडीजी कानून और व्यवस्था वी मुरुगेसन का कहना है कि इस मामले में जांच करने के लिए सभी 13 जिलों के एसएसपी और एसपी को पत्र लिखा है। साथ ही उन्होने कहा है कि अधिनियम का उलंघन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।

अंतर धार्मिक विवाह की होगी जांच

राज्य में धर्म की स्वतंत्रता अधिनियम (संशोधन) 2022 के तहत होने वाली जांच में साफ किया गया है कि 2018 के बाद हुई शादियों की जांच की जाएगी। पुलिस अंतर धार्मिक विवाहों के बाद जबरन धर्म परिवर्तन को लेकर भी जांच करेगी। पुलिस जांच में देखेगी की शादी के बाद में यदि किसी का धर्म परिवर्तन करवाया गया है तो उसमें नियमों का पालन किया गया है नहीं। एडीजी कानून और व्यवस्था वी मुरुगेशन ने बताया कि लव जिहाद और अंतर धार्मिक विवाहों के लगातार मामले आने के बाद जांच करवाने का फैसला लिया गया है।

पांच साल पहले लागू किया गया था नियम

बता दें कि उत्तराखंड में 2018 में जब धर्म की स्वतंत्रता अधिनियम को लागू किया गया था, उस दौरान कहा गया था कि धर्मांतरण करने से एक महीने पहले अपने जिले के जिलाधिकारी या क्षेत्र के कार्यकारी मजिस्ट्रेट को सूचना देनी होगी। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो जांच में दोषी पाए जाने पर 10 साल की जेल और 50 हजार रुपए के जुर्माना लगाया जाएगा।

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