Uttarakhand House collapses: उत्तराखंड में तबाही की शुरुआत, जोशीमठ पर सालों पहले हुई भविष्यवाणी सच

Uttarakhand House collapses: कर्णप्रयाग में 50 से अधिक घरों में दरारें आ गई हैं। यहां 'लैंड सिंकिंग' की घटनाएं भी सामने आई हैं।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2023-01-07 11:23 IST

Uttarakhand House Collapses: उत्तराखंड के पहाड़ी कस्बों में जमीन धंसने या डूबने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। जोशीमठ की घटनाओं के बाद कर्णप्रयाग में भी इसी तरह के मामले सामने आने से लोग बुरी तरह डरे हुए हैं।

दर्जनों घरों में दरारें

कर्णप्रयाग में 50 से अधिक घरों में दरारें आ गई हैं। यहां 'लैंड सिंकिंग' की घटनाएं भी सामने आई हैं। गढ़वाल के आयुक्त सुशील कुमार और आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा सहित विशेषज्ञ भूवैज्ञानिकों की एक टीम ने जोशीमठ में भू-जल प्रभावित क्षेत्रों का गहन सर्वेक्षण किया है। जोशीमठ में एनडीआरएफ की टीम तैनात करने के निर्देश दिए गए हैं।

घर घर सर्वे

वैज्ञानिकों की टीम ने जोशीमठ के मनोहर बाग, सिंगधार, जेपी, मारवाड़ी, सुनील गांव, विष्णु प्रयाग, रविग्राम, गांधीनगर आदि प्रभावित क्षेत्रों में घर-घर जाकर सर्वे किया है। उन्होंने तपोवन का भी दौरा किया और एनटीपीसी सुरंग के अंदर और बाहर किए जा रहे कार्यों का जायजा लिया। लगभग 50,000 की आबादी के साथ, कर्णप्रयाग समुद्र तल से 860 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जबकि जोशीमठ 1,890 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। कर्णप्रयाग जोशीमठ से 80 किमी की दूरी पर स्थित है।

दहशत का माहौल

कर्णप्रयाग के बहुगुणानगर, सीएमपी बैंड और सब्जी मंडी के ऊपरी हिस्से में रहने वाले 50 से अधिक परिवार भी दहशत में हैं। यहां घरों की दीवारों और आंगनों में दरारें और घरों की लटकती छत आपदा की पीड़ा कह रही है।

केंद्र ने पैनल बनाया

केंद्र सरकार ने जोशीमठ में भू-धंसाव का तेजी से अध्ययन करने के लिए एक पैनल का गठन किया है। पैनल में पर्यावरण और वन मंत्रालय, केंद्रीय जल आयोग, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन के प्रतिनिधि शामिल हैं। ये पैनल स्थिति का अध्ययन करके अपनी रिपोर्ट देगा कि धंसाव क्यों हो रहा है।

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