Uttarakhand News: इगास पर्व पर लंबी लकीर खींच गए सीएम धामी

Uttarakhand News: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Chief Minister Pushkar Singh Dhami) का बड़ा फैसला, लोकपर्व इगास पर राजकीय अवकाश घोषित

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Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update: 2021-11-12 12:57 GMT

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने महापर्व इगास पर घोषित किया राजकीय अवकाश (फोटो-न्यूजट्रैक)

Uttarakhand News: उत्तराखंड के लोकपर्व इगास (igas festival)/बूढ़ी दिवाली (boodhi diwali) पर राजकीय अवकाश घोषित (rajkiya avkash ghoshit) करके युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Chief Minister Pushkar Singh Dhami) ने लंबी लकीर खींच दी है। मुख्यमंत्री (Chief Minister Pushkar Singh Dhami) के इस निर्णय से जहां एक ओर प्रदेश की जन भावनाओं का सम्मान हुआ है, वहीं लोक पर्व के नाम पर सियासत करने वालों को भी करारा जवाब मिला है। उत्तराखंड के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब किसी सरकार ने लोकपर्व इगास (igas festival) को विशेष महत्व देते हुए राजकीय अवकाश घोषित (rajkiya avkash ghoshit) किया है। धामी सरकार के इस निर्णय के बाद भविष्य में हर साल इगास पर छुट्टी का आदेश जारी नहीं करना पड़ेगा। साथ ही उनका यह निर्णय लोक संस्कृति परंपराओं के संरक्षण और संवर्धन के क्षेत्र में ऐतिहासिक माना जायेगा। खास बात यह है क़ि मुख्यमंत्री ने अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए रविवार को पड़ रहे इगास पर्व की छुट्टी सोमवार को स्वीकृत की है, ताकि लोग अपने पैतृक गाँव जाकर उल्लास के साथ बूढ़ी दिवाली (boodhi diwali) मना सकें।

दरअसल पृथक राज्य गठन के बाद उत्तराखण्ड में लगातार मांग उठ रही थी कि इगास को सरकार खूब प्रचारित और प्रसारित करे ताकि इस लोकपर्व का संरक्षण और संवर्धन हो सके। लेकिन हर सरकार ने इस मामले में जनभावनाओं को दरकिनार किए रखा। तकरीबन दो दशक पुरानी इस मांग को अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Chief Minister Pushkar Singh Dhami) ने मजबूत इच्छाशक्ति दिखाते हुए पूरा करने का निर्णय लिया है। धामी सरकार ने इगास पर्व (igas festival) पर राजकीय अवकाश (rajkiya avkash ghoshit) की घोषणा की हैं और इसे व्यापक स्तर पर उल्लास के साथ मानने का आह्वान किया है।


मुख्यमंत्री के इस निर्णय की केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने सराहना की है। सोशल मीडिया में आम लोग मुख्यमंत्री धामी की दिल खोलकर तारीफ कर रहे हैं।

400 साल पुरानी है इगास मानने की परंपरा

एक पौराणिक मान्यता के अनुसार करीब 400 साल पहले बीर भड़ माधो सिंह भंडारी (Bir Bhad Madho Singh Bhandari) के नेतृत्व में टिहरी, उत्तरकाशी, जौनसार और श्रीनगर समेत अन्य क्षेत्रों से योद्धाओं को बुलाकर सेना तैयार की गई थी और तिब्बत पर हमला बोलते हुए तिब्बत सीमा पर मुनारें गाड़ दी थीं। इस दौरान बर्फ से पूरे रास्ते बंद हो गए। कहा जाता है कि पूरे गढ़वाल में उस साल दिवाली नहीं मनाई गई, लेकिन दीवाली के ग्यारह दिन बाद जब माधो सिंह (Bir Bhad Madho Singh Bhandari) युद्ध जीत कर वापस गढ़वाल पहुंचे तब पूरे इलाक़े के लोगों ने भव्य तरीक़े से दीवाली मनाई, तब से ही गढ़वाल में इसे कार्तिक माह की एकादशी यानी इगास बग्वाल के रूप में मनाया जाता है।

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