Uttarakhand Pollution: शहरों में डीजल-पेट्रोल के ऑटो पर लगेगी रोक, वायु प्रदूषण कम करने की कवायद

Uttarakhand Pollution: सरकार इन शहरों में डीजल-पेट्रोल से चलने वाली ऑटो पर रोक लगाने का मन बना रही है। 1 नवंबर को गढ़वाल आयुक्त कैंप कार्यालय की बैठक में प्रस्ताव भी लाया जाएगा।

Update:2022-10-28 13:38 IST

 डीजल-पेट्रोल के ऑटो पर लगेगी रोक (Pic: Social Media)

Uttarakhand Pollution: इस साल दिवाली से पहले ही दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत के कई शहरों की आबोहवा जहरीली होने लगी। दिवाली के बाद वायु प्रदूषण का स्तर और बढ़ा है। साफ एवं स्वच्छ वातावरण के लिए मशहूर रहे पहाड़ों के शहर भी प्रदूषित हो रहे हैं। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून और ऋषिकेश की हवा खराब होती जा रही है। ऐसे में राज्य सरकार इन शहरों में डीजल-पेट्रोल से चलने वाली ऑटो पर रोक लगाने का मन बना रही है। इस बाबत 1 नवंबर को गढ़वाल आयुक्त कैंप कार्यालय में होने वाली संभागीय परिवहन प्राधिकरण की बैठक में प्रस्ताव लाया जाएगा।

राज्य सरकार का मानना है कि वायु प्रदूषण बढ़ाने में पेट्रोल औऱ डीजल से चलनी वाली गाड़ियों का अहम योगदान है। शहरों में इनकी संख्या काफी बढ़ चुकी है, जिससे वहां की आबोहवा प्रदूषित होने लगी है। एनजीटी ने साल 2019 में सरकार को वायु प्रदूषण कम करने के निर्देश दिए थे। केंद्र सरकार ने देहरादून और ऋषिकेश को राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत चयनित किया है। अगले साल यानी मार्च 2023 तक शहरों को वायु प्रदूषण से मुक्त करने की योजना है।

अब इन वाहनों का ही मिलेगा परमिट

देहरादून और ऋषिकेश में अब पेट्रोल-डीजल से चलने वाले ऑटो – विक्रम को परमिट नहीं मिलेगी। हालांकि, सरकार पेट्रोल-डीजल ऑटो–विक्रम को कुछ राहत भी देने जा रही है। पेट्रोल-डीजल ऑटो – विक्रम के परमिट पर संचालक सीएनजी वाले ऑटो–विक्रम ले सकते हैं।

अन्य शहरों में भी लागू हो सकता है ये मॉडल

देहरादून और ऋषिकेश के अलावा उत्तराखंड के अन्य शहरों जैसे हरिद्वार और रूड़की में भी ये मॉडल लागू हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि संभागीय परिवहन प्राधिकरण यानी आरटीए के आदेश यहां भी लागू होते हैं। हालांकि, ये दोनों शहर राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के अंतर्गत शामिल नहीं किया गए हैं। लेकिन संभव है कि राज्य सरकार इन शहरों में भी प्रदूषण के बढ़ रहे स्तर को देखते हुए यहां भी पेट्रोल-डीजल चालित ऑटो-विक्रम पर पाबंदी लगा सकती है।

बता दें कि प्राधिकरण मार्च 2023 तक शहरों को प्रदूषण मुक्त करने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए अगले 4 माह में पेट्रोल-डीजल से चलने वाले ऑटो-बिक्रम को सड़क से पूरी तरह बाहर करने की तैयारी कर रहा है।   

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