Uttarakhand: राजनाथ सिंह के करीबी माने जाते हैं पुष्कर सिंह धामी, आज लेंगे CM पद की शपथ

Uttarakhand: उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कुमाऊं क्षेत्र के उधम सिंह नगर जिले की खटीमा सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं। 45 साल के पुष्कर सिंह धामी के राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से बेहद अच्छे रिश्ते हैं।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Ashiki
Update: 2021-07-03 11:53 GMT

Pushkar Singh Dhami (Photo- Social Media)

नई दिल्ली: उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) कुमाऊं क्षेत्र के उधम सिंह नगर जिले की खटीमा सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं। 45 साल के पुष्कर सिंह धामी के राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) से बेहद अच्छे रिश्ते हैं। उनको केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) का करीबी भी माना जाता है।

धामी पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (ओएसडी) भी रह चुके हैं। धामी युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उन्होंने एलएलबी की शिक्षा प्राप्त की है। 2017 के चुनावी हलफनामे में उन्होंने अपना पेशा वकालत बताया था। उनका जन्म जनपद पिथौरागढ़ की ग्राम सभा टुण्डी, तहसील डीडीहाट में हुआ था।


एबीवीपी से जुड़े रहे

सन 1990 से 1999 तक जिले से लेकर राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर तक धामी ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में विभिन्न पदों में रहकर कार्य किया है। इसी दौरान अलग-अलग दायित्वों के साथ-साथ प्रदेश मंत्री के तौर पर लखनऊ में हुये अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सम्मेलन में संयोजक एवं संचालन कर प्रमुख भूमिका निभाई।

धामी की अपनी वेबसाईट में लिखा है कि - कुशल नेतृत्व क्षमता, संधर्षशीलता एवं अदम्य सहास के कारण दो बार भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए सन 2002 से 2008 तक छः वर्षों तक लगातार पूरे प्रदेश में जगह-जगह भ्रमण कर युवा बेरोजगार को संगठित करके अनेकों विशाल रैलियां एवं सम्मेलन आयोजित किये. संघर्षों के परिणाम स्वरूप तत्कालीन प्रदेश सरकार से स्थानीय युवाओं को 70 प्रतिशत आरक्षण राज्य के उद्योगों में दिलाने में सफलता प्राप्त की। इसी क्रम में दिनांक 11.01.2005 को प्रदेश के 90 युवाओं को जोड़कर विधान सभा का धेराव हेतु एक ऐतिहासिक रैली आयोजित की गयी जिसे युवा शक्ति प्रदर्शन के रूप में उदाहरण स्वरूप आज भी याद किया जाता है।


कुशल नेतृत्व क्षमता तथा शैक्षिणिक एवं व्यावसायिक योग्यता के कारण 2010 से 2012 तक शहरी विकास अनुश्रवण परिषद के उपाध्यक्ष के रूप में कार्यशील रहते हुए क्षेत्र की जनता की समस्याओं का समाधान कराने में आशातीत सफलता प्राप्त की। 

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