Afghanistan New Flag : तालिबान क्यों बदलना चाहता है अफगानिस्तान का झंडा, ISIS से क्या है संबंध

Afghanistan New Flag 2021: तालिबानियों ने अफगानिस्तान का नाम बदलकर इस्लामिक एमिरेट् ऑफ अफगानिस्तान करने का प्रस्ताव किया है । देश का नया नाम होगा तो झंडा भी नया होगा।

Written By :  Akhilesh Tiwari
Published By :  Shivani
Update:2021-08-24 13:28 IST

अफगानिस्तान, तालिबान और ISIS का ध्वज (Photo Design)

Afghanistan New Flag 2021: अफगानिस्तान में तालिबानियों के हालिया कब्जे के बाद जलालाबाद में सैकड़ों लोगों ने घर से बाहर निकल कर तालिबान के खिलाफ प्रदर्शन किया। तालिबानियों का झंडा हटाकर अफगानिस्तान का झंडा बुलंद किया। तालिबानियों ने इस मौके पर लोगों को डराने के लिए हवा में गोलियां भी चलाई। पंजशीर घाटी की ओर बढ़ती तालिबान सेना के साथ उसका झंडा भी दिखाई दिया है । अफगानिस्तान के राष्ट्रीय ध्वज को तालिबानी झंडे में बदलने का अफगानी ही विरोध कर रहे हैं। आईएसआईएस के झंडे की तरह दिखने वाले तालिबानी झंडे से अफगानिस्तान की पहचान बदल जाने का खतरा है।

अफगानिस्तान का नया नाम क्या होगा  

Taliban Declares 'Islamic Emirate of Afghanistan' - तालिबानियों ने अफगानिस्तान का नाम बदलकर इस्लामिक एमिरेट् ऑफ अफगानिस्तान करने का प्रस्ताव किया है । देश का नया नाम होगा तो झंडा भी नया होगा। ऐसे में तालिबानी झंडे को राष्ट्रध्वज का दर्जा देने की संभावना सबसे अधिक है। इस आशंका को अफगानिस्तान के लोग भी महसूस कर रहे हैं इसलिए वह इसका विरोध कर रहे हैं।

अफगानिस्तान का राष्ट्रीय ध्वज का रंग 

Afghanistan Flag Symbol - अफगानिस्तान के जलालाबाद में जब स्थानीय नागरिकों ने तालिबान के सफेद रंग वाले झंडे को हटाकर अफगानिस्तान का तीन रंग( लाल, हरा और काला) वाला राष्ट्रीय ध्वज फहराया तो सभी का ध्यान तालिबान के झंडे की ओर गया। झंडा हटाए जाने से नाराज तालिबानियों ने हवा में गोलियां चलाई और विरोध बढ़ने पर 4 लोगों को मार डाला। गोलीबारी में 13 लोग घायल भी हुए। इस विरोध प्रदर्शन के दौरान अफगानिस्तान के लोगों को जलालाबाद के सड़कों पर राष्ट्रीय ध्वज के साथ मार्च करते हुए भी देखा गया। इसके साथ ही यह चर्चा भी अफगानिस्तान में तेज हो गई है कि क्या तालिबानी नेता अफगानिस्तान के झंडे को हटाकर देश की पहचान के तौर पर तालिबानी झंडे को लाना चाहते हैं।


तालिबानी झंडे का इतिहास

Talibani Flag History- तालिबान अपने झंडे का इस्तेमाल दो दशक से भी लंबे समय से कर रहा है । "तालिबान इस्लामिक एमिरेट" का ऐलान करने के साथ ही तालिबान ने अपना झंडा अपनाया है। यह सफेद रंग पर काले रंग के उभरे अक्षरों वाला झंडा है . जिसमें इस्लामिक शहादा को शामिल किया गया है।

अफगानिस्तान के तीन रंग वाले ध्वज में भी शहादा का इस्तेमाल किया गया है लेकिन तालिबान के झंडे के मुकाबले अक्षरों का आकार थोड़ा छोटा है।


तालिबानियों ने अफगानिस्तान को 1996 में जब "इस्लामिक एमिरेट्स" बनाने का एलान किया था तब उन्होंने जो झंडा अपनाया था। वह पूरी तरह से सफेद था। तब तालिबानियों ने कहा था कि यह झंडा उनके इस्लाम में विश्वास और सरकार की शुद्धता का प्रतीक है। 1997 में तालिबान ने अपने झंडे में शहादा को जोड़ दिया। इसमें जिस तरह के अक्षरों के आकार का इस्तेमाल किया गया है वह पैगंबर मोहम्मद साहब की ओर से लिखे गए पत्रों के ऊपर लगी मुहर से मिलता जुलता है।

तालिबान और आईएसआईएस का झंडा

ISIS Flag Symbol- आईएसआईएस के झंडे में भी शहादा का इस्तेमाल किया गया है। काले रंग के झंडे पर बीचोबीच सफेद बैकग्राउंड पर शहादा यानी इस्लाम की गवाही वाला कलमा लिखा है। तालिबान और आईएसआईएस का झंडा लगभग एक जैसा है। अंतर केवल इतना है कि तालिबान का झंडा पूरी तरह सफेद बैकग्राउंड पर काले उभरे अक्षरों वाले शहादा के साथ है जबकि आईएसआईएस का झंडा काले बैकग्राउंड पर बीच में सफेद रंग पर काले अक्षरों से लिखे गए शहादा के तौर पर है।


अलकायदा का झंडा (Jihadist flag)

Al Qaeda Flag -अलकायदा का झंडा भी आईएसआईएस और तालिबान की तरह ही है। इसमें भी शहादा का इस्तेमाल किया गया है अंतर केवल इतना है कि काले रंग के झंडे पर पीले रंग से शहादा लिखा गया है और बीच में पीले रंग का एक वृत्त बना हुआ है। अलकायदा ने कई बार अपने झंडे में पीले के बजाय सफेद रंग का प्रयोग भी किया है। लेकिन शहादा को फॉलो करने में अलकायदा, आईएसआईएस और तालिबान तीनों संगठनों की भावना एक जैसी है।

क्या है शहादा और इसका मतलब (Shahada Meaning)

Shahada in Islam - शहादत यानी शहादा को इस्लाम के पांच मूल तत्वों में शामिल किया गया है। शहादा उसमें पहला है। यह एक तरह की शपथ है जिसमें कहा गया है कि मैं अल्लाह की इबादत में विश्वास करता हूं और मैं गवाही देता हूं कि खुदा के अलावा दूसरा कोई नहीं है और मोहम्मद उसके भेजे हुए पैगंबर हैं। इसे ही शहादा कहा गया है। मौलाना एजाज अहमद खान रज्जाकी बताते हैं कि यह वह गवाही है जो कोई भी इंसान अपना ईमान लाते हुए देता है और यह स्वीकार करता है कि इस दुनिया में खुदा ही इकलौता है जो इबादत करने लायक है, मोहम्मद साहब उनके भेजे हुए रसूल हैं। उन्होंने बताया कि यही कलमा है जो इस्लाम का पहला उसूल है।

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