लंदन : पिछले अप्रैल से चल रहा डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाने का सिलसिला जून में भी जारी है। बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की 125 वीं जयंती के उपलक्ष्य में ब्रिटेन में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमंस में आयोजित कार्यक्रम में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के जाने-माने लेखक और नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन व डॉ.बीपी अशोक मौजूद थे। उल्लेखनीय है कि डॉ.बीपी अशोक उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी हैं।
लंदन में इस खास कार्यक्रम को 'लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स', 'फेडरेशन ऑफ अंबेडकराइट' और बौद्ध धर्म के संगठनों द्वारा आयोजित किया गया था।
बौद्ध धर्म विश्व शांति के लिए श्रद्धांजलि है
इस मौके पर डॉ.बीपी अशोक ने कहा, 'डॉ. भीमराव अंबेडकर ने बौद्ध धर्म को अपनाया जो कि भारतीय एकता- संस्कृति और विश्व शांति के लिए एक श्रद्धांजलि की तरह थी। दुनिया विश्व शांति, नैतिकता, लोकतंत्र, विज्ञान और विकास चाहती थी जिसकी बौद्ध धर्म ने वकालत की है।' भारत का संविधान केवल एक राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक गाइड नहीं है। निर्वाचित प्रतिनिधियों को कानून और नियमों का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा, उच्च शिक्षा सभी बीमारियों के लिए रामबाण है।
उच्च शिक्षा से मिली सांस्कृतिक आजादी
डॉ. अशोक का कहना था कि डॉ. अंबेडकर का 'लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स' में प्रवेश पाना ही हमारी सामाजिक और सांस्कृतिक आजादी के युद्ध को जीतना है। अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों की अज्ञानता को राष्ट्रवाद के रूप में करार नहीं किया जा सकता है।
भगवाकरण भारतीयता नहीं
भगवाकरण का मतलब भारतीयता नहीं है। किसी भी देश की सरकार इतिहास, विज्ञान और राष्ट्र को फिर से परिभाषित नहीं कर सकती । ये परिभाषाएं सभी शब्दकोषों में सभी भाषाओं में पहले से ही स्पष्ट हैं। उन्होंने कहा, बहुजनों को अपने दोस्तों की तरह दुश्मनों की पहचान करने की जरूरत है।
शिक्षा से पूरा होगा अंबेडकर मिशन
अंबेडकर मिशन का मतलब शोषित तबके की स्थिति में वृद्धि करना है। जरूरतमंद बहुजनों को अच्छी शिक्षा उपलब्ध कराएं जिससे वह सामाजिक अभियान में भुगतान वापसी कर सकें और सत्ता पर बराबरी की हिस्सेदारी हासिल कर सकें। अधिकारों की पर्याप्त प्रतिनिधित्व की वकालत के लिए डॉ. अंबेडकर बहु प्रासांगिक हैं। अधिकारों की गंभीर मांग लोगों की जरूरत है।
महिलाएं बनें अंबेडकरवाद की एजेंट
डॉ.अशोक ने कहा, आंदोलनों में समय और संसाधनों की बर्बादी मंदिर में जैसे बहुजनों के प्रवेश जैसे हैं। इसका मतलब है कि अंबेडकर के दर्शन को समझना होगा। बहुजन महिलाएं अंबेडकरवाद के एजेंट के रूप में काम कर सकती हैं। उनके पास महान क्षमता है। वे समाज और संस्कृति को बदलने के लिए आंदोलन कर सकती हैं।
'जाति का विनाश' जरूर पढ़ें
सभी निष्क्रिय बहुजनों को शिक्षित करने के लिए डॉ.भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखित किताब 'जाति का विनाश' को वितरित किया जाना चाहिए। डॉ. अंबेडकर की भूमिका सम्पूर्ण मानव जाति के कल्याण के साथ जुड़ी हुई है।
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के सपनों को पूरा करने के लिए प्रस्ताव भी पास किया गया। प्रस्ताव के तहत इन बिंदुओं को शामिल किया गया।
-सभी देशों को जातिवाद के खिलाफ कानून बनाने चाहिए। जाति, वायरस की तरह तेजी से फैल रही है।
-दुनिया भर में जनसंख्या अनुपात के प्रतिनिधि के तुलनात्मक अध्ययन के बाद पाया है कि भारत के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों से बहुजनों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए संसद में संशोधन लाया जाना चाहिए।
-भारत को लोकतंत्र संरक्षण विधेयक की जरूरत है।
-आरक्षण और बहुजनों की सुरक्षा व प्रतिनिधित्व के लिए विधेयक पारित किया जाना चाहिए।
-अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण जनसंख्या के हिसाब से दिया जाना चाहिए।
-महिला आरक्षण विधेयक को भारत में पारित किया जाना चाहिए और खाप पंचायतों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। ऑनर किलिंग पर भी रोक लगानी चाहिए।
-मानवता को बचाने के लिए दुनिया भर में अंतरजातीय विवाह को समर्थन किया जाना चाहिए।
-अंग्रेजी भाषा को साक्षरता की परिभाषा का अनिवार्य हिस्सा बनाया जाना चाहिए।
-अम्बेडकरवादी और बौद्ध संगठनों के महासंघ को इन मांगों को आगे बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाना चाहिए।