Hybrid Corona Varient: अमेरिकी वैज्ञानिकों ने विकसित किया कोरोना का नया खतरनाक वेरिएंट, 80 फीसदी है मृत्यु दर

Hybrid Corona Varient: अमेरिका के बोस्टन शहर में वैज्ञानिकों ने लैब में हाईब्रिड कोरोनावायरस तैयार किया है, जो महाविनाशक है। इसके वायरस की चपेट में आने पर 100 में से 80 लोगों की मौत निश्चित है।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2022-10-18 16:58 IST

Hybrid Corona Varient (image social media)

Hybrid Corona Varient: दुनिया अभी भी कोरोना महामारी (Coronavirus) के कहर से पूरी तरह उबर नहीं पाई है। कई दौरे के टीकाकरण (Corona Vaccination) के बावजूद कोविड-19 के रोजाना नए मामले सामने आ रहे हैं। दो साल के कोरोना प्रतिबंधों के कारण लगे आर्थिक झटकों से दुनिया अब तक संभल नहीं पाई है। कोरोनावायरस का स्त्रोत माने जाने वाले चीन में फिर से लॉकडाउन जैसे हालात हैं। ऐसे समय में जब दुनियाभर के वैज्ञानिक और हेल्थ एक्सपर्ट कोरोना के विरूद्ध अधिक कारगर टीके को विकसित करने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं, अमेरिकी वैज्ञानिकों ने लैब में कोरोना का अबतक का सबसे खतरनाक वेरिएंट डेवलप किया है।

लैब में हाईब्रिड कोरोनावायरस किया तैयार

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका के बोस्टन शहर में वैज्ञानिकों ने लैब में हाईब्रिड कोरोनावायरस तैयार किया है, जो महाविनाशक है। इसके वायरस की चपेट में आने पर 100 में से 80 लोगों की मौत निश्चित है। कोरोना वायरस के इस वेरिएंट का टेस्ट चूहों पर किया गया है और पता चला है कि ये अत्यधिक संक्रामक होने के साथ – साथ अत्यधिक जानलेवा भी है और 80 प्रतिशत चूहों की मौत भी हो जाती है।

वैज्ञानिकों ने इस पर जताई चिंता

बोस्टन के लैब में अमेरिकी वैज्ञानिकों द्वारा अब तक के सबसे घातक कोरोना वेरिएंट के डेवलप करने पर अन्य देशों के वैज्ञानिक समुदाय की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया आई है। दुनिया के कई वैज्ञानिकों ने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि लैब में इतना खतरनाक वायरस तैयार करना मानव जीवन के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है। जिस कोरोना वायरस से दुनिया अभी भी परेशान है, अगर ये बाहर आ गया तो पूरी दुनिया में तबाही मचा देगा।

वहीं, बोस्टन के वैज्ञानिकों का कहना है कि जिस वायरस को तैयार किया गया है, वो कोरोना वायरस का ही एक म्यूटेंट वेरिएंट है और इसे ओमिक्रॉन वेरिएंट और मूल कोविड19 वायरस को मिलाकर एक हाइब्रिड वैरिएंट तैयार किया गया है। उनका कहना है कि इस वेरिएंट का मकसद वायरस के स्पाइक प्रोटीन की भूमिका को समझना है।

क्यों चिंतित है वैज्ञानिक जमात

दरअसल, पिछले दो सालों से कोरोना महामारी के कारण पूरी दुनिया परेशान है। 60 लाख से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। इस जानलेवा वायरस की शुरूआत चीन के वुहान शहर स्थित मांस के बाजार से हुई थी। ये बाजार हाई सिक्योरिटी वाले वायरोलॉजी लैब से लगभग 12 किमी दूर था। कई थ्योरी के मुताबिक, वायरस इसी लैब से लीक होकर बाजार तक पहुंचा। फिर धीरे-धीरे वहीं से पूरी दुनिया में फैल गया। चीन ने आज तक इसकी सही से जांच नहीं होने दी कि, क्या वुहान के इसी प्रयोगशाला से वायरस लीक हुआ था या नहीं और न ही चीन ने आज तक अपनी जिम्मेदारी कबूल की है। इसलिए वैज्ञानिकों का मानना है कि इसकी क्या गारंटी है कि लैब से ये खतरनाक वायरस लीक न हो।

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