Political Anger: वोटर्स को लुभाने के लिए गुस्से का इस्तेमाल करते हैं नेता!

शोधकर्ताओं के अनुसार राजनेता चाहते हैं कि उनको दोबारा चुना जाए और इस उद्देश्य को पाने के लिए वे एक शक्तिशाली औजार के रूप में गुस्से का इस्तेमाल कर सकते हैं।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Shreya
Update:2021-07-20 16:44 IST

(सांकेतिक फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Political Anger: जो राजनेता गुस्से का इजहार करते हैं, भाषणों में गुस्सा दिखाते हैं उनको ये रणनीति चुनावों में अच्छा खासा फायदा पहुंचाती है। अमेरिका की कोलोराडो बोल्डर यूनिवर्सिटी तथा यूएस एयर फोर्स अकादमी के शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि राजनीतिक उत्तेजना आसानी से फैल जाती है। लोग जब समाचारों में नेताओं की गुस्से से भरी भावनाओं के बारे में पढ़ते हैं तो वे उसके साथ अपने को जोड़ने लगते हैं।

इस तरह का भावनात्मक संक्रमण, मतदाताओं को किसी के पक्ष में वोट देने के लिए प्रेरित तक कर सकता है। जो लोग राजनीति से सरोकार नहीं रखते वे भी भावनात्मक संक्रमण की गिरफ्त में आ सकते हैं। 

गुस्सा होता है शक्तिशाली औजार

शोधकर्ताओं के अनुसार राजनेता चाहते हैं कि उनको दोबारा चुना जाए और इस उद्देश्य को पाने के लिए वे एक शक्तिशाली औजार के रूप में गुस्से का इस्तेमाल कर सकते हैं। राजनीति विज्ञान के शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च पोलिटिकल रिसर्च क्वार्टरली में प्रकाशित की है।

शोधकर्ताओं ने लोगों का ऑनलाइन सर्वे किया और उनके सामने किसी छद्म राजनीतिक डिबेट की खबरें पेश कीं। शोधकर्ताओं ने देखा कि जब लोगों ने अपनी पसंद की पार्टी ने नेता की गुस्से और आक्रोश वाली खबरें पढ़ीं तो वे खुद भी गुस्से से उबलने लगे। ऐसे लोगों ने कहा कि वे खुद रैलियों में शामिल हो सकते हैं या वित्त देने जरूर जाएंगे।

शोधकर्ताओं का कहना है कि गुस्सा एक बहुत शक्तिशाली अल्पकालिक इमोशन है जो लोगों को एक्शन के लिए प्रेरित करता है। लेकिन इसका एक नकारात्मक पहलू ये है कि लम्बे समय में ये गुस्सा हिंसा और उत्तेजना में बदल सकता है।

रैली में जुटी भीड़ (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

गुस्सा और पॉलिटिक्स का गहरा संबंध

यूं तो ये रिसर्च अमेरिका में की गई है लेकिन शोधकर्ताओं का मानना है कि ऐसी भावनाएं सभी जगह पाई जाती हैं और पॉलिटीशियन इसका भरपूर फायदा उठाते हैं। अमेरिका की बात करें तो वहां गुस्सा और पॉलिटिक्स का गहरा संबंध है। देश के दूसरे प्रेसिडेंट जॉन एडम्स के समय से इसका प्रभाव देखा जा रहा है।

हाल फिलहाल में 2020 के अमेरिकी चुनाव के पहले प्यू रिसर्च सेंटर ने बताया था कि डोनाल्ड ट्रम्प और जो बिडेन के समर्थक गुस्से से भरे हैं। इसके पीछे नेताओं की गुस्से भरी शब्दावली का इस्तेमाल का योगदान था। इसका नतीजा चुनावों के पहले जगह जगह हिंसा और चुनाव के बाद कैपिटल हिल पर धावा बोलने के रूप में सामने आया।

ऐसे मतदाताओं को लुभाते हैं नेता

इस स्टडी से ये भी पता चला है कि नेताओं के गुस्से भरे अंदाज और भाषा से वो मतदाता ज्यादा प्रभावित होते हैं जो किसी भी पार्टी के कट्टर समर्थक नहीं होते, बल्कि मध्यममार्गी होते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि धुर वाम या दक्षिणपंथी तो पहले से भरे बैठे होते हैं लेकिन जो बीच वाले हैं जिनका कोई स्पष्ट झुकाव नहीं है उनके इमोशन में बदलाव आने की सबसे ज्यादा संभावना होती है। 

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