पृथ्वी पर मडरा रहा है ये बड़ा खतरा, मच सकती है 1908 जैसी तबाही
ब्रह्मांड का एक क्षुद्रग्रह (पत्थर का विशाल टुकड़ा) पृथ्वी की तरफ तेजी से बढ़ रहा जो आने वाले दिनों में धरती के लिए मुसीबत बन सकता है। इस क्षुद्रग्रह (एस्टेरॉयड) को 2000 QW7 का नाम रखा गया है। अगर यह पृथ्वी से टकराता है तो पूरी दुनिया में भारी तबाही मच सकती है।
नई दिल्ली: ब्रह्मांड का एक क्षुद्रग्रह (पत्थर का विशाल टुकड़ा) पृथ्वी की तरफ तेजी से बढ़ रहा जो आने वाले दिनों में धरती के लिए मुसीबत बन सकता है। इस क्षुद्रग्रह (एस्टेरॉयड) को 2000 QW7 का नाम रखा गया है। अगर यह पृथ्वी से टकराता है तो पूरी दुनिया में भारी तबाही मच सकती है।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने कहा कि सिडनी हार्बर ब्रिज की लंबाई के बराबर यह एस्टेरॉयड पृथ्वी की ओर तेजी से आ रहा है। यह एस्टेरॉयड 23,100 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से 14 सितंबर को लगभग 5.3 मिलियन किलोमीटर की सुरक्षित दूरी से पृथ्वी के पास से गुजरेगा।
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एक दूसरी रिपोर्ट के मुताबिक इसे एस्टेरॉयड का करीबी मुठभेड़ माना जाता है। 2000 QW7 पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी से लगभग 13.87 गुना अधिक दूरी से गुजरेगा।
वस्तुओं को पृथ्वी के निकट माना जाता है यदि एस्टेरॉयड 149.6 मिलियन किलोमीटर के भीतर से गुजरता हो। पृथ्वी के करीब आने को लेकर नासा ने चेतावनी जारी की है।
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एस्टेरॉयड पृथ्वी की तरह ही सूर्य की परिक्रमा करता है और आखिरी बार साल 2000 में 1 सितंबर को यह पृथ्वी के संपर्क में आया था। एक और थोड़ा छोटा एस्टेरॉयड QV89 साल 2006 में 27 सितंबर को पृथ्वी के पास से गुजरने वाला था लेकिन जुलाई महीने के बाद उसे फिर नहीं देखा गया।
30 मीटर की चट्टान वाला यह एस्टेरॉयड बहुत दूर से देखा जा सकता है, लेकिन यह फिर भी नहीं नजर आ रहा था, लेकिन जुलाई और अगस्त महीने में नासा के सेंटर फॉर NEO स्टडीज (CNEOS) ने दूरबीनों के माध्यम से देखा तो पता चला कि यह फिर से दिखाई दे रहा है।
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ब्रह्मांड में बहुत से उल्कापिंड, धूमकेतु और क्षुद्र ग्रह तैर रहे हैं और ये बेकाबू हैं और किसी भी ग्रह के गुरुत्वाकर्षण के दायरे में आने पर उससे टकराकर खत्म हो जाते हैं। ऐसा टकराव भारी तबाही ला सकता है।
धरती पर इसका एक सबूत 1908 में साइबेरिया के टुंगुस्का में देखा गया था। जब एक क्षुद्र ग्रह धरती से टकराने से पहले जलकर नष्ट हो गया था। इसकी वजह से करीब 100 मीटर बड़ा आग का गोला बना था। इसकी चपेट में आकर 8 करोड़ पेड़ नष्ट हो गए थे।
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ऐसी किसी तबाही से बचाने के लिए दुनिया के कई वैज्ञानिक जुटे हुए हैं। वे किसी एस्टेरॉयड के धरती से टकराने का पूर्वानुमान लगाकर, उससे निपटने के उपाय तलाश रहे हैं।