कार में हुआ इतना भीषण धमाका, हवा में उड़ गये लाशों के चीथड़े, शवों की गिनती जारी
जब तालिबान ने संगीत पर प्रतिबंध लगाया तो फरनूद के परिवार को टीवी एंटीना को पेड़ से छिपाना पड़ा। उनके मुताबिक, हमने 18 सालों में जो भी उपलब्धियां हासिल की हैं, वह तालिबान के दौर में नहीं थीं।
नई दिल्ली: इस वक्त की बड़ी खबर अफगानिस्तान से आ रही है। यहां के पक्तिया प्रांत में एक कार के अंदर जोरदार धमाका हुआ है। जिसमें अफगानिस्तान की सेना के कम से कम 15 कर्मियों के मारे जाने की खबर है। ये घटना रोहानी बाबा जिले में सेना की चौकी के पास हुई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, किसी भी समूह ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। इस बीच, सोमवार सुबह काबुल में ख्वाजा सब्ज़ पोश इलाके में एक चुंबकीय आईईडी विस्फोट हुआ, जिसमें एक सुरक्षा बल का जवान और एक नागरिक घायल हो गया।
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अफगानिस्तान में कट्टर तालिबानी कहीं ज्यादा मजबूत स्थिति में
अमेरिका ने 9/11 हमले के बाद अफगानिस्तान में सत्तारूढ़ तालिबान पर हमला किया था। तबसे ये संघर्ष जारी है और ये अब तक का सबसे लंबा युद्ध साबित हो चुका है। लेकिन कट्टर तालिबानी अब पहले से कहीं ज्यादा मजबूत स्थिति में दिखाई दे रहे हैं।
अल कायदा को पनाह
बता दें कि अमेरिका ने 7 अक्टूबर 2001 को अफगानिस्तान में अल कायदा को पनाह देने वाले तालिबान के खिलाफ हमला बोला था। ये हमले अमेरिकी में हुए आतंकी हमले के कुछ हफ्ते बाद हुए थे जिनमें करीब 3,000 लोगों की जान चली गई थी। अफगानिस्तान में अमेरिका ने इस्लामिक शासन को खत्म तो कर दिया है लेकिन 19 साल बाद अब तालिबान फिर से सत्ता में लौटने की कोशिश कर रहा है।
इसी साल उसने अमेरिका के साथ सेना वापसी पर ऐतिहासिक समझौता किया और फिलहाल अफगान सरकार के साथ शांति समझौता कर रहा है।
इन सबके बीच अफगानिस्तान में लोगों के मन में तालिबान को लेकर डर है। एक दौर ऐसा था जब वह अपने शासन के दौरान व्यभिचार के आरोप में महिलाओं को मौत के घाट उतार देता था, अल्पसंख्यक धर्म के सदस्यों को मारता था और उसके आतंकी लड़कियों को स्कूल जाने से रोक देते थे। कई अफगान तालिबान के नए युग को लेकर चिंतित हैं।
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महिला अधिकारों और अभिव्यक्ति की आजादी जैसे मुद्दों पर चर्चा नहीं की
काबुल की 26 साल की कतायून अहमदी को आज भी अच्छे से याद है कि काबुल की सड़कों पर कैसे मामूली अपराध के लिए तालिबान शरिया कानून के तहत हाथ और उंगलियां काट दिया करता था। 2001 के हमले ने युवा अफगानों के लिए कुछ स्थायी सुधारों की शुरुआत की, खासतौर पर लड़कियों के लिए और उन्हें शिक्षा का अधिकार भी मिला।
दोहा में पिछले महीने शुरू हुई शांति वार्ता में तालिबान ने महिला अधिकारों और अभिव्यक्ति की आजादी जैसे मुद्दों पर चर्चा नहीं की।
अहमदी के पति फराज फरनूद कहते हैं कि तालिबान और वॉशिंगटन में समझौते के बाद तालिबान की हिंसा से यह पता चलता है कि तालिबानी चरमपंथियों में कोई बदलाव नहीं आया है।
35 साल के फरनूद जब छोटे थे तब उन्होंने तालिबानी चरमपंथियों को महिलाओं को पत्थर मारते देखा, सरेआम कोड़े मारने की सजा देते देखा और काबुल के स्टेडियम में मौत की सजा पाते लोगों को भी देखा।
जब तालिबान ने संगीत पर प्रतिबंध लगाया तो फरनूद के परिवार को टीवी एंटीना को पेड़ से छिपाना पड़ा। उनके मुताबिक, हमने 18 सालों में जो भी उपलब्धियां हासिल की हैं, वह तालिबान के दौर में नहीं थीं।
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