चीन में बिना ड्राइवर के फसल काटने वाली मशीनें देश के कृषि क्षेत्र का भविष्य
बीजिंग: चीनी सरकार का मानना है कि बिना ड्राइवर के फसल काटने वाली मशीनें देश के कृषि क्षेत्र का भविष्य हैं। पूर्वी चीन के जिन्हुआ में ऐसी ही एक मशीन का परीक्षण हुआ था। सरकार ने कंपनियों से कहा है कि सात साल के अंदर उनको ऐसी मशीनें बनानी हैं जो बिना इंसान के सभी प्रमुख फसलें जैसे धान, गेहूं और मकई उगा सकें। इन मशीनों का इस्तेमाल करना दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के कृषि क्षेत्र के लिए बहुत जरूरी हो गया है। चीनी गांवों में रहने वाले लोग ज्यादातर बुजुर्ग हैं और जवान लोगों को खेती-किसानी में कोई दिलचस्पी नहीं है। यूं तो ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में भी ऐसी मशीनों पर काम हो रहा है लेकिन चूंकि चीन का कृषि क्षेत्र सबसे बड़ा है इसलिए उनके लिए ऐसी मशीनें ज्यादा जरूरी हैं। ट्रैक्टर निर्माता चांगझौ डोंगफेंग सीवीटी कंपनी लिमिटेड के महाप्रबंधक चेंग यू का कहना है, 'ऑटोमेटेड खेती ही भविष्य है और इसकी मांग भी बहुत तेजी से बढ़ रही है।' सीवीटी कंपनी ने भी जिन्हुआ में अपनी एक मशीन का परीक्षण किया था। अपना सात साल की महत्वाकांक्षी योजना को पूरा करने के लिए बीजिंग स्थानीय प्रौद्योगिकी को सहारा और बढ़ावा दे रहा है।
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मशीनों के सभी परीक्षण उद्योग समूह टेलीमैटिक्स इंडस्ट्रीज एप्लिकेशन अलायंस के माध्यम से आयोजित हो रहे हैं। वाईटीओ ग्रुप ने अपना पहला बिना ड्राइवर वाला ट्रैक्टर 2017 में बना लिया था और कंपनी बहुत ही जल्दी बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू करना चाहती है। बिना ड्राइवर के ट्रैक्टर चौंसठ लाख रुपये तक के आते हैं।
हांगकांग ब्रोक्रिज़ सीएलएसए में चीन औद्योगिक अनुसंधान के मुखिया एलेक्स ली का मानना है कि चीन में ऑटोनॉमस टेक्नोलॉजी बहुत तेजी से आगे बढ़ेगी क्योंकि चीनी कंपनियों के पास स्थानीय उपग्रह नेविगेशन प्रणाली है। वह चीन के 'बेइदो' उपग्रह नेविगेशन सिस्टम का जिक्र कर रहे थे जो अमेरिकी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) का प्रतिद्वंद्वी है। बीजिंग ने अपनी 'मेड इन चाइना 2025' योजना में खेती में काम आने वाली मशीनों को भी रखा है। इसका मतलब है कि 2025 तक खेती में काम आने वाली ज्यादातर मशीनें चीन में बनेंगी। सेमीऑटोमेटेड टेक्नोलॉजी अमेरिकी के कुछ इलाकों में पहले से प्रचलित है मगर पूरी तरह से ऑटोमेटेड टेक्नोलॉजी अभी कही नहीं बनाई गई है।