PLA War Drill: क्या जंग के करीब हैं चीन-ताइवान? ड्रैगन ने शुरू की लाइव फायरिंग
PLA War Drill: पेलोसी के दौरे के बाद ताइवान और अमेरिका पर दवाब बनाने के लिए वह महज सीमा से 16 किमी की दूरी पर यह मिलिट्री ड्रील कर रहा है।
PLA War Drill: अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी के दौरे से भड़का चीन ताइवान की घेरेबंदी में जुट गया है। ड्रैगन ने ताइवान खाड़ी में बड़ा सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया है। पीपुल्स लिबेरशन आर्मी यानी पीएलए के अभ्यास ताइवान के आसपास छह इलाकों में कर रही है। ड्रैगन ने इस सैन्य अभ्यास का नाम लाइव फायरिंग दिया है। चीन इस तरह के एक्सरसाइज पहले ताइवान सीमा से 100 किमी दूर करता था। लेकिन पेलोसी के दौरे के बाद ताइवान और अमेरिका पर दवाब बनाने के लिए वह महज सीमा से 16 किमी की दूरी पर यह मिलिट्री ड्रील कर रहा है।
बता दें कि मेनलैंड चाइना और ताइवान के बीच 160 किमी की दूरी है। चीन के सरकारी मीडिया के अनुसार, लाइव फायरिंग नामक यह सैन्य अभ्यास 7 अगस्त तक चलेगा। इसमें असली हथियारों और गोला – बारूदों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस अभ्यास के लिए पीएलए की तरफ से कई युद्धपोत, फाइटर जेट और मिसाइलकों को तैनात किया गया है। पीएलए के प्रवक्ता ने कहा कि सैन्य अभ्यास के दौरान लॉन्ग रेंज लाइव फायर शूटिंग की जाएगी। साथ ही मिसाइल का भी टेस्ट होगा।
अमेरिका-ताइवान भी तैयार
चीन के इस आक्रमकता पर ताइवान और अमेरिका दोनों की नजर है। अमेरिका ने चीन के सैन्य अभ्यास को देखते हुए ताइवान के पास फिलिपींस सी में अपना युद्धपोत यूएसएस रोनाल्ड रीगन उतार दिया है। साथ ही अमेरिका ने चीन को चेतवानी देते हुए कहा कि वह नैंसी पेलोसी के दौरे को संकट में न बदलें। उधर, ताइवान भी अपने चीन की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि हम किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं मगर हम संघर्ष नहीं चाहते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पेलोसी के दौरे के बाद कल यानी तीन अगस्त को चीन के 27 फाइटर जेट्स ताइवान के एयर डिफेंस जोन में घुस गए थे। इसे चीन की उकसावे वाली कार्रवाई के तौर पर देखा गया। लेकिन ताइवान ने अपनी तरफ से संयम बनाए रखा।
पेलोसी ने ताइवान में कही थी चीन को चुभने वाली बात
बेहद तनाव भरे माहौल में बीते 25 सालों में पहली बार शीर्ष अमेरिकी राजनेता के तौर पर ताइवान पहुंची नैंसी पेलोसी ने चीन पर जमकर निशाना साधा। पेलोसी ने कहा कि अमेरिका ताइवान की लोकतंत्र की रक्षा करेगा और उससे किए हुए हर वादे को निभाएगा।
बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिका ने ताइवान को हथियारों की सप्लाई में बढ़ा दी थी। ताइवान से कोई राजनयिक संबंध न होने के बावजूद अमेरिका उसे ताइवान रिलेशन एक्ट के तहत हथियार बेचता है।