Pakistani Donkeys: पाकिस्तान से खूब सारे गधे खरीदेगा चीन, जानें इसके पीछे की वजह
Pakistani Donkeys: आमतौर पर गधा शब्द का इस्तेमाल किसी का तिरस्कार करने के लिए किया जाता है। इस प्राणी के शब्द का इस्तेमाल किसी मनुष्य को उसकी अक्षमता का बोध कराने के लिए किया जाता रहा है।
Pakistani Donkeys: आमतौर पर गधा शब्द का इस्तेमाल किसी का तिरस्कार करने के लिए किया जाता है। इस प्राणी के शब्द का इस्तेमाल किसी मनुष्य को उसकी अक्षमता का बोध कराने के लिए किया जाता रहा है। लेकिन जबरदस्त आर्थिक संकट से जूझ रहा पड़ोसी देश पाकिस्तान के लिए यह प्राणी (गधा) एक उम्मीद की किरण के तौर पर उभरा है, जो उसके आर्थिक मुश्किलातों को कुछ हद तक कम कर सकता है। दरअसल, उसका सदाबहार दोस्त चीन पाकिस्तानी गधों का दीवाना हो गया है।
ड्रैगन को इन दिन खूब सारे गधों की दरकार है। इसलिए वह पाकिस्तान को इसकी अच्छी कीमत देने के लिए तैयार बैठा है। भीषण बाढ़ के कारण तबाह हो चुकी पाकिस्तानी इकोनॉमी को फिर से खड़ा करने में जुटी वहां की सरकार के लिए ड्रैगन का ये प्रपोजल मुश्किलों के मरूस्थल में राहतों के मरूद्यान की तरह है। पाकिस्तान के वाणिज्य मंत्रालय ने पिछले हफ्ते चीन के तरफ से आए इस प्रपोजल को सरकार के सामने रखा था।
चीन को क्यों चाहिए पाकिस्तानी गधे
दरअसल, चीन की प्राचीन चिकित्सा पद्धति के मुताबिक गधों के खाल में काफी औषधीय गुण पाए जाते हैं। चीन गधों के स्किन से तैयार होने वाले जिलेटिन का इस्तेमाल महंगी दवाओं के निर्माण में करता है। इसका प्रयोग पारंपरिक रूप से रक्त संचार और इम्यूनिटी बढ़ाने वाली दवाओं में किया जाता है। इसके अलावा चीनी बड़े पैमाने पर गधे का मांस का सेवन भी करते हैं।
पाकिस्तान की लॉटरी इसलिए लगी क्योंकि चीन अबतक जिन देशों से गधे आयात कर रहा था, वहां से आयात होना अब बंद हो चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक, ड्रैगन पहले गधों से जुड़ी अपनी जरूरतों के लिए अफ्रीकी देश नाइजर और बुर्किना फासो पर निर्भर था। लेकिन बाद में वहां गधों की संख्या में गिरावट आने के बाद दोनों पश्चिमी अफ्रीकी देशों ने इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।
पाकिस्तान का पड़ोसी देश अफगानिस्तान भी सस्ते जानवरों का बड़ा बाजार है। अफगानिस्तान से भी गधे चीन जाते रहे हैं। लेकिन हाल के दिनों में वहां भी लंपी वायरस का प्रकोप फैल गया है, जिसके कारण बड़े पैमाने पर गधे मर रहे हैं। वायरस के कारण अफगानिस्तान से गधों का निर्यात रूका हुआ है।
पाकिस्तान में गधों की तीसरी बड़ी आबादी
पाकिस्तान दुनिया में गुधों की आबादी वाला तीसरा सबसे बड़ा मुल्क है। यहां वर्तमान में 5.7 मिलियन जानवर हैं। पाकिस्तान की इकोनॉमी में गधे की अहमियत इस बात से लगाई जा सकती है कि वहां की सरकार अच्छी नस्ल की गधों के लिए बकायदा गधा विकास कार्यक्रम चलाती है। इसकी शुरूआत भारी भरकम निवेश के साथ 2017 में की गई थी।
पाकिस्तान काफी समय से अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए गधों के निर्यात पर जोर दे रहा है। मुल्क में गधों के बड़े – बड़े मेले लगते हैं। इस मेले में 20 हजार से लेकर 2 लाख तक के गधे बिकते हैं। मेले में गधों के नाम रॉकेट लांचर, एटम बम, एके-47 जैसे खतरनाक हथियारों के नाम पर रखे जाते हैं। इस मेले में सफेद, पीले, भूरे, काले, लाल हर रंग के गधे बिकने के लिए आते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान ने गधा विकास कार्यक्रम चीन के निवेश को आकर्षित करने के लिए ही शुरू किया था। पाकिस्तान ने बहुत जल्द चीन को गधे की जरूरतों को भांप लिया था। इसके बाद उसने देश में कई जगहों पर अच्छी नस्ल के गधों को तैयार करने के फॉर्म स्थापित किए। पिछले साल पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की सरकार ने ओकारा जिले में 3 हजार एकड़ में एक गधा फॉर्म स्थापित किया था।
इस गधा फॉर्म का मकसद गधों का अच्छा ब्रीड तैयार करना है, ताकि उन्हें दूसरे देशों को निर्यात किया जा सके। चीन के कर्ज तले दबा पाकिस्तान गधों के निर्यात से अपने बोझ को हल्का करना चाहता है। इसमें वह कितना कामयाब होता है ये तो समय ही बताएगा। लेकिन फिलहाल के लिए पाकिस्तानी इकोनॉमी के लिए गधा एक बड़े सहारे के तौर पर उभरा है।