China Zero Corona Policy: फेल हो गई चीन की जीरो कोरोना नीति, जिनपिंग के खिलाफ जबर्दस्त गुस्सा

China Zero Corona Policy: चीन में हजारों निराश चीनी नागरिक सरकार की सख्त जीरो कोरोना नीति के खिलाफ सड़कों पर उतरे हुए हैं।

Written By :  Neel Mani Lal
Update: 2022-11-29 01:32 GMT

जिनपिंग के खिलाफ जबर्दस्त गुस्सा। (Social Media)

China Zero Corona Policy: चीन में हजारों निराश चीनी नागरिक सरकार की सख्त जीरो कोरोना नीति (China Zero Corona Policy) के खिलाफ सड़कों पर उतरे हुए हैं। आंदोलन दबाने के लिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Chinese President Xi Jinping) के सख्त उपायों के बावजूद सविनय अवज्ञा और प्रदर्शन दूसरे शहरों में फैलते जा रहे हैं। हालांकि कुछेक इलाकों में सख्त बंदिशों में ढील दी गई है लेकिन जीरो कोरोना नीति को जारी रखा गया है।

दुनियाभर में लोग हैरान हैं कि जब दुनिया के अधिकांश हिस्से कोरोना से सामान्य स्थिति की ओर बढ़ चुके हैं तब चीन में यह स्थिति किस वजह से शुरू हुई? पिछले साल अपनी शून्य-कोरोना नीति की सफलता का दावा करने वाले चीन को ब्रेकिंग पॉइंट पर क्यों आना पड़ा।

इम्यूनिटी बढ़ाने में सरकार की विफलता बड़ा कारण

कई विशेषज्ञ जीरो कोरोना उपायों में खामियों की ओर इशारा करते हैं, जिसमें कोरोना के प्रकोप को कम करने के उद्देश्य से लॉकडाउन और एक असफल टीकाकरण नीति शामिल है। वैसे तो, चीन लॉकडाउन लगाकर और लोगों के मूवमेंट को प्रतिबंधित करके पिछले प्रकोपों ​​​​को नियंत्रित करने में सफल हो सका है, लेकिन लोगों में संक्रमण के साथ प्राकृतिक इम्यूनिटी डेवलप करने की इजाजत ही नहीं दी गई। इम्यूनिटी बढ़ाने में सरकार की विफलता एक बड़ा कारण है।

चीन में प्रभावी एमआरएनए बूस्टर की रही कमी

एक एक्सपर्ट के अनुसार बेहतर टीकाकरण कवरेज ढाई साल पहले शुरू हो जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सरकार का पूरा ध्यान रोकथाम पर केंद्रित था। चीन में प्रभावी एमआरएनए बूस्टर की भी कमी रही। लक्षणों को कम करने के बजाय संक्रमण को खत्म करने की नीति सफल नहीं रही है।

वायरस के नए सट्रेन से निपटने के लिए चीन ने लॉकडाउन वाला उपाय ही चुना जो काफी महंगा लेकिन अप्रभावी साबित हुआ। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि सरकार को इस तरह के कठोर उपायों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय प्रभावी टीकों और एंटीवायरल उपचारों और टीकाकरण को बढ़ाकर प्रकोप के लिए तैयारी कर सकती थी। एक्सपर्ट्स के अनुसार पूरी दुनिया ने लॉकडाउन और नियंत्रण उपायों का उपयोग करना अब छोड़ दिया है।

देश का टीकाकरण कार्यक्रम अधिकतर रहा अप्रभावी

चीन की टीकाकरण नीति भी सही नहीं रही है। हालाँकि अब अधिक आक्रामक वैक्सीन अभियान शुरू किया गया है, लेकिन बुजुर्ग समुदाय का एक बड़ा हिस्सा असुरक्षित बना हुआ है। चीन अभी तक देशी एमआरएनए वैक्सीन नहीं ला सका है। सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने किसी विदेशी टीके को आयात या लाइसेंस देने से इनकार कर दिया। इसके परिणामस्वरूप देश का टीकाकरण कार्यक्रम अधिकतर अप्रभावी रहा है।

चीनी टीकों की प्रभावकारिता पर सवाल

चीनी टीकों की प्रभावकारिता पर भी सवाल हैं। सिनोवैक और सिनोफार्म ने अभी तक अंतिम चरण के ​​परीक्षणों को प्रकाशित नहीं किया है, जिससे टीकों की सफलता पर संदेह होता है। अब देखना होगा कि चीन कोरोना के लिए अब किस दिशा में जाता गई।

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