'हम हर 5 साल में वोट मांगने नहीं जाते...', अमेरिका में एक कार्यक्रम में बोले CJI डीवाई चंद्रचूड़

CJI Chandrachud: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने अमेरिका में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, 'न्यायाधीश निर्वाचित नहीं होते हैं। हर पांच साल के बाद लोगों के पास नहीं जाते हैं। लेकिन, न्यायपालिका का लोकतंत्र में विशेष रूप से भारत जैसे बहुलवादी देश में एक स्थिर प्रभाव होता है।'

Report :  aman
Update: 2023-10-24 14:08 GMT

CJI Chandrachud (Social media)

CJI Chandrachud on Collegium Appointments: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) इन दिनों विदेश यात्रा पर हैं। अमेरिका के जॉर्ज टाउन यूनिवर्सिटी लॉ सेंटर (Georgetown University Law Center) में आयोजित तीसरी तुलनात्मक संवैधानिक कानून चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि, 'न्यायाधीश निर्वाचित नहीं होते हैं। वे हर 5 साल में लोगों के पास नहीं जाते। लेकिन, जुडिशरी (न्यायपालिका) का लोकतंत्र और खास तौर पर भारत जैसे बहुलवादी देश में एक स्थिर प्रभाव होता है।'

आपको बता दें, इस कार्यक्रम का आयोजन भारत और USA के सुप्रीम कोर्ट के परिप्रेक्ष्य विषय पर जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी लॉ सेंटर, वाशिंगटन डीसी तथा सोसाइटी फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (SDR), नई दिल्ली द्वारा सह-आयोजित किया गया था। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, कि 'जज निर्वाचित नहीं होते हैं। हम हर पांच साल में लोगों के पास वोट मांगने नहीं जाते हैं। इसका भी एक कारण है। सीजेआई ने ये जवाब कॉलेजियम की नियुक्तियों (Collegium Appointments in India) और भारत में न्यायाधीश कैसे काम करते हैं, पूछे गए सवाल में दी। 

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'न्यायपालिका समाज के विकास में एक स्थिर प्रभाव'

उपरोक्त सवाल के जवाब में चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'न्यायपालिका समाज के विकास में एक स्थिर प्रभाव है। प्रौद्योगिकी के साथ अब इसका तेजी से विकास हो रहा है। उन्होंने कहा, हम इस अर्थ में किसी चीज की आवाज का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसे समय के उतार-चढ़ाव से परे रहना चाहिए। भारत में मौजूद बहुलवादी समाज (Pluralistic Society) के संदर्भ में अदालतों की 'स्थिरीकरण शक्ति' की क्षमता में हमें भूमिका निभानी है।'

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संवैधानिक परिवर्तन के लिए कर रहे अदालतों का रुख

सीजेआई चंद्रचूड़ ने आगे कहा, 'अदालतें आज समाज और सामाजिक परिवर्तन के लिए जुड़ाव का केंद्र बिंदु बन गई है। नागरिक अब न केवल परिणामों के लिए, बल्कि संवैधानिक परिवर्तन (constitutional change) में आवाज उठाने के लिए भी अदालतों का रुख कर रहे हैं। चीफ जस्टिस ने आगे कहा, 'ऐसे मामलों में लोगों को मंच देकर अदालतें एक महत्वपूर्ण काम कर रही हैं। लोग अपनी आकांक्षाओं-इच्छाओं को व्यक्त करने तथा बदलाव लाने के लिए तेजी से कोर्ट का रुख कर रहे हैं। 

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'हम शासन की संस्था हैं'

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'हम शासन की संस्था हैं। हम सत्ता के पृथक्करण (separation of powers) से बंधे हैं। बावजूद, हम ऐसे क्षेत्र बन रहे हैं जहां लोग जलवायु परिवर्तन (Climate change), मानवाधिकार (human rights), सामाजिक कल्याण (social welfare) जैसे क्षेत्रों में अपनी अभिव्यक्ति व्यक्त करने आते हैं।'

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