Corona Vaccine Expiry Date: बढ़ते मामलों के बीच बड़ा सवाल, आखिर क्या है कोरोना वैक्सीनों की एक्सपायरी डेट

Corona Vaccine Expiry Date: वैक्सीनों की एक एक्सपायरी डेट होती है यानी एक निश्चित समय सीमा के भीतर इनको इस्तेमाल कर लिया जाना चाहिए।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Vidushi Mishra
Update:2022-01-04 12:26 IST

Corona Vaccine Expiry Date: सभी दवाओं और वैक्सीनों की एक एक्सपायरी डेट होती है यानी एक निश्चित समय सीमा के भीतर इनको इस्तेमाल कर लिया जाना चाहिए। माना जाता है कि एक्सपायरी डेट के बाद दवा, वैक्सीन या कोई भी ऐसी चीज जिस पर एक्सपायरी डेट लिखी है वह चीज बेकार या नुकसानदेह हो जाती है। ये बात कोरोना की वैक्सीनों पर भी लागू होती है।

डब्लूएचओ ने कहा है कि कम शेल्फ-लाइफ के कारण कई देशों को एक्सपायरी डेट से पहले वैक्सीनों की सभी उपलब्ध डोज़ का उपयोग करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि देश सभी उपलब्ध वैक्सीन खुराकों का उपयोग सुनिश्चित करें।

एक्सपायरी डेट के मसले नैजीरिया, ब्राज़ील, साउथ अफ्रीका में आये हैं जहाँ फाइजर और मॉडर्ना जैसी कंपनियों की वैक्सीनों के खेप देर से पहुँची या सभी खुराकों का समय सीमा के भीतर इस्तेमाल नहीं हो पाया।

कितने दिन तक शक्तिशाली रहता है टीका

एक टीका कितने समय तक शक्तिशाली रहता है, यह स्थिरता परीक्षणों (स्टेबिलिटी टेस्ट) पर निर्भर करता है और डेटा के आधार पर इसे बढ़ाया जा सकता है, जैसा कि कोविशील्ड और कोवैक्सिन के साथ हुआ है।


दरअसल, वैक्सीनों की एक्सपायरी डेट को लेकर बात इसलिए उठी है कि 15-18 आयु वर्ग के 40 लाख से अधिक किशोरों ने 3 जनवरी को कोरोना की वैक्सीन की अपनी पहली खुराक प्राप्त की। इस युवा समूह को एक्सपायर्ड कोवैक्सिन दी दिए जाने के बारे में कुछ चिंताएं व्यक्त की गईं, जिसके कारण स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक स्पष्टीकरण जारी किया।

मंत्रालय ने इन दावों को झूठा और भ्रामक बताया और कहा कि ये दावे आधी अधूरी जानकारी पर आधारित थे। मंत्रालय इ अनुसार, 18 साल से कम उम्र के लोगों को दी जाने वाली एकमात्र वैक्सीन कोवैक्सिन की शेल्फ लाइफ नवंबर में उचित नियामक जांच के बाद बढ़ा दी गई थी। वैक्सीन की ये खुराक उतनी ही अच्छी थी जितनी कि कोई भी। नवंबर में ही इन टीकों की शेल्फ लाइफ नौ महीने से बढ़ाकर 12 महीने कर दी गई थी, और इसलिए इन बैचों में कुछ भी गलत नहीं था।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि वैक्सीन निर्माताओं द्वारा प्रस्तुत स्थिरता अध्ययन डेटा के व्यापक विश्लेषण और परीक्षण के आधार पर राष्ट्रीय नियामक, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन या सीडीएससीओ द्वारा टीकों की शेल्फ लाइफ बढ़ाई जाती है सीडीएससीओ ने पहले कोविशील्ड के शेल्फ जीवन के विस्तार को भी मंजूरी दे दी थी, और कोवैक्सिन के लिए कुछ खास नहीं किया गया था।

कोवैक्सिन के निर्माता भारत बायोटेक के एक आवेदन के जवाब में, सीडीएससीओ ने 25 अक्टूबर, 2021 को इस वैक्सीन की शेल्फ लाइफ को निर्माण की तारीख से 9 से 12 महीने तक बढ़ाने को मंजूरी दे दी थी।

दरअसल, शेल्फ-लाइफ एक्सटेंशन के साथ, अस्पताल उस स्टॉक का उपयोग कर सकते हैं जो समाप्ति के करीब था। इस तरह वैक्सीन की बर्बादी से बचा सकता है।

क्या है एक्सपायरी डेट

वैक्सीनें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, लिपिड, निष्क्रिय वायरस, या सहायक पदार्थों के जटिल मिश्रण होती हैं और ये ऐसी चीजें हैं जिनका उद्देश्य इम्यूनिटी रेस्पोंस और वैक्सीन की असरदारिता को बढ़ाना होता है। किसी भी अन्य औषधीय उत्पादों की तरह वैक्सीनें भी निर्माता द्वारा निर्धारित और नियामक अधिकारियों द्वारा अनुमोदित एक्सपायरी डेट और शेल्फ लाइफ के साथ आते हैं। धीमी रासायनिक प्रतिक्रियाओं के कारण वैक्सीन के घटक तत्व समय के साथ खराब हो सकते हैं और अपना असर खो सकते हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन अनुसार स्टेबिलिटी, एक वैक्सीन की ऐसी क्षमता होती है जो अपने पूरे शेल्फ जीवन में एक निश्चित समय सीमा के भीतर अपने सभी गुणों को बनाए रखने के लिए होती है।

स्टेबिलिटी टेस्ट में पैकेजिंग और भंडारण स्थितियों को भी शामिल किया जाता है और इसी आधार पर शेल्फ लाइफ तय होती है। स्टेबिलिटी टेस्ट के तीन ख़ास उद्देश्य होते हैं, जो एक वैक्सीन के पूरे जीवनकाल में भिन्न होते हैं। सबसे पहले, यह शेल्फ लाइफ और भंडारण की स्थिति निर्धारित करने के लिए आयोजित किया जाता है।

दूसरा, टेस्ट लाइसेंस के बाद की अवधि में वैक्सीन की स्थिरता की निगरानी करता है, यानी जब वैक्सीन को कमर्शियल रूप से बेचा जाता है उसके बाद किया जाता है। तीसरा टेस्ट डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों को पूरा करने के लिए किया जाता है।

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