कोरोना से जंग में अमेरिका ने की ये 10 बड़ी गलतियां, कीमत चुकाएंगी कई पीढ़ियां

चीन और इटली के बाद सबसे ज्यादा अगर कोरोना वायरस ने कही पर तबाही मचाई है, तो वो देश अमेरिका है। लेकिन ऐसा नहीं है कि अमेरिका ने कोरोना से निपटने के लिए कुछ भी नहीं किया।

Update: 2020-04-20 11:20 GMT

नई दिल्ली: चीन और इटली के बाद सबसे ज्यादा अगर कोरोना वायरस ने कही पर तबाही मचाई है, तो वो देश अमेरिका है। लेकिन ऐसा नहीं है कि अमेरिका ने कोरोना से निपटने के लिए कुछ भी नहीं किया।

बल्कि असलियत तो ये है कि उसने हर वो कदम उठाया जो नागरिकों की जान बचाने के लिए जरूरी थे। चाहे वो लॉकडाउन हो या फिर अन्य जरूरी एहतियात। फिर आखिर अमेरिका में कोरोना वायरस इतनी तेजी से कैसे फ़ैल गया और हालात इतने बेकाबू कैसे होते चले गये?

कोरोना से हजारों लोगों की मौत कैसे हो गई? इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए आपको सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि आखिर वो कौन सी ऐसी दस बड़ी गलतियां है। जिसे अमेरिका ने जाने- अनजाने में की।

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अमेरिका ने की ये दस बड़ी गलतियां

1. बता दें कि 14 मार्च को न्यूयॉर्क में कोरोना वायरस की वजह से पहली डेथ हुई थी। हालांकि यहां पर 7 मार्च को ही गवर्नर ने स्टेट इमरजेंसी की घोषणा कर दी थी और लोगों को घरों में रहने की सख्त हिदायत दी गई थी।

इसके बाद भी लोगों ने इसको सीरियसली नहीं लिया जिसकी वजह से ये यहां पर बेकाबू हो गया। 23 मार्च को न्यूयॉर्क के तट पर सैकड़ों लोगों की जमा भीड़ की फोटो वायरल होने के बाद गवर्नर ने लॉकडाउन को सख्ती से लागू करने के आदेश दिए थे।

2. चीन के वुहान में पहला मामला सामने आने के बाद 19 जनवरी को अमेरिका के वाशिंगटन में इसका पहला मामला सामने आया था। इसके बाद लगातार इसके मामले अलग-अलग राज्‍यों में सामने आने लगे थे। बावजूद इसके अमेरिकी प्रशासन का ध्यान इस पर काफी देर से गया।

3. चीन में इस वायरस के लगातार फैलने की बीच अमेरिका ने चीन को काफी मात्रा में पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट्स दिए थे। उस वक्त तक ये वायरस अमेरिका समेत कई देशों में फैल चुका था। इसके बाद भी अमेरिका में लगातार बढ़ रहे मामलों पर ध्यान नहीं दिया गया। इसकी वजह से अमेरिका में ही इन इक्यूपमेंट्स की कमी हो गई। कुछ दिन पहले ही वाशिंगटन में हेल्थल वर्कर्स ने इसके खिलाफ अपने गुस्सेी का भी इजहार किया था।

4. राज्यों के गवर्नरों की राय और हेल्थ डिपार्टमेंट के टॉप विशेषज्ञों की राय को राष्ट्रपति डोनाल्ड डोनाल्ड ट्रंप ने नजरअंदाज किया। अमेरिका के टॉप विशेषज्ञ डॉक् र फॉसी से उनका टकराव इसका जीता जागता सुबूत है।

5. राष्ट्रपति ट्रंप की तरफ से लगातार ये कहा जाता रहा कि प्रशासन इस पर काबू पा लेगा और इसकी वजह से अमेरिकियों को कोई खतरा नहीं है।

6. राष्ट्रपति ट्रंप इस वायरस की उत्प त्ति के लिए चीन को घेरते दिखाई दिए। जबकि दूसरे देश उस वक्त. केवल इसकी रोकथाम पर ही ध्या न दे रहे थे।

7. केलिफोर्निया, न्यूयॉर्क, मिशिगन, वाशिंगटन में हेल्थे वर्कर्स ने दो दिन पहले ही सड़कों पर उतरकर वेंटिलेटर, मास्क , गाउन की कमी के खिलाफ प्रदर्शन किया था।

8. 22 मार्च को राष्ट्र पति ट्रंप ने मेजर डिजास्टर घोषित किया था और गवर्नर ने घर से बाहर न निकलने की हिदायत दी थी। इस प्रतिबंध को बाद में 4 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया।

9. जिस वक्त तक चीन ने अपने यहां पर बाहर से आने और जाने वाली सभी उड़ाने बंद कर दी थी तब तक 4 लाख से अधिक लोग चीन से अमेरिका पहुंच चुके थे। अमेरिका ने अपने यहां पर विदेशों से आने वाले विमानों की आवाजाही को रोकने में काफी देर कर दी थी। इतना ही नहीं 16 मार्च तक भी अमेरिका ने इसको सभी देशों के लिए एक समान तौर पर लागू नहीं किया था। चीन से आने वाले विमानों की आवाजाही को रोकने के बाद भी लोग दूसरे देशों से होते हुए अमेरिका पहुंच रहे थे।

10. अमेरिका में इस वायरस से लड़ने और इसकी रोकथाम पर ध्या न देने की बजाए राष्ट्र पति ट्रंप डब्यूका एचओ से भिड़ गए और उसकी फंडिंग रोकने तक का निर्णय ले लिया।

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