पाकिस्तान से ज्यादा इस मुल्क में तड़पकर मर रहे पाकिस्तानी, लग गये लाशों के ढेर
अधिकारियों का कहना है कि न्यूयॉर्क शहर में मरने वालों में 100 से अधिक पाकिस्तानी शामिल हैं जबकि पूरे पाकिस्तान में कोरोना से अब तक 78 लोगों की जान गई है।
वाशिंगटन: अमेरिका में कोरोना वायरस का केंद्र बन चुका न्यूयॉर्क शहर बुरी तरह प्रभावित हुआ है। न्यूयॉर्क में अभी तक कोरोना वायरस से हजारों लोगों की जान जा चुकी है। अधिकारियों का कहना है कि न्यूयॉर्क शहर में मरने वालों में 100 से अधिक पाकिस्तानी शामिल हैं जबकि पूरे पाकिस्तान में कोरोना से अब तक 78 लोगों की जान गई है।
बीता शुक्रवार अमेरिका के लिए अब तक का सबसे घातक दिन साबित हुआ है क्योंकि इस दिन अमेरिका में कोरोना से मरने वाले लोगों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई।
अधिकारियों का कहना है कि US में आधा मिलियन से ज्यादा लोगों को वायरस ने प्रभावित किया है। डॉन न्यूज के मुताबिक, अब तक वायरस ने दुनिया भर में लगभग 1.7 मिलियन लोगों को प्रभावित किया है, लेकिन आकड़ों के मुताबिक अमेरिका सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है।
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अमेरिका में सबसे ज्यादा कोरोना के केस
अमेरिका वो देश बन गया है जहां कोरोना वायरस के सबसे अधिक रोगी पाए गए हैं। यहां एक दिन में ही कोरोना से दो हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं पाकिस्तान के महावाणिज्य दूत आयशा अली ने कहा, 'अस्पतालों, अंतिम संस्कार घर और परिवारों से मिली जानकारी के मुताबिक न्यूयॉर्क-न्यू जर्सी क्षेत्र में कोरोना वायरस से 100 से अधिक पाकिस्तानी मारे गए हैं।'
पाकिस्तान दूतावास के प्रवक्ता ज़ोबिया मसूद ने कहा, 'हमें जानकारी मिली है कि कुछ पाकिस्तानियों की दूसरे राज्यों में भी कोरोना वायरस से मौत हुई हैं। हम अभी भी इस बारे में और जानकारी जमा कर रहे हैं कि इस बीमारी ने पाकिस्तानी-अमेरिकी समुदाय को कैसे प्रभावित किया है।'
न्यूयॉर्क में जारी किए गए आंकड़े बताते हैं कि इस बीमारी का जातीय अल्पसंख्यकों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा है। सबसे ज्यादा मौतें - 34 फीसदी हिस्पैनिक समुदाय में हुईं हैं, तो वहीं ये आंकड़ा अफ्रीकी-अमेरिकी में 28 फीसदी हैं।
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एशियाई-अमेरिकी समुदाय में 7 प्रतिशत की आबादी पर घातक प्रभाव
साथ ही 27 फीसदी मौतों के साथ व्हाइट्स तीसरे स्थान पर हैं तो वहीं एशियाई-अमेरिकी समुदाय में 7 प्रतिशत की आबादी पर घातक प्रभाव पड़ा है, जिसमें भारतीय और पाकिस्तानी लोग भी शामिल हैं।
महावाणिज्य दूत का कहना है, 'हमें डर है कि मरने वालों की संख्या और बढ़ सकती है।' उन्होंने बताया कि हम एक कम्यूनिटी के साथ काम कर रहे हैं जिनकी मदद से जरुरतमंद लोगों के लिए भोजन के मुफ्त वितरण की व्यवस्था की गई है।