Coronavirus Vaccine Fourth Dose: जर्मनी और यूके में कोरोना वैक्सीन की चौथी डोज

Coronavirus Vaccine Fourth Dose: इजरायल के बाद अब जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम में कोरोना वैक्सीन की चौथी डोज़ लगाई जा सकती है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Chitra Singh
Update:2021-12-28 13:37 IST

कोरोना वैक्सीन (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Coronavirus Vaccine Fourth Dose: इजरायल के बाद अब जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम में कोरोना वैक्सीन की चौथी डोज़ लगाई जा सकती है। यूरोप में ओमीक्रान वेरिएंट के फैलाव को देखते हुए ऐसा किया जा रहा है। फिलहाल सबको चौथी डोज़ देने की बजाय जोखिम ग्रुप के लोगों को ही इसे लगाया जाएगा।

ब्रिटेन में वैक्सीनेशन सम्बन्धी संयुक्त समिति के सदस्य प्रोफेसर एडम फिन ने कहा है कि लोगों को चौथी डोज़ दी जायेगी। उधर जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्री कार्ल लौटरबाश ने कहा है कि कोरोना वैक्सीन की चौथी डोज़ और बूस्टर का दूसरा इंजेक्शन अब जरूरी हो गया है।

उन्होंने कहा, "मैं व्यक्तिगत तौर पर चौथी डोज़ की उम्मीद कर रहा हूँ। लेकिन उनका ये भी कहना है कि बूस्टर की अतिरिक्त डोज़ की जरूरत के बारे में अभी वैज्ञानिक प्रमाण मिलना बाकी है। इजरायल ने तो चौथी डोज़ की असर्दारिता के बारे में 27 दिसंबर से ट्रायल शुरू कर दिया है। इसकी शुरुआत उन स्वास्थ्य कर्मियों से की गयी है जिनको अगस्त में बूस्टर वैक्सीन लगी थी। इजरायल के शेबा मेडिकल सेंटर में छह हजार प्रतिभागियों को चौथी डोज़ दी गयी है और इस ट्रायल के नतीजे दो हफ्ते में आने की उम्मीद है। ये दुनिया में अपनी तरह का पहला ट्रायल है।ठ

वैक्सीन की चौथी डोज़ को लेकर अमेरिका में अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। अमेरिका के विख्यात एक्सपर्ट डॉ अन्थोनी फौची का कहना है कि चौथी डोज़ के बारे में बात करना अभी जल्दबाजी होगी। अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कण्ट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के निदेशक डॉ रोशेल वालेंस्की का कहना है कि चौथी डोज़ के बारे में जब डेटा मिल जाएगा तब सीडीसी उसके बारे में विचार करेगा। उनका कहना है कि कोई भी निर्णय वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर लिया जाएगा।

वैक्सीन की कमी

एक्सपर्ट्स का कहना है कि चौथी डोज़ का निर्णय लेने से पहले सरकारों को वैक्सीन की सप्लाई के बारे में भी सोचना चाहिए। अभी बहुत से देशों की बड़ी जनसँख्या को दूसरी डोज़ तक नहीं लगी है। ऐसे में चौथी डोज़ का निर्णय ग्लोबल वैक्सीनेशन में असमानता को और बढ़ाएगा। जब तक वैक्सीनेशन में समानता नहीं आयेगी और अधिकाधिक आबादी वैक्सीन की कंस इ कम दो डोज़ से कवर नहीं होगी तब तक कोरोना वायरस को कंट्रोल कर पाना भी मुश्किल होगा। अभी स्थिति ये है कि दुनिया में 4.52 अरब लोगों को वैक्सीन की कम से कम एक डोज़ लगी है। ये कुल जनसँख्या का 58.9 फीसदी है। असमानता का आलम ये है कि केन्या में मात्र 7.5 फीसदी लोगों को दोनों डोज़ लग पाई है। भारत में ही 42 फीसदी लोगों को फुल वैक्सीन लगी है। रूस में ये आंकड़ा 45 फीसदी का है।

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