नेपाल के प्रधानमंत्री ओली की कुर्सी पर मंडराया संकट, पूरी बात जानकर चौंक जाएंगे
प्रधानमंत्री ओली और प्रचंड ने सत्ता को लेकर समझौते पर सहमत होने के बाद सितंबर में अपने मतभेद दूर किए थे, जिससे पार्टी में महीनों से चला आ रहा टकराव खत्म हो गया था।
काठमांडू: नेपाल के अंदर ओली सरकार की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (सीपीएन) के भीतर सियासी घमासान लगातार बढ़ता ही जा रहा है।
गतिरोध कम करने को लेकर बुधवार को बैठक हुई। इसके बावजूद गतिरोध दूर नहीं हो सका। पार्टी से विचार-विमर्श किए बिना सरकार चलाने के पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड के आरोपों का जवाब देने के लिए प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने 10 दिनों की मोहलत मांगी है।
28 नवंबर को अगली बैठक
प्राप्त जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री ओली के बालुवातार स्थित आधिकारिक निवास पर जैसे ही बैठक शुरू हुई ओली ने पार्टी के केंद्रीय सचिवालय के सदस्यों से कहा कि वह अगली बैठक में अलग राजनीतिक दस्तावेश पेश करेंगे, इसे तैयार करने के लिए 10 दिनों की मोहलत मांगी है। ये जानकारी सीपीएन के प्रवक्ता नारायणकाजी श्रेष्ठ ने दी। उन्होंने बताया कि पार्टी की अगली बैठक 28 नवंबर को बुलाई गई है।
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पार्टी लाइन से हटकर सरकार चलाने का आरोप
इस बैठक में पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रचंड द्वारा दिए गए 19 पन्नों की राजनीतिक रिपोर्ट पर चर्चा होने की संभावना थी। जबकि सत्तारूढ़ दल के सूत्रों के मुताबिक प्रचंड ने ओली पर पार्टी से विचार-विमर्श किए बिना और पार्टी के नियम-कायदे के विपरीत सरकार चलाने का आरोप लगाया था।
ये बैठक ओली और उनके प्रतिद्वंद्वी प्रचंड के बीच 31 अक्तूबर को बैठक में और सीपीएन में मतभेद सामने आने के बाद यह हुई। ओली ने मौजूदा सत्ता संघर्ष के समाधान के लिए केंद्रीय सचिवालय की बैठक बुलाने के प्रचंड के अनुरोध को भी मानने से इनकार कर दिया था।
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प्रचंड ने उठाया रॉ प्रमुख से ओली की मुलाकात का मुद्दा
बता दें कि प्रधानमंत्री ओली और प्रचंड ने सत्ता को लेकर समझौते पर सहमत होने के बाद सितंबर में अपने मतभेद दूर किए थे, जिससे पार्टी में महीनों से चला आ रहा टकराव खत्म हो गया था।
सचिवालय के सभी नौ सदस्य इस अहम बैठक में शामिल थे। प्रचंड की पहल पर इस बैठक का आयोजन हुआ। सीपीएन की स्थायी कमेटी के एक सदस्य ने बताया कि प्रचंड ने अपनी राजनीतिक रिपोर्ट में कई मुद्दे उठाए हैं।
इसमें भारत के रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (आरएडब्ल्यू) के प्रमुख सामंत कुमार गोयल के साथ ओली की हालिया मुलाकात के संबंध में पार्टी सचिवालय को अवगत नहीं कराने का भी मामला है।
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