ओली सरकार ने बदला नेपाल का नाम, देश में मचा बड़ा बवाल, अब होगा ये नाम
केपी शर्मी ओली सरकार ने 27 सितंबर को देश का नाम N-E-P-A-L लिखने का निर्णय लिया था। सरकार की तरफ से कहा गया था कि अलग-अलग देश अपना नाम अलग तरीके से लिखते हैं। सरकार के नाम बदलने के इस फैसले के बाद संसदीय समिति ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को तलब किया था।
नई दिल्ली: भारत के पड़ोसी देश नेपाल में अब बड़ा बवाल मच गया है। नेपाल के नाम पर विवाद शुरू हो गया। एक संसदीय समिति की तरफ से सरकार से कहा गया है कि देश का आधिकारिक नाम 'फेडरल डेमोक्रेटिक रिपब्लिक नेपाल' है और इसे बदल नेपाल ना किया जाए।
केपी शर्मी ओली सरकार ने 27 सितंबर को देश का नाम N-E-P-A-L लिखने का निर्णय लिया था। सरकार की तरफ से कहा गया था कि अलग-अलग देश अपना नाम अलग तरीके से लिखते हैं। सरकार के नाम बदलने के इस फैसले के बाद संसदीय समिति ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को तलब किया था। लेकिन वह नहीं गए थे।
केपी ओली ने सरकार के रुख का साफ करने के लिए विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञावली को संसदीय समिति के पास भेजा था। विदेश मंत्री ने सांसदों से कहा था कि फेडरल डेमोक्रेटिक रिपब्लिक नेपाल शासन की एक व्यवस्था है और कैबिनेट ने देश के नाम में एकरूपता लाने के लिए नेपाल लिखने का निर्णय लिया है।
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''अगर नाम बदलना है तो सरकार संसद में प्रस्ताव लाए''
नेपाली मीडिया में स्टेट अफेयर्स एंड गुड गवर्नेंस कमिटी की अध्यक्ष शशि श्रेष्ठा के हवाले से कहा गया है कि चूंकि 27 सितंबर के कैबिनेट ने फैसला लिया कि देश का नाम फेडरल डेमोक्रेटिक रिपब्लिक, नेपाल है इसलिए कमिटी सरकार को आदेश देती है कि नाम बदलकर नेपाल करने का फैसला ना लागू हो। कमिटी ने यह भी कहा कि अगर नाम बदलना है तो सरकार संसद में प्रस्ताव लाए।
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अब N-E-P-A-L लिखा जाएगा
संसदीय समिति का कहना है कि देश का नाम फेडरल डेमोक्रेटिक रिपब्लिक, नेपाल है और कानून मंत्रालय की तरफ से जारी पत्र में भी यही लिखा है। इसे बदलने की आवश्यकता नहीं है। 14 अक्टूबर को कानून मंत्रालय ने सर्कुलर जारी किया है, सरकार के दस्तावेजों और कूटनीतिक संवाद में लिखे गए आधिकारिक नाम फेडरल डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ नेपाल की जगह अब N-E-P-A-L लिखा जाएगा।
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संसदीय समिति में शामिल सत्ताधारी पार्टी के दो सांसदों ने भी इस फैसले का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि इस निर्देश की आवश्यकता नहीं थी, क्योंकि सरकार ने पहले ही साफ कर दिया है कि सरकार की कोई गलत मंशा नहीं है।
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