Earthquake : इंडोनेशिया के तुबन में भूकंप के तेज झटके, रिक्टर स्केल पर 7.0 की तीव्रता...24 घंटे में दूसरी बार हिली धरती
Earthquake in Indonesia: इंडोनेशिया में शुक्रवार (14 अप्रैल) को भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। भूकंप के झटके आज दोपहर भारतीय समय के अनुसार 3 बजकर 25 मिनट पर आया था। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.0 आंकी गई।
Earthquake in Indonesia: इंडोनेशिया में शुक्रवार (14 अप्रैल) को भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। भूकंप के झटके आज दोपहर भारतीय समय के अनुसार 3 बजकर 25 मिनट पर आया था। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.0 आंकी गई। आपको बता दें, भूकंप की ये तीव्रता बेहद खतरनाक मानी जाती है। भूकंप का केंद्र इंडोनेशिया के तुबन क्षेत्र से 96 किलोमीटर उत्तर में था।
इससे पहले, 13 अप्रैल को इंडोनेशिया के तनिंबर आइलैंड पर 4.9 तीव्रता का भूकंप आया था। भूकंप इंडोनेशियाई क्षेत्र में स्थानीय समयानुसार सुबह 4 बजकर 37 मिनट पर आया था। इस भूकंप में किसी तरह के जानमाल की क्षति नहीं हुई थी। पिछले झटके से अभी देशवासी उबरे भी नहीं थे कि शुक्रवार को तेज झटके महसूस हुए।
3 अप्रैल को आया था 6.1 तीव्रता का भूकंप
इससे पहले, 3 अप्रैल को पश्चिमी इंडोनेशिया (western indonesia) के सुमात्रा द्वीप (Sumatra Island) पर भूकंप आया था। सुमात्रा द्वीप पर निया रीजन में आए भूकंप की तीव्रता 6.1 मापी गई थी। संयुक्त राज्य भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण यानी USGS की रिपोर्ट के अनुसार, भूकंप का केंद्र उत्तरी सुमात्रा में पडांग साइडम्पुआन शहर के दक्षिण-पश्चिम में समुद्र में था। समुद्र की गहराई 84 किलोमीटर थी। सुमात्रा द्वीप पर भूकंप के झटके रात 10 बजे के करीब महसूस हुए थे। हालांकि, तीव्रता के बाद किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ था।
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क्यों आता है भूकंप?
उल्लेखनीय है कि ये धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी है। जिन्हें इनर कोर (Inner Core), आउटर कोर (Outer Core), मेन्टल और क्रस्ट कहा जाता है। क्रस्ट (Crust) और ऊपरी मेंटल को लिथोस्फीयर कहा जाता है। ये 50 किलोमीटर की मोटी परतें होती हैं। उन्हें टेक्टोनिक प्लेट्स (Tectonic Plates) कहा जाता है। ये टेक्टोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं, घूमती रहती हैं, खिसकती भी रहती हैं। ये प्लेट्स अमूमन हर साल करीब 4 से 5 मिलीमीटर तक अपने स्थान से खिसक जाती हैं। ये क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर, दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं। इसी क्रम में कभी कोई प्लेट दूसरी प्लेट के निकट जाती है तो कोई दूर हो जाती है। इस दौरान कभी-कभी ये प्लेट्स एक-दूसरे से टकरा जाती हैं। ऐसे में ही भूकंप आता है और धरती हिल जाती है। ये प्लेटें सतह से करीब 30-50 किलोमीटर तक नीचे हैं।