Bangladesh News: बांग्लादेश में राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान बदलने की कवायद, विरोध में उतरी जनता

Bangladesh: इस्लामी संगठनों और कुछ लोगों का एक समूह राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान को बदलने की वकालत कर रहा है। दूसरी ओर, इन कोशिशों का पुरजोर विरोध भी शुरू हो गया है।

Report :  Neel Mani Lal
Update: 2024-09-07 06:33 GMT

Bangladesh ( Pic- Social- Media)

Bangladesh: बांग्लादेश में फैली अराजकता और अनिश्चितता के बीच, इस्लामी संगठनों और कुछ लोगों का एक समूह राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान को बदलने की वकालत कर रहा है। दूसरी ओर, इन कोशिशों का पुरजोर विरोध भी शुरू हो गया है।


राष्ट्रगान, राष्ट्र ध्वज और संविधान में बदलाव की मांग के खिलाफ पहला ठोस प्रतिरोध देखने को मिला है, जब 6 सितंबर को सैकड़ों लोगों ने राजधानी ढाका समेत 20 से अधिक जिलों में मानव श्रृंखला बनाई और रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखित "आमार सोनार बांग्ला" गाया। बता दें कि बांग्लादेश का राष्ट्रध्वज नारायण दास द्वारा डिजाइन किया गया था जबकि राष्ट्रगान रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखा गया था।

जन विरोध

उदिची शिल्पी गोष्ठी नामक एक सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन ने देश के लोगों से राष्ट्रगान गाने और राष्ट्रीय ध्वज फहराने का आह्वान किया था, ताकि ब्रिगेडियर जनरल (निलंबित) अब्दुल्लाही अमन आज़मी और कुछ इस्लामी संगठनों द्वारा राष्ट्रगान में बदलाव के आह्वान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जा सके।


सक्रिय हो गईं हैं ताकतें

शेख हसीना के पतन के बाद बांग्लादेश में हुए हाल के घटनाक्रमों से यह धारणा बनी है कि मुक्ति संग्राम के आदर्शों का विरोध करने वाली जमात-ए-इस्लामी और अन्य इस्लामी संगठन जैसी ताकतें अब देश के मामलों को चलाने में बढ़ कर दखलंदाजी करने लगी हैं।


इसी के तहत राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान को बदलने के बारे में गोलबंदी की जा रही है। सेना से निलंबित ब्रिगेडियर जनरल अब्दुल्लाहिल अमान आज़मी ने हाल ही में एक ब्रीफिंग में इसका प्रस्ताव रखा था। ब्रिगेडियर जनरल आज़मी बांग्लादेश के जमात-ए-इस्लामी के संस्थापक के बेटे हैं। वे बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के शासन में जबरन गायब होने के शिकार भी हुए थे और हाल ही में उन्हें रिहा किया गया है।

क्या तर्क दिया जा रहा

एक रिपोर्ट के अनुसार, बताया जाता है कि बांग्लादेशी कट्टरपंथी तत्व इस विचार के हैं कि बांग्लादेशी झंडे में इस्लाम को दर्शाने वाला कोई प्रतीक नहीं है। इसके अलावा ये भी कहा जा रहा है कि राष्ट्रगान 1971 के स्वतंत्रता संग्राम को नहीं दर्शाता है।पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के जाने के बाद से ही अवामी लीग बांग्लादेश में अस्तित्व के संकट में है, इसलिए इस मामले में उनकी कोई भूमिका नहीं है। देश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की मूर्तियों को तोड़े जाने के बाद संग्रहालयों को ध्वस्त कर दिया गया है।


अब शेख मुजीब की निशानी शायद ही कहीं बची है। ऐसे में तय है कि झंडा और राष्ट्रगान बदलना कोई बड़ी समस्या नहीं होगी। मुमकिन है कि राष्ट्रपति का अध्यादेश लाया जाए और इन बदलावों को लागू किया जाए। अवामी लीग की सरकार के पतन के बाद पुलिस की वर्दी और लोगो को बदल ही दिया गया था क्योंकि इसमें अवामी लीग का चुनाव चिन्ह (नाव) बना हुआ था।बता दें कि बांग्लादेश की आबादी मुख्य रूप से मुस्लिम है, जिनकी तादाद अब 93 प्रतिशत है। लगातार घटते अल्पसंख्यकों में 5 प्रतिशत हिंदू और शेष बौद्ध और ईसाई हैं।

पाकिस्तान की रुचि

जब से बांग्लादेश में उथल पुथल हुई है तबसे पाकिस्तान यहां नए सिरे से दिलचस्पी दिखा रहा है। हाल ही में पाकिस्तान के उच्चायुक्त ने ढाका विश्वविद्यालय के कुलपति से मुलाकात की थी। पाकिस्तान बांग्लादेशियों को वीजा-मुक्त यात्रा और दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें देने को तैयार है। ऐसे में अंतरिम सरकार बांग्लादेश में एक नया नैरेटिव बनाने के लिए और अधिक बदलाव ला सकती है।


विरोध के स्वर

सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन "उदिची शिल्पी गोष्ठी' ने देश के लोगों से राष्ट्रगान में बदलाव के आह्वान के विरोध में राष्ट्रगान गाने और राष्ट्रीय ध्वज फहराने का आह्वान किया था। उदिची सांस्कृतिक समिति के सहायक महासचिव एता इमाम ने कहा - हमारे आह्वान पर जो प्रतिक्रिया मिली, उससे हम कमोबेश संतुष्ट हैं। कम से कम 20 जिलों में लोगों ने सार्वजनिक जगहों में हमारा राष्ट्रगान गाया।ढाका में नेशनल प्रेस क्लब के सामने सड़क पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाली इमाम ने कहा, "हमें किसी प्रतिरोध का सामना नहीं करना पड़ा। वहां पुलिस और सेना थी, लेकिन किसी ने हमें नहीं रोका।"

उन्होंने कहा, "सबसे अच्छी बात यह है कि जब हम राष्ट्रगान गा रहे थे, तो आम लोग, जिनमें राहगीर और रिक्शा चालक भी शामिल थे, रुक गए और हमारे साथ शामिल हो गए।" उन्होंने आगे कहा कि "खेला घोर" जैसे कुछ अन्य संगठनों ने भी इसमें हिस्सा लिया था। इमाम के अनुसार, आम लोगों में यह भ्रम था कि यह कार्यक्रम अवामी लीग द्वारा आयोजित किया गया था, जो बड़ी भागीदारी के आड़े आया। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं था। हम दुनिया को बताना चाहते थे कि हम अपने राष्ट्रगान से प्यार करते हैं क्योंकि यह हमारे इतिहास और पहचान का हिस्सा है। 1971 के युद्ध में पराजित ताकतें राष्ट्रगान को बदलने की साजिश कर रही हैं और हम इसका विरोध करेंगे।

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