तानाशाह का खतरनाक किला: बना दिया बंकरो का ढेर, 20 सालों तक चला काम
जंग के बनते आसारो को देखते हुए दक्षिणपूर्वी यूरोपीय देश अल्बानिया ने सबसे पहले अपनी तैयारियां कर ली है। जीं हां अल्बानिया में हर तीन किलोमीटर पर एक बंकर बना हुआ है।
नई दिल्ली : जंग के बनते आसारो को देखते हुए दक्षिणपूर्वी यूरोपीय देश अल्बानिया ने सबसे पहले अपनी तैयारियां कर ली है। जीं हां अल्बानिया में हर तीन किलोमीटर पर एक बंकर बना हुआ है, जो देश के एक छोर से लेकर दूसरे छोर तक फैला हुआ है। बात ये हैं कि अल्बानिया के तानाशाह एनवर होक्सहा के सनकी मिजाज होने की वजह में अच्छे-खासे देश को क्या से क्या बना दिया। यहां साठ के दशक के बीच से लेकर बंकर बनाए जाने शुरू हुए तो अगले 20 सालों यानी होक्सहा की मौत तक काम चालू रहा।
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20 सालों तक ये काम चला
सुनने में अजीब लग रहा होगा पर ये सच है कि 20 सालों तक ये काम चला। इसका परिणाम ये हुआ कि देश गरीब हो गया और पूरा देश आज भी तानाशाह की इस सनक के चलते गरीबी की मार झेल रहा है। लेकिन अब इन्हीं बंकरों को कैफे और आर्ट गैलरी में बदलकर सैलानियों को आकर्षित करने की तमाम कोशिश भी की जाती हैं।
दरअसल ये दूसरे विश्वयुद्ध के बाद की बात है। पूरी दुनिया के लगभग सारे ही देश एक-दूसरे से डरे हुए थे और लगातार परमाणु युद्ध के डर में जी रहे थे। यूरोप का उत्तर पूर्वी देश अल्बानिया भी इन्हीं में से एक था।
वैसे तो अल्बानिया में युद्ध के बाद का इतिहास काफी उथल-पुथल भरा रहा। संदेह की वजह से यहां के शासक एनवर होक्सहा ने धीरे-धीरे अपने मित्र देशों से दूरी बना ली, जिसमें यूगोस्लाविया, सोवियत और चीन शामिल है।
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बंकर बनाने की शुरुआत
तानाशाह होक्सहा ने किसी हमले की शंका में देश के नागरिकों और सैनिकों के बचाव के लिए बंकर बनवाने का प्रोजेक्ट शुरू किया। सन् 1960 के दशक में बंकर बनने शुरू हुए तो ये सिलसिला लगभग दो दशकों तक चला और होक्सहा की मौत जब 1985 में हुई, तब जाकर रूका।
होक्सहा तानाशाह के सनकीपन के बारे में यूनिवर्सिटी ऑफ रिजेका के प्रोफेसर पेवलोकोविक ने बताया कि होक्सहा ने देश के लोगों की शिक्षा या सेहत पर खर्च करने की बजाए बंकर बनाने की शुरुआत कर दी। यहां तक कि लड़ाई के डर से देश ने खुद को पूरी दुनिया से अलग-थलग कर लिया।
इसने इतने बंकर बनाने में हजारों कारीगरों ने कई-कई सालों तक लगातार काम किया। 70 से 100 मजदूरों की हर साल बंकर बनाने के दौरान मौत होती रही।
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यूरोप के सबसे गरीब देशों में शुमार
युद्ध या हमले तो दोबारा नहीं हुए लेकिन इस प्रोजेक्ट की वजह से अल्बानिया की अर्थव्यवस्था मिट्टी मे मिल गई। इसमें पैसे, समय और काफी रिसोर्सेज जा चुके थे। परिणाम ये हुआ कि अल्बानिया को अब यूरोप के सबसे गरीब देशों में शुमार किया जाता है।
अब यहां शेल्टर के बिना रह रहे लोगों ने एक अनूठा तरीका निकाला। वो इन बंकरों का बाकायदा इंटीरियर करके यहां रहने लगे। इसके अलावा यहां स्टोरहाउस और जानवरों को भी रखा जाने लगा है।
और तो और दुनियाभर से लोग बंकरों के इस देश को देखने आ रहे हैं। यही कारण है कि सरकार भी बंकरों को नया रूप देने के लिए नए-नए प्रोजेक्ट शुरू कर रही है। यहां पर बेड एंड बंकर प्रोजेक्ट भी चल रहा है। इस प्रोजेक्ट के तहत विदेशी सैलानियों को बंकरों में ठहराया जाता है। इन्हें और अधिक विकसित करने पर विचार चल रहा है।
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