...वायरस की फौज बाहर आने को तैयार, सामने है बड़ा खतरा, जानें बचने के उपाय

एक्सपर्ट ने चेताया है कि अगर हमने हमारी लाइफ स्टाइल नहीं बदली तो आगे चलकर एक से बढ़कर एक खौफनाक वायरसों से सामना हो सकता है। साथ ही इससे बचने के उपाय भी बताए हैं।

Update:2020-12-19 14:26 IST
...वायरस की फौज बाहर आने को तैयार, सामने है बड़ा खतरा, जानें बचने के उपाय

नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी (Corona Virus) के खिलाफ बीते कई महीनों से पूरी दुनिया जंग लड़ रही है। अभी जहां एक ओर इस वायरस से दुनिया को निजात नहीं मिला है तो इसी बीच खबर आ रही है कि ऐसे बहुत सारे वायरस हैं जो दुनिया पर अपना कहर बरपाने के लिए मानो तैयार बैठे हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि ये वायरस बाहर आने को बेकरार हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, माइक्रो बायोलॉजिस्ट सोसाइटी, इंडिया के प्रेजिडेंट डॉ. एएम देशमुख ने इसे लेकर कई सारी जानकारियां दी हैं, तो चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से-

लाइफस्टाइल नहीं बदलने पर हो सकता है खतरा

रिपोर्ट में एक्सपर्ट के हवाले से बताया गया है कि अगर हमने हमारी लाइफस्टाइल नहीं बदली है तो ऐसे से एक से बढ़कर एक खौफनाक वायरसों से सामना हो सकता है। वहीं जब उनसे पूछा गया कि आखिर वायरस हैं कहां और क्यों बाहर आने को मजबूर हैं तो इसके सवाल में उन्होंने कहा कि वायरस बाहर नहीं आना चाह रहे, बल्कि हम इन्हें आने को मजबूर कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इनके बहुत से स्त्रोत हो सकते हैं, लेकिन इनका बड़ा सोर्स ग्लेशियर्स हैं। लेकिन ग्लेशियरों के पिघलने से खतरा और बढ़ता जा रहा है। बर्फ पिघलने के चलते उनमें दफन वायरस और बैक्टीरिया बाहर आ सकते हैं।

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(फोटो- सोशल मीडिया)

ग्लेशियरों के पिघलने से खतरा

उन्होंने कहा कि ग्लेशियरों का पिघलने से केवल समुद्र का जल स्तर ही ऊंचा नहीं उठ रहा, बल्कि हम तक हमारी मौत के दूतों को पहुंचाने का भी इंतजाम कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जब उनसे पूछा गया कि क्या इंसान और वायरस का साथ नहीं छूटेगा तो उन्होंने कहा कि इंसान और तमाम प्रकार के बैक्टीरिया या वायरस सह-अस्तित्व में हैं। हम वायरस से निजात पाने के लिए एंटीडॉट्स, दवा या वैक्सीन विकसित करते हैं और वहीं ये सूक्ष्मजीव हमें संक्रमित करने के नए तरीके।

वायरस से बचने के उपाय

वहीं जब उनसे इनसे बचने के उपाय के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जैसा कि कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान देखा गया कि लॉकडाउन के समय कार्बन डाइऑक्साइड का एमिशन कम हुआ और ग्लोबल वॉर्मिंग पर भी काफी हद तक प्रभाव पड़ा। इसकी वजह ये रही कि उस दौरान हमारी गतिविधियां कम हो गई थींं, लेकिन ऐसा हमेशा नहीं हो सकता है। कल-कारखाने को हमेशा के लिए बंद नहीं किया जा सकता ना ही गाड़ियां बंद हो सकती हैं, लेकिन अपनी लाइफ स्टाइल में थोड़ा सा बदलाव कर लिया जाए तो हमारी ने वाली पीढ़ी की जिंदगी बेहतर हो सकेगी।

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क्या हो सकते हैं इनसे बचाव के उपाय?

कोरोना वायरस ने हम सबको एक अहम सबक सिखाया है। हमें क्लाइमेट चेंज की वजह से ग्लेशियरों का पिघलना रोकने के लिए लगातार कोशिश करनी होगी। उन्होंने इसके उपाय बताते हुए कहा कि

पब्लिक ट्रांसपोर्ट या इको फ्रेंडली ट्रांसपोर्ट पर जोर देना होगा, जहां तक संभव हो साइकिल से आना जाना करें।

बिजली की खपत कम करने की कोशिश

रियूज, रिसाइक्लिंग पर जोर देना होगा

क्लाइमेट चेंज की वजह और रोकथाम के बारे में बताना और सचेत करना

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