Bangladesh: आखिर क्यों छोड़ना पड़ गया शेख हसीना को बांग्लादेश? जानिए ये 5 बड़ी वजहें

Bangladesh: सरकारी नौकरियों में आरक्षण को लेकर शुरू हुए छात्र आंदोलन बांग्लादेश में काफी हिंसक हो गए थे। वहीं प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांगें तेज हो गईं थीं। सेना ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां न चलाने की घोषणा की। आर्थिक स्थिति और बढ़ती बेरोजगारी ने देश के हालात और खराब कर दिए।

Update:2024-08-05 17:30 IST

Bangladesh( Social- Media- Photo) 

Bangladesh: बांग्लादेश कई दिनों से चल रहे हिंसक प्रदर्शन की आग में जल रहा है। यह हिंसक प्रदर्शन बेकाबू हो गए हैं। प्रदर्शनकारी ढाका में स्थित पीएम हाउस में घुस चुके हैं और कब्जा जमा लिए हैं। वहीं इस बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना ढाका छोड़कर भारत आईं हैं। हालांकि वे यहां पर ज्यादा देर तक नहीं रुकेंगी यहां से वह लंदन के लिए रवाना होंगी। इससे पहले शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से भी इस्तीफा दे दिया। आखिर छात्रों के प्रदर्शन से शुरू हुआ आंदोलन इतना कैसे बढ़ गया कि आज शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा तो देना ही पड़ा साथ ही अपना देश भी छोड़ना पड़ गया?


आइए यहां जानते हैं शेख हसीना के बैकफुट पर आने के 5 बड़े कारण।

1. आरक्षण को लेकर शुरू हुआ आंदोलन

ंसरकारी नौकरियों में आरक्षण को लेकर बांग्लादेश मे छात्रों ने विरोध-प्रदर्शन किया था और ये प्रदर्शन देखते-देखते उग्र और हिंसक हो गया। यह सारा विवाद उस 30 प्रतिशत आरक्षण को लेकर है, जो सरकारी नौकरियों में स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को दिए जा रहे हैं। छात्रों का आरोप है कि मेरिट के आधार पर सरकारी नौकरियां नहीं दी जा रही है। सरकार अपने समर्थकों को आरक्षण देने के पक्ष में है


2. विपक्षी दल भी छात्रों के साथ आ गए

बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर शुरु हुए छात्र आंदोलन में विपक्षी दल भी फ्रंटफुट पर आ गए। विपक्ष ने शेख हसीना सरकार के खिलाफ पूरे देश में व्यापक विरोध और जमकर प्रदर्शन किया। देश की मुख्य विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलस्टि पार्टी ने खालिदा जिया के नेतृत्व में लाखों की भीड़ जुटाकर शेख हसीना सत्ता को हिला दिया। विपक्ष ने हसीना से इस्तीफे की मांग की और वहीं सरकार भी विपक्ष के विरोध का सामना करने में विफल रही।


3. सेना ने नहीं दिया सरकार का साथ

देश में चल रहे छात्रों और विपक्षी दलों के प्रदर्शनों में सेना ने भी सरकार का साथ देने से साफ इनकार कर दिया। हिंसक प्रदर्शनों में 120 लोगों की जान जा चुकी है। इसके बाद सेना ने कहा कि अब वह प्रदर्शनकारियों पर गोलियां नहीं चलाएंगे। सेना मुख्यालय में बांग्लादेश आर्मी चीफ ने हालात के बारे में चर्चा की और ऐलान किया कि अब प्रदर्शनकारियों पर एक भी गोली नहीं चलाई जाएगी। इस बयान के बाद सेना का प्रर्दशनकारियों के लिए सॉफ्ट कॉर्नर नजर आया।


4. हिंसा भड़काने में पाकिस्तान का हाथ

वहीं बांग्लादेश में हिंसा भड़काने में पाकिस्तान का भी हाथ है। बांग्लादेश की सिविल सोसायटी ने पाकिस्तान उच्चायोग पर कट्टरपंथी छात्र प्रदर्शनकारियों को समर्थन देने का आरोप लगाया है। पाकिस्तान अंदरखाने छात्रों को समर्थन के जरिए बांग्लादेश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है। कुछ रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान मिशन पाकिस्तान समर्थक जमात से जुड़े छात्र प्रदर्शनकारियों के एक वर्ग के संपर्क में हैं, जो बांग्लादेश में प्रतिबंधित है।


5. देश की आर्थिक हालात खराब

बांग्लादेश की आर्थिक स्थिति एक तो पहले से ही खराब थी और वहीं सरकारी नौकरियों में आरक्षण को लेकर हो रहे इस आंदोलन से और झटका लगा है। देश में तेजी से बेरोजगारी बढ़ रही है। शेख हसीना लंबे समय से बांग्लादेश की सत्ता पर काबिज रहीं। हाल ही में जब वो फिर से बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनीं, तो बेरोजगारों छात्रों में गुस्सा काफी बढ़ गया। छात्र सड़क पर उतर आए और आंदोलन करने लगे। उनके इस आंदोलन को विपक्षी दलों का भी समर्थन मिला और आंदोलनकारियों पर गोली चलाने से सेना ने भी मना कर दिया। इस तरह अंततः सेना के दखल के बाद शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के साथ ही देश भी छोड़ना पड़ा।

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