France New Law : इस्लामिक कट्टरता से निपटने के लिए फ्रांस ने बनाया नया फोरम, भड़के लोगों ने बताया चुनावी हथकंडा

France New Law : फ्रांस सरकार (France Government) ने इस्लामिक कट्टरता से निपटने के लिए एक फोरम गठित किया है।

Newstrack :  Network
Published By :  Ragini Sinha
Update:2022-02-07 10:02 IST

France New Law : इस्लामिक अतिवाद (Islamic fundamentalism) औऱ कट्टरता (Islamic extremism) से निपटने के लिए फ्रांस सरकार (France Government) ने एक फोरम गठित किया है। द फोरम ऑफ इस्लाम इन फ्रांस ( The Forum of Islam in France) के नाम से बने इस फोरम में इस्लामिक धर्मगुरू, विद्वान, सरकारी अधिकारी, आम आदमी और महिलाओं को शामिल किया गया है। इस फोरम में सभी की नियुक्ति फ्रेंच सरकार (French bgovernment) करेगी। इस फोरम का मकसद देश में बढ़ रहे इस्लाममिक कट्टरवाद और चरमपंथ को खत्म करने की कोशिश है। 

द फोरम ऑफ इस्लाम इन फ्रांस

इस नए गठित फोरम का समर्थन करते हुए फ्रेंच सरकार का कहना है कि इससे फ्रांस में रहने वाले 50 लाख मुसलमानों को सुरक्षा मिलेगी और उन्हें विदेशी प्रभाव में आने से रोका जा सकेगा। इस फोरम का नेतृत्व धार्मिक नेताओं और आम आदमी के हाथ में होगा। फोरम के सदस्य वेस्ट यूरोप में रह रहे मुस्लिम समुदाय का मार्गदर्शन करेंगे। महिलाओं की उचित भागीदारी को ध्यान में रखते हुए फोरम में एक चौथाई पद महिलाओं के लिए अनिवार्य किया गया है। 

समर्थकों ने फोरम को सराहा

नए फोरम के गठित होने के ऐलान के साथ ही फ्रांस में इसको लेकर प्रतिक्रियाएं तेज हो गई है। द फोरम ऑफ इस्लाम इन फ्रांस का समर्थन करने वाले लोगों का कहना है कि फ्रांस में बीते कुछ समय में इस्लामी चरमपंथी की कई घटनाएं घट चुकी है। बड़ी संख्या में फ्रेंच मुसलमान सीरिया में दुर्दांत आतंकी संगठन आईएसआईएस में शामिल होने गए। इसमे महिलाओं की तादाद भी अच्छी थी। इन घटनाओं के कारण फ्रांस का एक बड़ा तबका देश में धार्मिक कट्टरता को सुरक्षा को लेकर एक बड़ा खतरा मानता है। ऐसे में ये फोरम यहां रह रहे मुस्लिमों में फैल रहे कट्टरता को रोकने में प्रभावी मदद करेगा।

फोरम का हो रहा विरोध 

इस्लाम को लेकर दिए गए अपने पूराने बयान को लेकर विरोधियों के निशाने पर आए फ्रेंच राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रों एक बार फिर विरोधियों के निशाने पर आ गए हैं। फ्रांस में ऐसे लोगों की भी बड़ी तादाद है जो राष्ट्रपति के इस फैसले को एक चुनावी हथकंडा बता रहे हैं। मैंक्रों के आलोचकों का कहना है कि 10 अप्रैल को होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव में दक्षिणपंथी मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए इमैनुएल मैंक्रों ने ये चाल चली है। वहां फ्रेंच मुसलमानों का मानना है कि सरकार का ये कदम मुसलमानों के साथ संस्थागत  भेदभाव को और आगे बढ़ाएगा। 

बता दें इससे पहले भी फ्रांस में ऐसे संगठन की नींव पर चुकी है। 2003 में पूर्व राष्ट्रपति और तत्तकालीन गृहमंत्री निकोलस सरकोजी फ्रेंच काउंसिल ऑफ मुस्लिम फेथ की स्थापना की थी। इसने सरकार और धार्मिक नेताओं के बीच एक वार्ताकार के रूप में काम करता था। अब इसकी जगह द फोरम ऑफ इस्लाम इन फ्रांस लेने जा रहा है। 

Written by - krishna chaudhary 

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