हिजाब पहनने पर विवाद: फ्रांस में महिला उम्मीदवारों से पक्षपात, राष्ट्रपति की खूब हो रही आलोचना
फ्रांस(French) के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) की पार्टी ने कुछ महिलाओं को चुनाव में उम्मीदवार बनाया था। जिसमें हिजाब(Hijab) पर विवाद खड़ा हो गया।
पेरिस: महिलाओं के हिजाब(Hijab) पहनने को लेकर फ्रांस से नया मामला सामने आया है। यहां हिजाब पहनने को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है। ये मामला फ्रांस के स्थानीय चुनाव का है। असल में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) की पार्टी ने कुछ महिलाओं को चुनाव में उम्मीदवार बनाया था। जिसमें हिजाब पर विवाद खड़ा हो गया।
चुनाव में उतरी ये महिलाएं जैसे ही हिजाब पहन कर सड़कों पर प्रचार के लिए उतरीं, वैसे ही पार्टी ने उनसे समर्थन वापस ले लिया। ऐसे में अब ये कैंडिडेट निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में है। वहीं दुनिया भर में इमैनुएल मैक्रों के इस फैसले की जम कर आलोचना हो रही है। इसका लोग उन्हें मुस्लिम विरोधी कह रहे हैं।
ऐसे में लैबोरेट्री टेक्नीशियन सारा ज़ेमाही काउंसिलर का चुनाव लड़ रही है। बीते महीने राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की पार्टी ने उनसे समर्थन वापस ले लिया। केवल ज़ेमाही ही नहीं 3 और उम्मीवारों के साथ फ्रांस में ऐसा ही हुआ है।
इस बारे में ज़ेमाही ने बातचीत करते हुए कहा कि वो मैदान छोड़ने वाली नहीं है और हक के लिए लड़ाई लड़ती रहेंगी। आपको बता दे कि फ्रांस के मॉटेंपेलर इलाके में बड़ी संख्या में मुस्लिम रहते है।
मुद्दे पर पार्टी की सफाई
राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की पार्टी लारेम ने इस विवाद को लेकर सफाई दी है। उसे पार्टी ने कहा है कि पहले ही उनकी ओर से कहा गया था कि चुनाव प्रचार के दौरान दस्तावेजों पर धार्मिक प्रतीकों को प्रदर्शन करने की छूट नहीं होगी।
ऐसा करने से लैबोरेट्री टेक्नीशियन सारा ज़ेमाही और 3 और उम्मीदवारों से समर्थन वापस ले लिए गए हैं। इस बारे में लारेम के प्रवक्ता रोलैंड लेस्क्योर ने बताया, 'जिस क्षण आप प्रचार के पोस्टर पर एक धार्मिकअ प्रतीक पहनते हैं, ये एक राजनीतिक काम बन जाता है।'
आपको बता दें कि फ़्रांसीसी कानून चुनावी पोस्टर पर हिजाब या अन्य धार्मिक प्रतीकों को पहनने पर रोक नहीं लगाता है। इस मुद्दे को लेकर इमैनुएल मैक्रों की हर तरफ से कड़ी आलोचना हो रही है।
गौरतलब है कि फ्रांस में दूसरे धर्म को लेकर हमेशा कुछ न कुछ नया विवाद होता रहा है। यहां साल 2004 में स्कूलों में धर्म से जुड़े प्रतीक चिन्ह पहनने पर रोक लगा दी थी। इनमें ईसाइयों का क्रॉस और मुसलमानों का हिजाब शामिल था। जिस पर हिजाब विवादों का मुद्दा बना है।