हैम्बर्ग : दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं और ग्रीनहाउस गैसों के सबसे ज्यादा उत्सर्जक देश शुक्रवार को जर्मनी के हैम्बर्ग शहर में जी20 शिखर सम्मेलन में मिल रहे हैं। इस मौके पर पर्यावरण सलाहकारों ने पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते को पूरी तरह से लागू करने का आह्वान किया है।
इस समझौते से हालांकि अमेरिका ने खुद को अलग कर लिया है। कम से कम विकसित देश (एलडीसी) समूह ने विकसित देशों से अपनी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करने को कहा है, जबकि फिजी ने कहा कि प्रशांत के देश जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले हैं। एलडीसी में 47 सबसे गरीब देश शामिल हैं।
जलवायु परिवर्तन की संवेदनशीलता को समझते हुए एलडीसी समूह के अध्यक्ष जेब्रू जेम्बर एंडल्यू ने जी20 देशों से जलवायु वित्त पोषण को बढ़ाने व एक व्यापक संयुक्त कार्ययोजना विकसित करने को कहा है, क्योंकि वे पहले से ही जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को झेल रहे हैं।
फिजी के प्रधानंत्री जे.वी. बैनिमारामा ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सहित जी20 देशों के नेताओं से कमजोर देशों का साथ न छोड़ने की बात कही।
उन्होंने कहा, "हमने यह संकट पैदा नहीं किया है, आपके देशों ने किया है। हम आप से प्रारंभिक जलवायु कार्रवाई की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की उम्मीद करते हैं, जिसे आपने पहले से किया हुआ है।"
बैनिमारामा नवंबर में जर्मनी के बान में होने वाले संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता के अगले दौर के कांफ्रेंस ऑफ द पार्टीज (सीओपी23) के अध्यक्ष हैं।
जर्मनवॉच पॉलिसी के निदेशक क्रिस्टोफ बाल्स ने अमेरिका को छोड़कर जी20 दलों से पेरिस समझौते को जल्द लागू कर एक मजबूत संकेत देने को कहा है।