कोरोना का एक-एक मरीज होगा ठीक, वैज्ञानिकों ने खोज लिया वायरस का तोड़

जीनोम सीक्वेंसिंग टेक्नोलोजी से किए गए रिसर्च में यह खुलासा हुआ कि वायरस जितनी तेजी से फैल रहा है उतनी ही तेजी से म्यूटेट कर रहा है या अपना आकार भी परिवर्तित कर रहा है।

Update:2020-04-27 10:49 IST

नई दिल्ली: जीनोम सीक्वेंसिंग टेक्नोलोजी से किए गए रिसर्च में यह खुलासा हुआ कि वायरस जितनी तेजी से फैल रहा है उतनी ही तेजी से म्यूटेट कर रहा है या अपना आकार भी परिवर्तित कर रहा है। हैरानी की बात ये है कि सिएटल में अपना नया अनुवांशिक संस्करण बनाकर वायरस सामने आए बगैर ज्यादा मजबूत होकर उभरा।

यही वजह है कि अमेरिका के एक-चौथाई मामले इसी की देन हैं। बता दें कि जीनोम सीक्वेंसिंग वायरस के डीएनए व आरएनए में मौजूद आनुवांशिक सूचनाओं को जानने और परिभाषित करने में मदद करती है। इससे किसी मरीज में मिला वायरस कहां से आया जाना जाता है।

वुहान में सबसे ज्यादा तबाही

यहां आपके लिए ये भी जानना बेहद ही जरूरी है कि आखिर कोरोना ने सबसे पहले कहां से तबाही मचाने की शुरुआत की।

वो शहर चीन का वुहान था। सबसे पहले कोरोना ने इस शहर को ही अपना गढ़ बनाया।

यहां से भारी तबाही मचाते हुए कोरोना दुनिया भर के देशों में फैला।

वुहान में उपजा कोविड-19 वायरस अमेरिका में सबसे पहले वाशिंगटन के शहर सिएटल पहुंचा।

यहां वह कुछ हफ्ते बिना पकड़ में आए लोगों में रहा और इन्फेक्शन बढ़ाता रहा।

यहां सामुदायिक संक्रमण के बाद यह अमेरिका के 14 अन्य राज्यों से होता हुआ छह अन्य देशों में पहुंच गया।

वैज्ञानिकों ने जेनेटिक फिंगरप्रिंट्स से वायरस का ‘संक्रमण-पथ’ या ‘पदचिह्नों’ का पता लगाकर इसके दुनियाभर में पहुंचने का मार्ग बनाया है।

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इन देशों में तेजी से फैला कोरोना

वाशिंगटन में पाया गया कोरोना का वायरस यूटा, वर्जीनिया, एरिजोना, कैलिफोर्निया, कनेक्टिकट, लोरिडा, इलिनोइस, मिशिगन, मिनिसोटा, न्यूयॉर्क, उत्तरी कैरोलिना, ओरेगन, वायोमिंग और विस्कॉन्सिन राज्यों में भी मिला।

वहीं आइसलैंड, कनाडा, ब्रिटेन और उरुग्वे, ऑस्ट्रेलिया और मैक्सिको जैसे देशों तक भी यही पैठ बना चुका था।

एक महीने बाद 24 फरवरी को अमेरिका में सामने आया। स्नोहोमिश काउंटी में जहां यह युवक ठहरा था वहां एक किशोरी ने क्लीनिक में लू की शिकायत की। किशोरी में मिला वायरस अमेरिका के पहले मरीज में मिले कोरोना का ही प्रत्यक्ष वंशज था।

स्वैब टेस्ट में लगाया पता

गंभीर बात यह थी कि किशोरी उस युवक के संपर्क में आई ही नहीं थी। अगले कुछ दिनों में नए संक्रमितों में भी कोरोना का यही स्वरूप मिला। मतलब एक ही था, वायरस वुहान से लौटे उस शख्स से हफ्तों तक फैलता रहा।

डॉक्टरों ने स्थिति भांपते हुए किशोरी का स्वैब लिया। वह पॉजिटिव निकली और शोधकर्ताओं ने किशोरी में मिले वायरस की सीक्वेसिंग की। नतीजा वही निकला, जिसका डर था।

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