आधी आबादी खतरे में, बिना लक्षण के लोग कोरोना पाजिटिव हैं

इससे एक नई चुनौती खड़ी हो गई है। अब बड़े पैमाने पर टेस्ट करने को कहा जा रहा है। इसमें उन लोगों को भी शामिल किया जा रहा है जिनमें कोई लक्षण नहीं हैं ताकि समय रहते उन्हें क्वारंटाइन किया जा सके। इस समय आइसलैंड भी मेडिकल सुविधाओं की कमी से जूझ

Update:2020-04-12 17:14 IST

दुनिया से अलग थलग और अपनी छोटी सी आबादी के लिए मशहूर इस छोटे से देश सेकोरोना के बारे में एक बड़ी जानकारी आयी है कि यहां पर कोरोना से संक्रमित आधे लोगों में इस बीमारी के कोई लक्षण प्रकट नहीं हुए हैं जबकि यह देश अपनी दस फीसदी आबादी का पहले ही कोरोना टेस्ट कर चुका है जो कि किसी भी देश के मुकाबले अधिक है।

आइसलैंड में आठ लोगों की मौत से यहां के लोगों को तगड़ा झटका लगा है जो कि अब तक कोरोना से सुरक्षित मान रहे थे। जबकि बड़े पैमाने पर की गई जांच में इनमें इस बीमारी का कोई लक्षण नहीं दिखा था। यह बात सीडीसी के इस पूर्वानुमान को ध्वस्त कर देती है कि कोरोना संक्रमित चार लोगों में एक साथ रहने के कारण संक्रमित होता है।

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अब तक अमेरिका या किसी भी अन्य देश ने इतने बड़े पैमाने पर जांच नहीं की है। क्योंकि जांच की सीमित सुविधाएं होने के चलते सिर्फ उन्हीं लोगों की जांच की गई है जिनमें कोरोना के लक्षण दिख रहे हों या वह कोरोना से संक्रमित व्यक्ति के साथ रहे हों।

जांच करने में बड़े बड़े देश पीछे

अमेरिका के राष्ट्रपति ने भी कहा है कि अमेरिका में 20 लाख लोगों की जांच की गई है जो कि अमेरिका की आबादी का 0.6 फीसदी है। वर्ल्डोमीटर की स्टेटिक्स भी दस लाख लोगों पर 7100 टेस्ट की बात कर रहा है। इसके मुकाबले आइसलैंड में जांच का रेशियो बहुत अधिक है।

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आइसलैंड की आबादी तीन लाख 64 हजार है यहां 36,413 लोगों के टेस्ट किये जा चुके हैं। मतलब कुल आबादी के 10 फीसदी लोगों के टेस्ट हो चुके हैं। जबकि ब्रिटेन में सिर्फ 0.48 फीसदी लोगों के टेस्ट हुए हैं। आइसलैंड में अब तक करीब 1600 लोग संक्रमित पाए गए हैं। जिनकी पहले जांच की जा चुकी थी उनमें भी 4.3 फीसदी लोग संक्रमित हुए हैं। लेकिन कोरोना संक्रमित पाए गए लोगों में आधे ऐसे थे जिनमें पहले से इसका कोई लक्षण नहीं था।

इससे एक नई चुनौती खड़ी हो गई है। अब बड़े पैमाने पर टेस्ट करने को कहा जा रहा है। इसमें उन लोगों को भी शामिल किया जा रहा है जिनमें कोई लक्षण नहीं हैं ताकि समय रहते उन्हें क्वारंटाइन किया जा सके। इस समय आइसलैंड भी मेडिकल सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है।

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