इस देश में लोग पहनते हैं एक जैसी ड्रेस, जानते हैं यहां से जुड़े इंटरेस्टिंग फैक्ट्स

दुनिया में कई देश हैं जहां अलग तरह की परंपराएं हैं। जहां के रीती रिवाज अलग-अलग तरह के हैं। खासकर अफ्रीकी देशों या फिर द्वीपीय देश तो दुनिया से अलग आज भी अपनी पुरानी परंपराओं का निर्वाह कर रहे हैं। ऐ

Update: 2020-04-23 17:33 GMT

जयपुर: दुनिया में कई देश हैं जहां अलग तरह की परंपराएं हैं। जहां के रीती रिवाज अलग-अलग तरह के हैं। खासकर अफ्रीकी देशों या फिर द्वीपीय देश तो दुनिया से अलग आज भी अपनी पुरानी परंपराओं का निर्वाह कर रहे हैं। ऐसा ही एक द्वीप हैं हिंद महासागर में अफ्रीका के पूर्वी तट पर जिस मुख्य द्वीप, मेडागास्कर कहा जाता है, दुनिया का चौथा सबसे बड़ा द्वीप है।

 

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यह एक ऐसा देश है, जहां खास मौकों पर पुरुष हों या महिलाएं, बच्चा हो या बूढ़ा, सब एक जैसे ही परिधान पहनते हैं, जिसे स्थानीय भाषा में 'लाम्बा' कहा जाता है। जानकर हैरानी होगी कि यहां शादियों में तो लोग लाम्बा पोशाक पहनते ही हैं, साथ ही साथ मृतकों के लिए भी कफन के तौर पर लाम्बा का ही इस्तेमाल करते हैं।

 

मालागासी

मेडागास्कर सैकड़ों साल पहले अफ्रीका से अलग हो चुका है। यही वजह है कि इस द्वीप के अधिकांश पौधे और जीव-जंतु पृथ्वी पर और कहीं नहीं मिलते हैं। मेडागास्कर का पुराना नाम मालागासी है। इस द्वीप पर रहने वाले लोग इसे इसी नाम से जानते हैं।

 

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75 फीसदी जातियां स्थानिक

मेडागास्कर की लगभग 75 फीसदी जातियां स्थानिक हैं, यानी वो यहां के अलावा दुनिया में कहीं और नहीं पाई जाती हैं। इस द्वीप पर कई अजीब जंतु भी पाए जाते हैं, जिनमें टेनरेक्स (कांटों वाला चूहा), चमकीले रंगों वाले गिरगिट शामिल हैं। हालांकि यहां के कई जीव-जंतु अब विलुप्त होने की कगार पर हैं।

जानकारी के लिए बता दें की मेडागास्कर को अक्सर 'ग्रेट रेड द्वीप' कहा जाता है, क्योंकि इसकी मिट्टी लाल है। यह मिट्टी आमतौर पर कृषि के लिए उपयुक्त नहीं होती है। द्वीप के पश्चिम और उत्तर में कुछ दिलचस्प लाइमस्टोन (चूना पत्थर) का भी निर्माण होता है, जिसे सिंगी के नाम से जाना जाता है।

 

मेडागास्कर में सबसे पहले कौन बसा, इसको लेकर विवाद है। कुछ मानव-उत्पत्ति विज्ञानियों का मानना है कि सबसे पहले यहां पर 2000 साल पहले इंडोनेशियाई लोग बसे। यहां सबसे पहले बसने वाले लोगों में अफ्रीकन नहीं थे। वो तो काफी बाद में यहां पहुंचे। यहां पाषाण युग का कोई प्रमाण नहीं मिलता है।

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