जेनेवाः संयुक्त राष्ट्र में भारत ने पहली बार बलूचिस्तान का मुद्दा उठाया है। भारत ने इसके साथ ही पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) का मसला भी उठाया और दोनों जगह मानवाधिकार के उल्लंघन के मसले पर पाकिस्तान को घेरा। बता दें कि 15 अगस्त को पीएम नरेंद्र मोदी ने लालकिले की प्राचीर से भाषण के दौरान बलूचिस्तान में लोगों पर हो रहे जुल्म की बात उठाई थी। ऐसा करने वाले वह पहले प्रधानमंत्री हैं।
भारत ने क्या कहा?
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के 33वें सत्र के दौरान भारत ने बलूचिस्तान का मुद्दा उठाया। भारत के राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि अजित कुमार ने कहा कि कश्मीर में गड़बड़ी की बड़ी वजह पाकिस्तान से होने वाला सीमापार आतंकवाद है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का पिछला रिकॉर्ड जगजाहिर है और भारत लगातार उससे आतंकवाद के ढांचे को नष्ट करने के लिए कहता रहा है।
बलूचिस्तान-पीओके पर घेरा
अजित कुमार ने कहा कि पाकिस्तान की पहचान तानाशाही, लोकतांत्रिक नियमों को न मानने वाले का है। वह बलूचिस्तान और अन्य हिस्सों में मानवाधिकार उल्लंघन भी कर रहा है। पाकिस्तान की ओर से कश्मीर मसला उछालने पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को अपने कब्जे वाले कश्मीर में भी मानवाधिकारों को योजना के तहत ठेस पहुंचा रहा है।