Iran vs Israel: नसरल्लाह के संहार के बाद फिर क्यों छिन गई इजरायल की नींद, पढ़ें पूरी कहानी
Iran vs Israel: ईरान के लिए इज़रायल के पास उसके अस्तित्व में रहने का कोई अधिकार नहीं है। ईरान के शासक इज़रायल को छोटा शैतान मानते हैं।
Iran vs Israel: हिज़्बुल्लाह नेता नसरल्लाह व उसके साथी आठ कमांडर को अपने आपरेशन में ढेर करने के बाद चैन की नींद सो रहा इज़रायल फिर दिक़्क़तों में आ गया है। ईरान ने जवाबी हमले में इज़रायल पर दो सौ मिसाइलें दागने का दावा किया है। जबकि इज़रायल का कहना है कि ईरान ने 181 मिसाइलें दागीं पर ज़्यादातर को बीच में ही नष्ट कर दिया गया। पहली बार हाइपरसोनिक मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया। ईरान ने यह भी दावा किया है कि उसने मिसाइल हमला नसरल्लाह व अन्य लोगों की हत्या के जवाब में किया है।
इस हमले को ईरान ने ऑपरेशन ‘टू प्रॉमिस’ नाम दिया है। हालाँकि यह ईरान की ओर से इज़रायल पर किया गया दूसरा हमला है। इसके पहले अप्रैल में ईरान ने इज़रायल पर ड्रोन व मिसाइल से हमले किये थे। उस समय ईरान ने क़रीब 110 बैलेस्टिक मिसाइलें और 30 क्रूज़ मिसाइलों से हमला किया था। ईरानी हमले में केवल एक व्यक्ति की मौत हुई है। इसकी वजह इज़रायल का सुरक्षा चक्र है। इज़रायल के पास एयर डिफ़ेंस के लिए आयरन डोम है। इसे कम दूरी की मिसाइलों को रोकने के लिए तैयार किया गया है। इसके अलावा इज़रायल के पास जादू की छड़ी भी है। जिसे डेविडस स्लिंग कहा जाता है। यह अमरीकी इज़रायली सुरक्षा तंत्र है, जिसका इस्तेमाल मध्यम से लंबी दूरी के राकेटों के साथ ही बैलेस्टिक व क्रूज़ मिसाइलों को रोकने के लिए किया जाता है। लंबी दूरी की मिसाइलों को रोकने के लिए इज़रायल के पास एरो-२ व एरो-३ इंटरसेप्टर हैं।
अयातुल्लाह खुमैनी ने हमलों के दिये थे आदेश
इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू ने कहा कि ईरान ने बड़ी गलती कर दी है। उसे इसका ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ेगा। ईरानी हमले के बाद इज़रायल के सहयोगी देश- अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जापान और फ़्रांस ने इज़रायल के साथ खड़े होने की प्रतिबद्धता जताई हैं। कहा है कि इज़रायल की मदद करते रहेंगे। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह खुमैनी ने इज़रायली ज़ुबान हिब्रू भाषा में इज़रायल को धमकाया है। हालाँकि कहा तो यह भी जा रहा है कि अयातुल्लाह खुमैनी ने इन हमलों का आदेश दिया था। इसके पीछे हमास के इस्माइल हनिया, हिज़्बुल्लाह प्रमुख हसन नसरुल्लाह, ईरान के इस्लामिक रिवॉल्सूशनरी गार्ड कोर के कमांडर अब्बास निल फोरोशनकी मौत बताई जा रही है।
इज़राइल कई मोर्चों पर लड़ रहा है। यमन में हूती विद्रोहियों, हमास से ग़ज़ा और लेबनान में हिज़्बुल्लाह से।लेबनान के मुद्दे पर इज़रायल में पक्ष व विपक्ष दोनों एक साथ हैं। विपक्षी यह मानता है कि लेबनान में हिज़्बुल्लाह की मौजूदगी मिटानी ही होगी। इज़राइल और ईरान में खूनी प्रतिद्वंद्विता सालों से चली आ रही है। ईरान के लिए इज़रायल के पास उसके अस्तित्व में रहने का कोई अधिकार नहीं है। ईरान के शासक इज़रायल को छोटा शैतान मानते हैं। जबकि अमेरिका को बड़ा शैतान मानते हैं। इनका यह भी दावा है कि दोनों शैतान एक साथ हैं। इज़रायल ईरान पर आतकंवादी समूहों के वित्त पोषण और अयातुल्लाह के यहूदी विरोधी भावना से प्रेरित होकर उसके हितों के खिलाफ हमला करने का आरोप लगता है। 1979 तक इन दोनों देश में रिश्ते बहुत मधुर थे।
इज़रायल से ईरान को अस्तित्व का ख़तरा!
टर्की के बाद ईरान इज़रायल को मान्यता देने वाला दूसरा मुस्लिम बहुल देश था। उस समय ईरान में पहलवी वंश के शासक राज करते थे। पर आज ईरान इज़रायल के अस्तित्व को ही स्वीकार नहीं करता है। इज़रायल ईरान को अपने अस्तित्व के लिए ख़तरा मानता है। ईरान व इज़राइल की लड़ाई दुनिया को विश्वयुद्ध की ओर धकेल रही है।
ऐसे में ईरान व इज़राइल की सैन्य ताक़त के बारे में जानना जरूरी हो जाता है। इज़रायल की आबादी 9.6 मिलियन हैं। जबकि ईरान की जनसंख्या 88.6 मिलियन। इज़रायल का रक्षा बजट 19 बिलियन डॉलर का है। जबकि ईरान का रक्षात्मक केवल 7.4 बिलियन डॉलर का है। इज़रायल के पास 340 लड़ाकू विमान हैं। इसी के साथ एफ-३५ विमान भी हैं, जो राडार को चकमा दे सकते हैं। जबकि ईरान के पास 320 लड़ाकू विमान हैं। इनमें बहुत से विमान 1960 के दशक के हैं। इसलिए इनके उड़ानें भरने के दावों को लेकर संशय है। हालाँकि ईरान का मिसाइल प्रोग्राम मध्य पूर्व का सबसे बड़ा और सबसे अधिक विविधता वाली मिसाइल परियोजना माना जाता है।
1998 से 1988 के बीच इराक़ के साथ युद्ध के दौरान ईरान ने अपने मिसाइल सिस्टम और ड्रोन पर काफ़ी काम किया। ईरानी नौ सेना के पास 200 जहाज़ है। पर काफ़ी पुराने हैं। इज़रायली नौ सेना के पास केवल साठ ही जहाज़ हैं। ईरान हिज़्बुल्लाह के सहयोग से मज़बूत हुआ है। इज़रायल के पास परमाणु हथियार होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। ईरानी सैनिकों की संख्या इज़रायल की तुलना में छह गुनी ज़्यादा है।