कातिल फौज! इजराइल की ये खूबसूरत सेना देख हो जायेंगे दंग
इजरायल की लड़कियां बहुत खुबसूरत होती हैं इस बात को सभी जानते हैं। लेकिन ये वो देश भी है जहां पुरुषों और महिलाओं दोनों का ही सेना में सेवा करना जरुरी है। हमारे यहां के 'लड़का और लड़की एक बराबर नहीं होते' का गुणगान करने वाले लोगों के लिए ये एक कड़वी सच्चाई है।
नई दिल्ली: एक ऐसा देश जिसकी सेना में महिलाओं का होना जरूरी है। यह देश बनने समय ही तय हो गया था। ऐसा इसलिए है क्योंकि इजरायल डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) में देश के नियमों के मुताबिक 18 साल की उम्र तक सभी यहूदी इजरायली नागरिकों को राष्ट्रीय सेवा पूरा करना जरुरी है। चाहे वो कोई भी हो, स्त्री या पुरुष।
भारत के प्रधानमंत्री मोदी के ने इजराइल और भारत के रिश्ते को मजबूत करने में जोरदार भूमिका निभाई है। जिसके कारण अब राजनैतिक स्तर पर इजराइल को भारत का अच्छा दोस्त समझा जाने लगा है। बता दें कि फेसबुक से लेकर गूगल, हर जगह बात इजरायल की बात गाहे-बगाहे होती ही रहती है।
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लड़का और लड़की एक बराबर नहीं होते-एक कड़वी सच्चाई
इजरायल की लड़कियां बहुत खुबसूरत होती हैं इस बात को सभी जानते हैं। लेकिन ये वो देश भी है जहां पुरुषों और महिलाओं दोनों का ही सेना में सेवा करना जरुरी है। हमारे यहां के 'लड़का और लड़की एक बराबर नहीं होते' का गुणगान करने वाले लोगों के लिए ये एक कड़वी सच्चाई है।
जी हां ये सच है। सेना में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी लड़ाई के मैदान में होना जरुरी है। यहां तक की नाज़ियों के खिलाफ 1948 में हुई स्वतंत्रता की लड़ाई में महिलाओं ने युद्ध के मैदान में अहम् भूमिका निभाई थी।
सेना की नौकरियों में 92% से ज्यादा नौकरियां महिलाओं के लिए
सेना में महिलाओं के उचित प्रतिनिधित्व के अलावा शीर्ष पदों पर भी महिलाओं की नियुक्ति आम बात है। उनकी सेना की नौकरियों में 92% से ज्यादा नौकरियां महिलाओं के लिए खुली हैं। इसमें फाइटर पायलट, पैदल सेना के अधिकारी, नौसेना के कैप्टेन इत्यादि का पद महिलाओं के लिए खुला है।
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लेकिन नागरिक नौकरियों में महिलाओं के साथ किया जाता है भेदभाव
इजरायल में महिला और पुरुषों की मजदूरी का अंतर दुनिया में सबसे ज्यादा है। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन के मुताबिक महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले औसतन 66% कम पैसे मिलते हैं। यह आंकड़ा चौंका देने वाला है क्योंकि पिछले तीस सालों में इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। और यही काफी नहीं है। भले ही 65% राज्य कामगार महिलाएं ही हैं लेकिन सीनियर मैनेंजमेंट के लेवल पर उनकी उपस्थिति न के बराबर है। असल में 106 सरकारी अधिकारियों में से सिर्फ चार में ही महिला डायरेक्टर हैं। पुरुष प्रबंधकों की तुलना में महिलाओं को औसत मासिक वेतन 73% ही मिलता है।
महिला के गर्भपात के लिए यहां की सरकार उठाती है पूरा खर्च
2014 में, इजरायली कैबिनेट ने फैसला सुनाया कि चाहे कोई परिस्थिति हो सरकार देश की 20 से 33 वर्ष आयु की महिलाओं के लिए कानूनी गर्भपात का भुगतान करेगी। हालांकि देश में गर्भपात समितियां हैं जो गर्भपात कराना है या नहीं इसका निर्णय करती हैं। लेकिन वे लगभग सभी अर्जियों को मंजूरी दे देते हैं। और अभी ये खत्म नहीं हुआ है। देश में गर्भपात कानून के मुताबिक एक महिला अपनी गर्भावस्था के 40 सप्ताह के अंदर इस प्रक्रिया को पूरी कर सकती है। अगर ये कोई नाबालिग लड़की है तो उसे गर्भपात कराने के लिए अपने माता-पिता की सहमति की जरुरत नहीं है।
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गर्भपात करना आसान है तलाक लेना नहीं
इजरायल में अगर कोई महिला यहूदी नहीं है तो भी उसे यहूदी कानून के अनुसार ही तलाक लेना होगा। यहूदियों के तलाक प्रक्रिया एक रूढ़िवादी रब्बी की देखरेख में होती है। इसमें पति एक मुड़ी हुई डिक्री या तलाक का कागज जिसे गेट कहा जाता है को अपनी पत्नी के हाथों में रखता है। लॉस एंजेल्स टाइम्स के मुताबिक तलाक की सुनवाई करने वाला रब्बी उन दस्तावेजों को फाड़ देता है और फिर उसे रिकॉर्ड के लिए रख दिया जाता है। अगर कोई स्त्री या पुरुष तलाक देना नहीं चाहता (खासकर पुरुष) तो रब्बी उसे आदेश देकर तलाक दिला सकता है। लेकिन फिर भी अगर कोई पार्टनर तलाक देने से मना कर देता है तो फिर अदालत को कोई अधिकार नहीं है कि वो इस मसले को सुलझा सके।
पुरुष और महिला एक साथ पूजा कर सकते हैं
इज़राइली यहूदी महिलाएं सालों से पूजा के लिए एक ऐसी जगह की मांग कर रही हैं जहां उन्हें परुषों से अलग नहीं किया जाए। लेकिन उनकी ये सारी मेहनत बेकार ही हो गई जब खुद देश ने ही कोई एक स्टैंड नहीं लिया। इजराइल के एक समाचार पत्र के अनुसार प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गैर-रूढ़िवादी पुरुषों और महिलाओं के एक साथ पूजा करने के लिए कोई जगह दिलाने से मना कर दिया। इस कदम की दुनिया के अन्य भागों में यहूदियों ने भारी आलोचना की थी।
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इजरायल दुनिया का चौथा महिला प्रधानमंत्री देश
महिला प्रधान मंत्री का चुनाव करने वाला इजरायल दुनिया का चौथा देश था। 1969 में गोल्डा मेयर को इजरायल के प्रधानमंत्री के रूप में चुना गया था। ये बात और है कि उनके बाद इस पद पर कोई और औरत नहीं पहुंच पाई हैं। लेकिन फिर 60 के दशक में भी ये एक प्रगतिशील कदम था।