मसूद अजहर ने की तालिबान से मुलाकात, कश्मीर में गतिविधियां बढ़ाने के लिए मांगा सहयोग

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद पाकिस्तान इसका फायदा उठाने में जुट गया है. उसमें जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर ने तालिबान से मिले और भारत पर हमले की साजिश रचनी शुरू कर दी है।

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Published By :  Deepak Kumar
Update: 2021-08-27 17:31 GMT

जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर। (Social Media) 

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत के लिए सुरक्षा खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। आशंका जताई जा रही है कि अब अफगानिस्तान पाकिस्तानी आंतकी इसका फायदा उठाने में जुट गया है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान से कुछ दिनों पहले मसूद अजहर ने यह मुलाकात 17 से 19 अगस्त के बीच अफगानिस्तान के कंधार प्रांत में हुई। इस बैठक का इंतजाम ISI ने करवाया था। मसूर ने तालिबान से कश्मीर में गतिविधियां बढ़ाने के लिए सहयोग मांगा था। मसूद अजहर 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड है।

मसूद ने जिन तालिबानी नेताओं से मुलाकात की उनमें अब्दुल गनी बरादर भी शामिल है। बरादर तालिबान के राजनीतिक धड़े का हेड है। बता दें कि मसूद अजहर ने काबुल पर कब्जे के ठीक पहले तालिबान की प्रशंसा की थी। उनसे कहा था कि तालिबान ने अमेरिका समर्थित अफगान सरकार को गिरा दिया है। 'मंजिल की तरफ' शीर्षक से लिखे एक लेख में कहा था कि मुजाहिदीनों की जीत खुशी पैदा करने वाली है।

पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकी संगठनों की रैलियां

इसके अलावा जैश-ए-मोहम्मद के कमांडरों ने तालिबान की जीत पर एक दूसरे बधाइयां भी दी थीं। आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद ने पाक अधिकृत कश्मीर (Pok) में तालिबान के समर्थन में रैली भी की थी। रैली का वीडियो वायरल हुआ था और इसमें आतंकी तालिबान की जीत पर खुशियां मनाते दिखाई दे रहे थे। लश्कर और जैश के कमांडरों ने रैलियों को संबोधित भी किया।

कश्मीर द्विपक्षीय मुद्दा: तालिबान

अफगानिस्तान पर जीत के कुछ दिन बाद ही तालिबान ने कश्मीर पर अपना रुख 'स्पष्ट' करते हुए कहा था कि वह इसे भारत और पाकिस्तान का एक द्विपक्षीय और आंतरिक मुद्दा मानता है। इसके साथ ही उसने कहा था कि उनका ध्यान कश्मीर पर बिल्कुल नहीं है।

पाकिस्तान सरकार ने तालिबान को दिया खुलकर समर्थन

सिर्फ आतंकी संगठन ही नहीं बल्कि पाकिस्तान सरकार ने भी तालिबान के शासन पर खुशियां जाहिर की हैं। तालिबान की जीत पर पाकिस्तान अपनी खुशी छुपा नहीं पा रहा और खुद प्रधानमंत्री इमरान खान तक ने इसकी तारीफ कर डाली थी। इमरान खान ने यहां तक कह डाला था कि अफगान लोगों ने 'दासता की जंजीरें तोड़ दी' हैं। पाकिस्तानी अखबार द डॉन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक इमरान खान ने बताया था कि किस तरह अफगानिस्तान में विदेशी संस्कृति थोपे जाने के कारण 'मानसिक गुलामी' फैली हुई थी। 

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