क्या आप जानते हैं, Joe Biden पचास साल से देख रहे थे इसका सपना

सन् 1987 में बिडेन ने पहली बार राष्ट्रपति पद के लिए अपने केम्पेन शुरू की। 1988 में उन्होंने राष्ट्रपति के उम्मीदवार के रूप में खुद को प्रस्तुत किया लेकिन उस वक्त उनकी केम्पेन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ गया।

Update:2021-01-23 15:29 IST
क्या आप जानते हैं, Joe Biden पचास साल से देख रहे थे इसका सपना

नीलमणि लाल

नई दिल्ली: अमेरिका के 46 वें प्रेसिडेंट जो बिडेन ने व्हाइट हाउस तक का लंबा और संघर्षपूर्ण सफ़र तय किया है। इस सफ़र को तय करने में उनको 50 साल लग गए लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। अपने बेहद संघर्षपूर्ण जीवन में बिडेन ने बहुत उतार चढ़ाव देखे हैं।

जो बिडेन का जीवन परिचय

20 नवम्बर 1942 को जो बिडेन का जन्म पूर्वोत्तर पेंसिल्वेनिया के ब्लू-कॉलर शहर स्क्रैंटन में हुआ था। ये वही समय था जब भारत में क्विट इंडिया मोवमेंट चल रहा था। इनके पिता जोसेफ बिडेन सीनियर कारखानों की भट्ठियों की सफाई किया करते थे, और पुरानी कारों को बेचने का काम भी करते थे। जो की मां का नाम कैथरीन यूजेनिया जीन फिननेगन था। माता-पिता दोनों ही आयरिश मूल के थे। परिवार में जो बिडेन के दो भाई और एक बहन भी थी। सबसे बड़े जो बिडेन ही थे।

ये भी पढ़ें…किसानों के समर्थन में कांग्रेस का राजभवन मार्च, दिग्विजय समेत 20 नेता गिरफ्तार

माता पिता से सीखी निडरता

जो बिडेन के बचपने के बारे में कहें तो शुरू से ही बहुत जुझारू थे। उनको कोई किसी तरह की चुनौती देने से डरता था क्योंकि जो बिडेन हर चुनौती को पूरा करके मानते थे। बिडेन ने कड़ी मेहनत, काम के प्रति दृढ़ता और निडरता अपने माता पिता से सीखी थी। इनके पिता कहा करते थे - 'चैम्पियन वह नहीं है जिसे बार बार उठाने के लिए दरवाजा खटखटाया जाये, बल्कि चैम्पियन वह है जो बिना कहे जल्दी उठ जाता है।'

पढ़ाई का खर्चा

बिडेन ने स्क्रैंटन में सेंट पॉल एलिमेंटरी स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। लेकिन जब वो 13 वर्ष के थे, तब 1955 में उनका परिवार मेफील्ड, डेलावेयर चला गया। बचपन में बिडेन को हकलाने की बीमारी थी जिसकी वजह से बच्चे उन्हें चिढाते थे। लेकिन काफी संघर्ष करके जो ने इस पर काबू पा लिया। जो बिडेन का सपना आर्कमेरे अकादमी में पढ़ना था लेकिन इनका दाखिला सेंट हेलेना स्कूल में हो पाया। वजह ये थी कि आर्कमेरे अकादमी में पढ़ने के लिए ज्यादा पैसों की जरूरत थी और उनका परिवार यह खर्च उठाने में सक्षम नहीं था। सो बिडेन ने अपने सपने को पूरा करने के लिए स्कूल की खिड़कियों की सफाई और बगीचों में काम करके अपने ट्यूशन का खर्च स्वयं उठाया।

होनहार छात्र

बिडेन बहुत ही होनहार छात्र थे और आर्कमेरे अकादमी में 16 वर्ष पढ़कर 1961 स्नातक तक की पढाई पूरी की। इसके बाद डेलावेयर विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान और इतिहास की पढ़ाई की। 1965 में डेलावेयर से अपनी स्नातक स्तर की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने सिरैक्यूज़ यूनिवर्सिटी लॉ स्कूल से कानून की डिग्री को हासिल किया। इस विश्वविद्यालय में जो बिडेन एक होनहार छात्र के रूप में जाने जाते थे। यहाँ उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ फुटबॉल भी खूब खेला। बाद में उन्हें राजनीतिक में काफी रुचि लगने लगी। जो बाइडेन ने साल 1968 में अपनी लॉ की पढ़ाई पूरी की थी और उसके बाद एक वह ला फॉर्म में प्रैक्टिस करने लगे।

ये भी पढ़ें…RSS भी चाहती है किसानों-सरकार में समझौता, लंबा आंदोलन देशहित मेें नहीं

राजनीतिक सफ़र

जो बिडेन जब लॉ फर्म में काम कर रहे थे उसी दौरान वार्ड डेमोक्रेटिक पार्टी के सक्रिय सदस्य भी बन चुके थे। बाद में साल 1970 में उनको न्यूकासल काउंटी काउंसिल के लिए चुना गया था और उन्होंने उस पर कार्य करते हुए भी अपनी खुद की एक ला फॉर्म की शुरुआत की। जो बिडेन मात्र 29 वर्ष की उम्र में जे कालेब बोग्स को हराकर 1972 में सेनेटर बने और इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार आगे बढ़ते रहे। 1973 से 2009 तक वो अमेरिकी सीनेट के सदस्य बने रहे।

राष्ट्रपति के उम्मीदवार के रूप में खुद को प्रस्तुत

सन् 1987 में बिडेन ने पहली बार राष्ट्रपति पद के लिए अपने केम्पेन शुरू की। 1988 में उन्होंने राष्ट्रपति के उम्मीदवार के रूप में खुद को प्रस्तुत किया लेकिन उस वक्त उनकी केम्पेन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ गया। जब मीडिया में हर जगह यह बात वायरल होने लगी कि उन्होंने एक नेता की स्पीच चुराई है। इसके बाद 2008 में उन्होंने एक बार फिर अपने सपने की तरफ एक कदम बढ़ाया और पार्टी के अंदर नॉमिनेशन फाइल करने की कोशिश की थी। मगर सपोर्ट नहीं मिलने की वजह से उन्होंने दावेदारी वापस ले ली।

दो बार बनें उपराष्ट्रपति

2007 में ओबामा कार्यकाल में उन्हें उपराष्ट्रपति के तौर पर नियुक्त किया गया और वह लगातार दो बार इस पद पर रहे। 20 साल बाद बिडेन हेलरी क्लिंटन, और बराक ओबामा के सामने राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल हुए लेकिन अपना प्रभुत्व न दिखा सके। 2020 में डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ उन्होंने चुनाव जीतकर इतिहास रच दिया। जो बिडेन की उम्र 78 वर्ष है जो अमेरिका के सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति बने हैं।

दो शादियाँ कीं

जो बिडेन ने अपने निजी जिंदगी में दो बार शादी की है। इनकी पहली पत्नी नेली साल 1972 में तीन बच्चों के साथ क्रिसमस के एक हफ्ते पहले जब बाजार से क्रिसमस ट्री खरीदने निकली तब रास्ते में उनकी कार दुर्घटनाग्रस्त हो गयी। इस हादसे में बिडेन की पत्नी और उनकी चंद महीने की बेटी मारी गई थी। उनके दो बेटे ब्यू और हंटर गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इस दौरान बिडेन को काफी मानसिक आघात पहुंचा था।

जो बिडेन की जीवनी

उन्होंने अपनी जीवनी में लिखा है कि उस समय मैंने महसूस किया कि कोई क्यों सुसाइड कर लेता है। जब ये हादसा हुआ तब बिडेन को सीनेटर के रूप में शपथ लेनी थी। टूट चुके बिडेन ने अपने परिवार के प्रोत्साहन पर सीनेट में डेलावेयर के लोगों का प्रतिनिधित्व करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता का सम्मान करने का फैसला किया। और उन्होंने सीनेट की शपथ ली। उन्होंने वाशिंगटन में नए सीनेटर के लिए शपथ ग्रहण समारोह को समाप्त करने के बाद अपने बेटों को अस्पताल के कमरे से पद की शपथ ली।

ये भी पढ़ें…केंद्र की नीतियों के आलोचक रहे शाह फैसल ने क्यों की PM मोदी की तारीफ, यहां जानें

रोजाना १५० किलोमीटर का सफ़र

अपने बेटों के साथ अधिक से अधिक समय बिताने के लिए बिडेन रोजाना वाशिंगटन से 150 किमी दूर वेलिंगटन जाते थे। तीन साल बाद बिडेन ने जिल से शादी कर ली। लेकिन बिडेन के जीवन में अभी और तकलीफें आनीं थीं। 1988 में बिडेन के मस्तिष्क की दो धमनियां फट गयीं जिसकी वजह से उनके चेहरे को कुछ समय के लिए लकवा मार गया। मई 2015 में उनके बेटे ब्यू की ब्रेन कैंसर से मौत हो गई। यही नहीं, दूसरे बेटे हंटर को कोकीन की लत पड़ गयी और इसी वजह से उसे नौसेना से निकाल दिया गया। सभी सभी विपरीत हालातों के बावजूद बिडेन ने कभी हार नहीं मानी इसीलिए उनके करीबी दोस्त उन्हें ‘सबसे अभागे और सबसे भाग्यशाली’ व्यक्ति कहते हैं।

दुनिया का सबसे ताकतवर व्यक्ति

एक कार सेल्समैन का बेटा आखिरकार आज दुनिया का सबसे ताकतवर व्यक्ति है। इस व्यक्ति का संघर्ष लेकिन अभी ख़त्म नहीं हुआ है। बिडेन के सामने अपने राष्ट्र को एकजुट करने, सुपर पावर का दर्जा बरकरार रखने और आर्थिक संकट दूर करने की चुनौती है। अमेरिका में समाज दो हिस्सों में बंट चुका है। चीन की गिद्ध दृष्टि इस सुपर पावर को तोड़ने में लगी हुई है। ऐसे में प्रेसिडेंट बिडेन पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है और पूरी दुनिया की निगाहें उनपर लगी हुईं हैं। बचपन से चुनौतियों का सीना तान कर सामना करने वाले जोसेफ बिडेन उम्र के इस पड़ाव पर कैसे चुनौती जीतते हैं देखने वाली बात होगी।

दोस्तों देश दुनिया की और को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Tags:    

Similar News