Brahmaputra Dam : चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाने की योजना का किया बचाव, कहा - निचले इलाकों को नहीं करेगा प्रभावित

Brahmaputra Dam : चीन ने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया के सबसे बड़े बांध बनाने की योजना को सुरक्षित बताते हुए इसका बचाव किया है।

Newstrack :  Network
Update:2024-12-27 20:52 IST

Brahmaputra Dam : चीन ने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़े बांध बनाने की योजना को सुरक्षित बताते हुए इसका बचाव किया है। चीन ने कहा कि यह बांध निचले इलाकों को प्रभावित नहीं करेगा। दशकों से गहन अध्ययन के बाद सुरक्षित तरीके से बनाया जा रहा है। बता दें कि 137 बिलियन डॉलर की यह परियोजना पारिस्थितिक रूप से नाजुक हिमालयी क्षेत्र में बनाई जा रही है, जो टेक्टोनिक प्लेट सीमा के साथ स्थित है।

चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने शुक्रवार को तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया के सबसे बड़े बांध बनाने की योजना पर आशंकाओं को कम करके आंका और कहा कि इस मेगा परियोजना से नदी के किनारे के देशों पर कोई असर नहीं पड़ेगा और दशकों के अध्ययनों के माध्यम से इसकी सुरक्षा चिंताओं को दूर किया गया है। उन्होंने कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा बांध निचले इलाकों को प्रभावित नहीं करेगा।

निचले इलाके नहीं होंगे प्रभावित

उन्होंने कहा कि चीन हमेशा से सीमा पार नदियों के विकास के लिए जिम्मेदार रहा है और तिब्बत में जलविद्युत विकास का दशकों से गहन अध्ययन किया है और परियोजना की सुरक्षा, पारिस्थितिकी और पर्यावरण संरक्षण के लिए सुरक्षा उपाय किए गए हैं। उन्होंने कहा कि परियोजना निचले इलाकों को प्रभावित नहीं करेगी। चीन मौजूदा चैनलों के माध्यम से निचले इलाकों में स्थित देशों के साथ संचार बनाए रखेगा और आपदा रोकथाम और राहत पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाएगा।

एक दिन पहले ही दी मंजूरी

बता दें कि चीन ने एक दिन पहले की दुनिया के सबसे बड़े बांध के निर्माण को मंजूरी दी है, जिसे भारतीय सीमा के करीब तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर सबसे परियोजना बताया है। यह बांध हिमालय की पहुंच में एक विशाल घाटी पर बनाया जाना है, जहां ब्रह्मपुत्र नदी अरुणाचल प्रदेश और फिर बांग्लादेश में बहने के लिए यू-टर्न लेती है।

ऊर्जा परामर्श फर्म लैंटौ ग्रुप के शंघाई स्थित वरिष्ठ प्रबंधक डेविड फिशमैन ने कहा इस परियोजना को बनने में कम से कम एक दशक लगेगा और इसे ग्रिड से और पूर्व की ओर जोड़ने की आवश्यकता होगी, क्योंकि तिब्बत में इस तरह की ऊर्जा आपूर्ति की शून्य आवश्यकता है।

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