World Forest Day: बहुत खास है वन विभाग, जानें पेड़-पौधे और जंगल का महत्व
विश्व वन दिवस पहली बार वर्ष 1971 में यूरोपीय कृषि परिसंघ की 23 वीं महासभा द्वारा मनाया गया था ।संयुक्त राष्ट्रीय महासभा के संकल्प द्वारा 28 नवंबर 2012 को मार्च के 21 वे दिन अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस की स्थापना की गई।
राजीव गुप्ता जनस्नेही
Rajiv Gupta Janasnehi
लखनऊ: प्रकृति की देन जल, जंगल ,जमीन और इन के बिना मनुष्य के जीवन की कल्पना करना बेईमानी सा प्रतीत होता है| यह तीनों चीजें मनुष्य को स्वस्थ जीवन के साथ जिंदा रहने के लिए रोटी की आवश्यकता की भी पूर्ति कराती है। परंतु जिस तेजी से मानव ने इसका दोहन किया है उसको देखते हुए नो वर्ष से 21 मार्च से वनों को बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय वन दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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अंतरराष्ट्रीय वन दिवस की शुरुआत कैसे हुई
विश्व वन दिवस पहली बार वर्ष 1971 में यूरोपीय कृषि परिसंघ की 23 वीं महासभा द्वारा मनाया गया था ।संयुक्त राष्ट्रीय महासभा के संकल्प द्वारा 28 नवंबर 2012 को मार्च के 21 वे दिन अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस की स्थापना की गई। 21 मार्च 2013 को पहली बार अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस मनाया गया |
भारत वन दिवस की शुरुआत कैसे हुई
भारत में 1950 में इसकी शुरूआत तत्कालीन गृहमंत्री कुलपति कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने किया था| भारत में वनों की इतनी अंधाधुंध कटाई हुई हैं कि लगभग 22% भूमि पर ही वनों और जंगलों का अस्तित्व हैं| जब तक पेड़ पौधे और वन है तब तक ही धरती पर जीवन है।
वन दिवस बनाने का महत्व
वन हमारे जीवन में अहम भूमिका निभाते हैं | वनों पर समस्त मानव का जीवन निर्भर करता है लेकिन वनों में लगातार काटे जाने के कारण वातावरण में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है और अनेक प्रकार की आपदा ओर स्वस्थ संबंधी परेशानी पैदा हो रही हैं| हम सभी जानते हैं वन वायुमंडल में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड को ग्रहण करते हैं और हमारी जीवनदायिनी ऑक्सीजन को छोड़ते हैं| पेड़ों (वन) का हमारे दैनिक जीवन में भी महत्व है।
स्थाई प्रबंधन और उनके संसाधनों का उपयोग जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने और वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों की समृद्धि और भलाई में योगदान के लिए महत्वपूर्ण है।वनों की और जंगलों की वजह से मौसम संतुलित हो जाता है जिससे बरसात होने लगती है| जिन राज्यों में वन और जंगल अधिक होते हैं वहां पर वर्षा भी अधिक होती है जिससे सूखे की संभावना नहीं रहती है तथा अच्छी कृषि उपज होती है।
2021 दिवस की थीम
वर्ष 2021 अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस का विषय वन बहाली वसूली और कल्याण का मार्ग वनों की बहाली और टिकाऊ प्रबंधन जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता संकटों को दूर करने में मदद करता है।इस वर्ष की थीम पारिस्थितिकी तंत्र बहाली (2021-2030) पर संयुक्त राष्ट्र के फैसले में फिट है, जो दुनिया भर के पारिस्थितिक तंत्र के संरक्षण और पुनरुद्धार के लिए एक कॉल है।
संयुक्त राष्ट्र फोरम फॉर फॉरेस्ट एंड द फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन ऑफ द यूनाइटेड नेशन सरकारों के सहयोग से जंगलों पर सहयोगात्मक साझेदारी और अन्य संबंधित संगठन है |
जाने वन विभाग के बारे में कुछ खास बातें
लगभग 1.6 बिलीयन लोग भोजन,आश्रय ऊर्जा ,दवाओं और आय के लिए सीधे जंगलों पर निर्भर है ।
दुनिया में स्थलीय जैव विविधता के लगभग 80 परसेंट भाग में वन है जिसमें 60000 से अधिक प्रजातियां हैं
दुनिया भर में हर साल 10 मिलियन हेक्टर जंगल का घटते जा रहे हैं जो कि वैश्विक ग्रीनहाउस ,गैस उत्सर्जन का 12 से 20% हिस्सा है जो जलवायु परिवर्तन में योगदान करते हैं।
वनों से होने वाले लाभ
पेड़ों से फल फूल ,लकड़ी ,सेलो ,प्लास्टिक रबड़ मसाले और औषधि आदि प्राप्त होते हैं |पेड़ की जड़े मिट्टी को जकड़ के रखती हैं जिसके कारण भारी बरसात में मृदा अपरदन (मिट्टी का कटाव )और बाढ़ को भी रूकती है और जंगल प्रकाश के परावर्तन को घटाते हैं| ध्वनि को नियंत्रित करते है|वन और जंगल पर्यावरण के संतुलित बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान है ।
अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस का उद्देश्य
वन दिवस मनाने का मुख्य उद्देश यह है कि सभी देशों की सरकारें कड़े से कड़ा कानून बनाए ताकि पेड़ और जंगलों की कटाई पर रोक लग सके |सभी देशों में तरक्की के नाम पर पेड़ वनों और जंगलों की खूब कटाई हुई| सभी देशों में तरक्की के नाम पर पेड़ों, वनों और जगलों की खूब कटाई हुई हैं, इसलिए यह जरूरी है।कि जन-जन को जागरूक बनाया जाए और सभी देशों के सभी लोग वृक्षारोपण में अपना योगदान दें।
वर्तमान समय की बात करें तो प्रदूषण विश्व की एक सबसे बड़ी समस्या है। वनों और जंगलों की अंधाधुंध कटाई के कारण ग्लोबल वार्मिंग जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण ,प्राकृतिक आपदा ,मौसम में बदलाव होने के साथ-साथ पशु पक्षियों के संरक्षण ( घरोंदा )जैसी प्रमुख समस्याएं हुई है इसीलिए जरूरी है कि जन जन जागरुक हो और पेड़ पौधों को लगाएं तथा वनों की कटाई ना होने दें, अगर वह कटाई होते देखें तो संबंधित विभाग और सरकार से शिकायत करें। भारत में छत्तीसगढ़ राज्य में सबसे ज्यादा वन संपदा है।
भारत सरकार द्वारा सन 1952 में निर्धारित राष्ट्रीय वन नीति के तहत देश के 33.3 परसेंट क्षेत्र पर वन होने चाहिए
भारत सरकार द्वारा सन 1952 में निर्धारित राष्ट्रीय वन नीति के तहत देश के 33.3 परसेंट क्षेत्र पर वन होने चाहिए। मकानों के निर्माण ,वनों को खेती के काम में लाना ,लकड़ी और लकड़ी के सामान की बढ़ती मांगों के कारण वनों की अंधाधुंध और अवैध कटाई के कारण ही वन नष्ट हुए हैं अब सभी लोगों को शिक्षित और जागरूक होना हैं| यह हम सब की जिम्मेदारी बनती है कि जंगलों और वनों को संरक्षण प्रदान करें और सरकार की मदद करें ताकि जंगलों के अवैध कटाई पर रोक लग सके।
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तेजी से विश्व में पर्यावरण को लेकर चिंतित हैं
जिस तेजी से विश्व में पर्यावरण को लेकर चिंतित हैं उनमें अनेक कारणों में एक कारण है अंतरराष्ट्रीय वनों को बचाना अगर हम वनों को बचाएंगे तो हम अनेक प्रकार से मनुष्य को स्वस्थ जीवन अनेक प्रकार से मनुष्य अपने आप को अपने जीवन को ना केवल खतरे में डालने से बचाएगा बल्कि ईश्वर द्वारा प्रदत्त मानव जीवन का सदुपयोग स्वस्थ जीवन ,उल्लास और उत्साह से जीवन का आनंद ले सकेगा।अंत में भारत के प्रसिद्ध पर्यावरणविद के. एम. मुंशी ने कहा था कि ''वृक्षों का अर्थ है जल, जल का अर्थ है रोटी और रोटी ही जीवन हैं।''
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