जानिए 107 साल पहले आज ही के दिन कैसे डूबा था टाइटेनिक

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आरएमएस टाइटैनिक 10 अप्रैल 1912 को इंग्लैंड के साउथम्पटन बंदरगाह से न्यूयॉर्क के लिए अपनी पहली यात्रा पर निकला था जिसने चार दिन तक तो अपनी यात्रा बहुत आराम से पूरी की इस वक़्त टाइटैनिक में सवार लोग इस सफर को अपनी जिंदगी का सबसे मजेदार और आलीशान सफर मान रहे थे।

Update: 2019-04-14 09:15 GMT

शाश्वत मिश्रा

लखनऊ: आज टाइटैनिक जहाज को डूबे हुए 107 साल हो गए हैं इस जहाज के डूबने से 1500 से ज्यादा लोगों की मौत हो गयी थी। तो वहीं सिर्फ दो कुत्तों और लगभग 700 लोगों को ही बचाया जा सका।

उस रात की पूरी कहानी

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आरएमएस टाइटैनिक 10 अप्रैल 1912 को इंग्लैंड के साउथम्पटन बंदरगाह से न्यूयॉर्क के लिए अपनी पहली यात्रा पर निकला था जिसने चार दिन तक तो अपनी यात्रा बहुत आराम से पूरी की इस वक़्त टाइटैनिक में सवार लोग इस सफर को अपनी जिंदगी का सबसे मजेदार और आलीशान सफर मान रहे थे। लेकिन चार दिन के बाद 14 अप्रैल की रात 11 बजकर 40 मिनट पर चालक दल की लापरवाही से टाइटैनिक एक हिमखंड से टकरा गया।

हिमखंड इतना बड़ा था कि इससे टकराने से टाइटैनिक के निचले हिस्सों में पानी भरना शुरू हो गया। जहाज के टकराने से लोग घबरा गए लेकिन लाइफबोट्स से बच्चों और महिलाओं को बचाने का काम शुरू हो गया। लेकिन जहाज की जिंदगी ज्यादा नहीं थी। हिमखंड से टकराने के लगभग 3 घंटे बाद 15 अप्रैल की सुबह 2 बजकर 20 मिनट पर जहाज पूरी तरह से उत्तरी अटलांटिक महासागर में डूब गया।

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एक अनुमान के मुताबिक टाइटैनिक में 3547 लोग सवार थे जिनमें से 1500 से ज्यादा लोगों की जान चली गई लेकिन सिर्फ 306 लोगों के शव ही मिले। 14 अप्रैल की रात में हिमखंड से टकराने से पहले टाइटैनिक को छह वार्निंग मिली थीं लेकिन फिर भी यह दुर्घटना के वक्त अपनी अधिकतम गति से चल रहा था। तेज गति में होने के कारण जहाज समय पर मुड़ नहीं पाया और इसका दक्षिणी किनारा हिमखंड से टकरा गया जिससे जहाज के 16 में से पांच कम्पार्टमेंट खुल गए और उनमें पानी भरना शुरू हो गया। क्रू के सदस्यों को इस बात का अंदाजा हो गया था कि अब जहाज को डूबने से नहीं बचाया जा सकता इसलिए उन्होंने वायरलेस से लोगों के लाइफबोट्स की सहायता से बचाने का संदेश दिया।

टाइटैनिक की लाइफबोट को इस तरह से डिजाइन किया गया था कि उनकी सहायता से यात्रियों को पास के बचाव स्थलों तक पहुंचाया जा सके लेकिन उनमें इतनी क्षमता नहीं थी कि वे एक साथ कई लोगों को ज्यादा देर तक झेल सकें। घबराहट में कई लोग अपनी जान बचाने के लिए पानी में कूद गए लेकिन पानी का तापमान इतना कम था कि लोग 15 मिनट से ज्यादा जीवित नहीं रह सके और हाइपोथर्मिया से मर गए। जहाज के डूबने एक डेढ़ घंटे में आरएमएस कैरपथिया दुर्घटना स्थल पर पहुंच गया और 15 अप्रैल की सुबह 9 बजकर 15 मिनट तक 705 लोगों की जान बचाई।

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टाइटेनिक जहाज के बारे में-

टाइटेनिक जहाज की लंबाई 269.1 मीटर थी इसमें एक दिन में करीब 825 टन कोयला इस्तेमाल होता है।

उस वक़्त टाइटेनिक को बनाने में करीब 75,00,000 डॉलर का खर्च आया था। टाइटैनिक में फ़र्स्ट क्लास, सेकंड क्लास और थर्ड क्लास के टिकट का रेट क्रमशः लगभग 2.60 लाख रुपए (4,350 डॉलर) एक लाख रुपए (1750 डॉलर) और 1800 रुपए (30 डॉलर) था|

टाइटेनिक में खान-पान

1. हर रोज 14,000 गैलन पीने का पानी जहाज पर इस्तेमाल होता था।

2. 40,000 अंडे रोज खर्च होते थे।

3. 20,000 बीयर और 1500 वाइन बॉटल ऑन-बोर्ड थीं।

4. 8000 सिगार भी इस्तेमाल होते थे।

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टाइटैनिक से जुड़ी कुछ खास बातें

1. जहाज पर सवार 13 जोड़े हनीमून सेलिब्रेशन के लिए यात्रा पर निकले थे।

2. टाइटैनिक की सीटी की आवाज 11 मील दूर से सुनी जा सकती थी।

3. टाइटैनिक के इंजन को चलाने में हर दिन 825 टन कोयले की खपत होती थी।

4. इसे बनाने में 30 लाख से ज्यादा कीलों का इस्तेमाल किया गया था।

5. टाइटैनिक में चार एलिवेटर्स थे, जिनमें से तीन फर्स्ट क्लास में और एक सेकेंड क्लास में था।

6. 20 नॉट्स (37 किलोमीटर) की रफ्तार से चल रहे टाइटैनिक को रोकने के लिए इसके इंजन को पूरी रफ्तार से उल्टा चलाने की जरूरत थी। इतनी रफ्तार पर भी यह आधे मील की दूरी में रुक सकता था।

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