ब्रिटेन का सबसे महंगा तलाक, लेकिन पैसे देगा बेटा, जानें क्या है पूरा मामला
लंदन की एक कोर्ट ने एक बेटे क आदेश दिया है कि वो अपनी मां को 760 करोड़ रुपये का भुगतान करे।
लंदन: ब्रिटेन से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने सभी को चौंका कर रख दिया है। यहां पर अब तक सबसे महंगा तलाक (Most Expensive Divorce Case) होने जा रहा है, लेकिन इसमें खास ये है कि महिला को एलिमनी (Alimony) उसका पति नहीं बल्कि उसका बेटा देगा। लंदन की एक कोर्ट (London Court) ने यह फैसला सुनाया है। अदालत का आदेश है कि बेटे को अपनी मां को करीब 760 करोड़ रुपये देने होंगे।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह पूरा मामला लंदन के ही रहने वाले पति पत्नी (फरहाद- तातियाना) और उनके बेटे से तैमूर से जुड़ा है। इस मामले में बेटे को पिता की संपत्ति छिपाने का आरोपी बताया गया है। दरअसल, तैमूर चाहता था कि पिता की संपत्ति में बंटवारा न हो और मां को तलाक (Divorce) के समय ज्यादा मुआवजा ना मिल सके।
कोर्ट ने दिया ये आदेश
रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अरबपति फरहाद के बेटे तैमूर ने अपने पिता की संपत्तियों को छिपाया है। तैमूर अपनी मां को वैवाहिक संपत्ति का एक भी पैसा लेने से कैसे रोक सकता है। ऐसे में जज ने तैमूर को अपनी मां को 100 मिलियन डॉलर यानी करीब 760 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है।
बेटे ने दी ये दलील
वहीं, जब तैमूर से संपत्ति छिपाने के बारे में पूछा गया था तो उसने बताया कि उसने कॉलेज में पढ़ाई के दौरान व्यापार किया था, जिसमें उसे नुकसान हुआ था। उसने कोर्ट के सामने यह दलील रखी कि वह अपने पिता के इन पैसों को अपनी मां से नहीं छिपा रहा था, बल्कि बिजनेस के दौरान उसे इन पैसों का नुकसान हुआ था।
दूसरी ओर तैमूर की मां तातियाना ने कहा कि वह चाहती थीं कि तलाक के दौरान मिलने वाली संपत्ति में उन्हें लंदन का लग्जरी अपार्टमेंट भी मिले। हालांकि वो इसके बदले में पैसा भी लेने को तैयार थीं। लेकिन फरहाद ने भुगतान के रूप में एक भी पैसा भी नहीं दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, फरहाद ने नवंबर 2012 में 1.4 अरब डॉलर में रूसी गैस उत्पादक में अपनी हिस्सेदारी को बेचकर इतनी बड़ी संपत्ति खड़ी की।
लेकिन जब फरहाद ने तलाक के बाद संपत्ति में हिस्सा देने से मना किया तो तातियान ने मामले में केस दर्ज कराया। बताय जा रहा है कि महिला ने कम से कम छह देशों में उसके खिलाफ मामला दर्ज कराया। इसके बाद लंदन की अदालत ने यह फैसला सुनाया।