OMG! आ गया Made in China आर्कटिक भेड़िया भी, 100 दिन का हो चुका शावक क्लोनिंग का वीडियो जारी

विलुप्त होने की कगार पर आर्कटिक भेड़िये (Arctic Wolf) को बचाने के लिए चीन ने पहली बार क्लोनिंग करके नया भेड़िया पैदा किया है। यह शावक अब 100 दिन का हो भी चुका है।

Newstrack :  Network
Update:2022-09-20 07:38 IST

आर्कटिक भेड़िया का शावक: Photo- Social Media

New Delhi: विलुप्त होने की कगार पर आर्कटिक भेड़िये (Arctic Wolf) को बचाने के लिए चीन ने पहली बार क्लोनिंग (cloning) करके नया भेड़िया पैदा किया है। क्लोनिंग के द्वारा बनाया गया यह शावक अब 100 दिन का हो भी चुका है। बता दें कि चीन के बीजिंग शहर में मौजूद जेनेटिक कंपनी साइनोजीन बायोटेक्नोलॉजी एंड हार्बिन पोलरलैंड ने इस भेड़िये की क्लोनिंग की है।

जेनेटिक कंपनी (genetic company) साइनोजीन बायोटेक्नोलॉजी एंड हार्बिन पोलरलैंड (Cyanogen Biotechnology and Harbin Polarland) के अधिकारियों और वैज्ञानिकों ने बताया कि क्लोनिंग से हम दुनिया के दुर्लभ और विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके जीवों को बचा सकते हैं।

साल 2020 में आर्कटिक भेड़िये की क्लोनिंग शुरू हुई थी

कंपनी के जनरल मैनेजर मी जिडोन्ग (Company's general manager Mi Jidong) का कहना है कि विलुप्त होने वाली प्राणियों को बचाने के लिए हमने हार्बिन पोलरलैंड के साथ मिलकर साल 2020 में आर्कटिक भेड़िये की क्लोनिंग शुरू की थी। दो साल की मेहनत के बाद यह क्लोनिंग सफल हुई। यह दुनिया में अपनी तरह का पहला मामला है। क्लोनिंग टेक्नोलॉजी को आगे बढ़ाने के लिए आर्कटिक भेड़िये की क्लोनिंग एक मील का पत्थर है। क्योंकि ऐसे जीवों को संरक्षित रखने और इनकी प्रजाति बचाने के लिए जरूरी है।

क्लोनिंग द्वारा आर्कटिक भेड़िये का जन्म 10 जून 2022 को हुआ

इस आर्कटिक भेड़िये (arctic wolves) का जन्म 10 जून 2022 को हुआ है। इसका नाम माया (Maya) रखा गया है। इसकी सेहत अच्छी है। इसे बनाने के लिए डोनर सेल एक मादा आर्कटिक भेड़िये की त्वचा से लिया गया था। इसे कनाडा से हासिल किया गया था। इसके बाद अंडे एक मादा कुतिया से लिया गया। फिर इसे एक बीगल ब्रीड की कुतिया के गर्भ में सरोगेट कराया गया।

आर्कटिक भेड़िया का शावक: Photo- Social Media

ऐसे पैदा हुआ आर्कटिक भेड़िया

आर्कटिक भेड़िये को पैदा करने के लिए 137 नए भ्रूण तैयार करने पड़े थे। सात बीगल कुतियों के गर्भ में 85 भ्रूण को ट्रांसफर किया गया। जिनमें से सिर्फ एक ही भ्रूण विकसित हुआ। बीगल (beagle) का चयन इसलिए किया गया था क्योंकि आर्कटिक भेड़िये और उसका जेनेटिक्स कई मामलों में एक जैसा था। अगर किसी और कुत्ते का लेते तो शायद ये प्रोजेक्ट कभी सफल नहीं होता। बता दें कि चीन के सरकारी मीडिया संस्थान ग्लोबल टाइम्स ने यह खबर प्रकाशित की है।

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