मुसलमानों के शवों को जलाने पर सख्त हुआ देश, अब कर दिया बड़ा ऐलान
ट्विटर पर शाहिद ने लिखा, “हमारी इस मदद से श्रीलंका के मुस्लिम भाई-बहनों को राहत मिलेगी जो अपने परिजनों के शवों को दफनाने के लिए परेशान हो रहे हैं।“ वहीं, यूएन राइट्स एक्सपर्ट्स ने मालदीव के रुख को चिंताजनक बताया है। यूएन एक्सपर्ट शाहिद ने अलजजीरा को दिए बयान में कहा, “ऐसा लगता है कि ये अनुरोध मुस्लिम समुदाय या उनकी सहमति से नहीं किया गया है।
कोरोना महामारी से पूरे विश्व में करोड़ों मौते हो चुकी हैं। हर देश अपने-अपने हिसाब से कोरोना से मरने वाले लोगों का दाह संस्कार कर रहे हैं। वहीं श्रीलंका की सरकार ने मार्च में ही कोरोना वाले लोगों का दाह संस्कार करने का आदेश दे दिया था। यह नियम हर धर्म के लोगों के लिए लागू किया गया था। श्रीलंका सरकार का यह मानना है कि शवों को जलाने से कोरोना संक्रमण को रोकने में मदद मिलेगी। तो वहीं श्रीलंका के मुस्लिम समुदाय के लोगों ने सरकार से कोविड पीड़ित परिजनों की मौत के बाद उनके इस्लामिक तौर-तरीके से अंतिम संस्कार करने की इजाजत मांग रहे हैं। इस पूरे मामले पर अब मालदीव ने हस्तक्षेप कर रहा है।
श्रीलंका सरकार ने दाह संस्कार के दिए थे आदेश
बता दें कि श्रीलंका जो कि एक बौद्ध-बहुल आबादी वाला देश है, वहां की सरकार ने एक आदेश जारी कर यह लागू कर दिया था कि कोविड से मरने वाले लोगों के शवों को जलाना अनिवार्य है। जबकि इस्लाम में शवों को दफनाकर अंतिम संस्कार किया जाता है। सरकार के इस आदेश को लेकर मुस्लिम समुदाय ने कड़ी आपत्ति जाहिर की, जिसके बाद वहां के मुस्लिम समुदाय के लोगों ने सरकार से यह मांग कर रहे हैं कि कोविड पीड़ित परिजनों की मौत के बाद उनके इस्लामिक तौर-तरीके से अंतिम संस्कार की इजाजत मिलनी चाहिए। श्रीलंका के मुसलमानों की मांग को देखते हुए मालदीव ने यह ऐलान किया है कि श्रीलंका में कोरोना से मरने वाले मुसलमानों के शवों को अपने यहां दफनाने के लिए तैयार है।
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मालदीव के विदेश मंत्री ने कही यह बात
जैसा कि मालदीव एक सुन्नी बहुलक देश है, साथ ही श्रीलंका का पड़ोसी मुल्क भी। मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने बताया कि श्रीलंका की सरकार ने उनकी सरकार से अपील की है कि मालदीव अपने यहां श्रीलंका में कोविड से मरने वाले मुस्लिमों का अंतिम संस्कार इस्लामिक तौर तरीके से करने की इजाजत दे दे। जिस पर मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने बीते सोमवार को ऐलान किया कि उनकी सरकार श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे की अपील पर विचार कर रहा है।
UN ने मालदीव के रुख को बताया चिंताजनक
ट्विटर पर शाहिद ने लिखा, “हमारी इस मदद से श्रीलंका के मुस्लिम भाई-बहनों को राहत मिलेगी जो अपने परिजनों के शवों को दफनाने के लिए परेशान हो रहे हैं।“ वहीं, यूएन राइट्स एक्सपर्ट्स ने मालदीव के रुख को चिंताजनक बताया है। यूएन एक्सपर्ट शाहिद ने अलजजीरा को दिए बयान में कहा, “ऐसा लगता है कि ये अनुरोध मुस्लिम समुदाय या उनकी सहमति से नहीं किया गया है। इससे श्रीलंका में मुस्लिम समुदाय और हाशिए पर आ जाएगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन कोविड-19 से मौत के मामले में दफनाने और जलाने दोनों तरीके से अंतिम संस्कार की अनुमति देती है।“
श्रीलंका के अधिकारियों ने दिया यह बयान
वहीं श्रीलंका के कुछ अधिकारियों का कहना है कि मालदीव ने ही ये पहले यह प्रस्ताव रखा है। श्रीलंका के Public Health Services के डायरेक्टर जनरल हेमंत हेरात ने डेली मिरर से कहा कि मालदीव की सरकार शवों को दफनाने की इजाजत देने पर विचार कर रही है। हेरात ने कहा, “उनके यहां छोटे-छोटे द्वीप हैं और उनके सामने ऐसी कोई समस्या नहीं है। मालदीव सरकार ने अपने एक द्वीप में मुस्लिमों के शवों को दफनाने का प्रस्ताव दिया है। हमें अभी नहीं पता कि ये कितना व्यावहारिक है, लेकिन जब हम सारे विकल्पों पर विचार कर लेंगे, तभी पता चल पाएगा कि ये संभव है या नहीं।
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इस बात की अभी तक नहीं हुई है पुष्टि
हालांकि, इस बात की की पुष्टि नहीं हुई है कि राजपक्षे ने मालदीव से ऐसा कोई अनुरोध किया है या नहीं। बीते बुधवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति के प्रवक्ता कहेलियावेला राम्बुकवेला ने अलजजीरा से कहा कि कैबिनेट में इस मामले को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई। बता दें कि श्रीलंका में मुस्लिमों की आबादी लगभग 2 करोड़ है, जो कि कुल आबादी का 10 फीसदी हैं।
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